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पीएम मोदी के रहते भारत के किस कोने में बजता है सऊदी अरब का डंका ?

शरिया पर चलने वाला सऊदी अरब अब किंग सलमान की लीडरशिप में खुद को कट्टरता की बेड़ियों से मुक्त कर रहा है। विश्व पटल पर एक नया सऊदी अरब खड़ा हो रहा है और तो और हमारे खुद के देश भारत में भी एक मिनि सऊदी अरब बस चुका है। भारत के किस कोने में आज भी सऊदी अरब के नियमों का पालन किया जा रहा है। पीएम मोदी की सत्ता में सऊदी का डंका कहा बजता है।

26 Mar, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:02 AM )
पीएम मोदी के रहते भारत के किस कोने में बजता है सऊदी अरब का डंका ?

सऊदी की दुनिया में एक भी नदी नहीं है लेकिन तेल का अकूत भण्डार है। यहाँ तेल से ज़्यादा पानी महंगा है, खाने में यहाँ के लोग बेबी ऊंट का मांस ज़्यादा पसंद करते हैं। सार्वजनिक रूप से शराब के निर्माण, बिक्री, रखने और सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। यहाँ जादू-टोना प्रतिबंधित है जो कि यहाँ खजूर की पैदावार AI क्वालिटी की होती है, इस कारण यहां से भारी तादाद में खजूर Export होते हैं। सऊदी अरब की दुनिया ऐसी है कि अगर कुछ ग़लत करते हुए पाये गये, तो सीधा गर्दन कट जाती है। शरिया पर चलने वाला सऊदी अरब अब किंग सलमान की लीडरशिप में खुद को कट्टरता की बेड़ियों से मुक्त कर रहा है। विश्व पटल पर एक नया सऊदी अरब खड़ा हो रहा है और तो और हमारे खुद के देश भारत में भी एक मिनि सऊदी अरब बस चुका है। भारत के किस कोने में आज भी सऊदी अरब के नियमों का पालन किया जा रहा है। पीएम मोदी की सत्ता में सऊदी का डंका कहा बजता है। 

दुनिया के नक़्शे पर मौजूद सऊदी अरब, इकलौता ऐसा इस्लामिक देश है, जहां की ज़मीन पर जन्नत का दरवाज़ा खुलता है। यहाँ का मक्का मदीना मुसलमानों का एक ऐसी तीर्थ स्थल है, जहां जाने की हसरत दुनिया के हर मुसलमान के दिल में होती है। इस्लाम की दुनिया में मक्का मदीना का क्या अस्तित्व है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये, आज से लगभग 1400 साल पहले मक्का की बुनियाद रखने वाले कोई और नहीं बल्कि ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद रहे। चारों तरफ़ मस्जिदों से घिरे मक्का में होने वाली हज यात्रा में लाखों की संख्या में मुसलमानों की भीड़ उमड़ती है। यहाँ आकर अल्ला की इबादत करना, मक्का में मौजूद पैगंबर के पद चिन्हों के दर्शन करना, शैतान को पत्थर मारना, हज यात्रा का हिस्सा है। इसी के चलते  अन्य खाड़ी देशों की तुलना में यहाँ रमज़ान ग्रैंड लेवल पर सेलिब्रेट किया जाता है चूंकि इस्‍लाम में ईद का त्‍योहार मनाने की तारीख चांद दिखने से तय होती है, जिस कारण ईद का चाँद सबसे पहले सऊदी अरब में देखा जाता है। ईद मनाने की टाइमिंग दुनियाभर में अलग-अलग है भौगोलिक स्थिति के कारण  सऊदी अरब में भारत से एक दिन पहले ईद मनाई जाती है लेकिन भारत का एक हिस्सा ऐसा है, जहां सऊदी अरब की टाइमिंग पर ही ईद मनाई जाती है..या फिर यूँ कहें कि भारत के इस हिस्से में सऊदी अरब वाले नियमों का पालन किया जाता है। क्या है ये पूरा मामला आईये आपको बताते हैं..


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खाड़ी देशों में शुमार सऊदी अरब भारत से कोसो मील दूर है, दूरियों का ये फ़ैसला और समय में करीब 4 घंटे का अंतराल, लिहाजा कई बार भारत में ईद का चांद एक दिन नजर आता है और फिर उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है लेकिन केरल भारत का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां ईद सऊदी अरब के अनुसार मनाई जाती है, इसके पीछे दो कारण है पहला कारण है, तटीय राज्य होने की वजह से केरल में चंद्र कैलेंडर के 29वें दिन चंद्रमा दिखाई दे जाता है। अक्‍सर यह तारीख सऊदी अरब से मेल खाती है।और दूसरा कारण है, मुस्लिम बहुल होने के चलते केरल की आधी से ज़्यादा आबादी सऊदी अरब में काम करने जाती है, जिस कारण यहाँ के लोग सऊदी अरब के साथ ईद मना लेते हैं। इन्हीं कारणों के चलते ये कहा जाता है कि केरल में सऊदी अरब का नियम चलता है।मतलब ये कि भारत में मिनी सऊदी अरब।

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