गया जी के अलावा वो कौन सा पवित्र तीर्थ है जहां श्रीराम ने भी किया था श्राद्ध, श्रीकृष्ण और पांडवों ने किया था पितरों का तर्पण
गया जी के अलावा एक और ऐसा पवित्र तीर्थ स्थल है जहां श्रीराम ने अपने पितरों का श्राद्ध किया, श्रीकृष्ण और पांडवों ने पितरों की शांति के लिए तर्पण किया और ब्रह्मा जी ने महायज्ञ कर इस जगह को तीर्थ क्षेत्र बनाया. यह जगह न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. इस जगह के बारे में कई ऐसी बातें हैं जिन्हें जानकर आपके मन में उठ रहे सवालों का उत्तर मिल जाएगा. तो सभी जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें…
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हिन्दू धर्म में गया जी का विशेष महत्व है. पितृपक्ष के दौरान तो इस तीर्थ स्थल का महत्व और बढ़ जाता है. यहां पितृपक्ष के दौरान देश-विदेश से लोग आकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि गया जी के ही समान एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां श्रीराम, श्रीकृष्ण और पांडवों ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्मकांड किए थे. आइए इस खास तीर्थ क्षेत्र के बारे में आपको भी बताते हैं.
PC: Twitter/@WalterJLindner
शास्त्रों में भी मिलता है वर्णन
गया जी के ही समान इस खास तीर्थ क्षेत्र को ब्रह्मा क्षेत्र पुष्कर कहलाता है. यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां श्रीराम और श्रीकृष्ण ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध किया था. पुष्कर तीर्थ क्षेत्र का जिक्र पद्म पुराण में भी देखने को मिलता है. मान्यता है कि जब भगवान विष्णु की नाभी से कमल उत्पन्न हुआ और जिससे ब्रह्मा जी प्रकट हुए, वहीं पद्म पुष्प जब इस पावन क्षेत्र पर गिरा तो इसका निर्माण हुआ और आज यह पावन क्षेत्र ब्रह्मा क्षेत्र पुष्कर के नाम से जाना जाता है.
ब्रह्मा जी ने क्यों किया था महायज्ञ?
बता दें कि इस पवित्र धरा पर ब्रह्मा जी ने भी आदिकाल में महायज्ञ का आयोजन किया था. पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण के अनुसार, राक्षस वज्रनाश के उत्पात को समाप्त करने के लिए इस महायज्ञ का आयोजन किया था. चलिए इससे जुड़ी एक कथा के अनुसार भी आपको बताते हैं.
ब्रह्मा जी से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने वज्रनाश का वध किया था तब उनके हाथ से तीन कमल गिरे जिससे तीन सरोवरों की उत्पत्ति हुई. ये सरोवर हैं मध्य पुष्कर, पुष्कर सरोवर, और कनिष्ठ पुष्कर. तब इस महायज्ञ को समाप्त करने के लिए ब्रह्मा जी ने पुष्कर को चुना था. लेकिन यज्ञ के दौरान उनकी पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंचीं तब उन्होंने स्थानीय गुर्जर कन्या गायत्री से विवाह कर लिया. जिससे क्रोधित होकर सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि उनकी पूजा अब सिर्फ पुष्कर में ही की जाएगी. वहीं इस धरा पर इस महायज्ञ के कारण पुष्कर को तीर्थ राज का दर्जा मिला और इसलिए ही यहां तर्पण, पिंडदान और मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.
पुष्कर मेला किस महीने में लगता है?
कार्तिक मास में आयोजित होने वाला पुष्कर मेला विश्व में बहुत प्रसिद्ध है. यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. यह मेला ऊंटों, घोड़ों और राजस्थानी संस्कृति के प्रदर्शन के लिए जाना जाता है. इसके अलावा बता दें कि इस स्थान में पांडवों द्वारा बनाया गया शिव मंदिर भी स्थित है जो इस क्षेत्र को और खास बनाता है. साथ ही यहां की एक और अच्छी बात यह है कि यह स्थान शुद्ध शाकाहारी है. मांसाहार और शराब यहां निषिद्ध है.
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