इंदिरा एकादशी में व्रत करने से मिलेगी पितरों को शांति, जन्म-जन्मांतर के पाप होंगे दूर, जानें शुभ मुहूर्त और उपाय
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत रखे जाते हैं. उनमें से एक है इंदिरा एकादशी का व्रत. जिसे रखने मात्र से ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है, जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और कन्यादान जितना पुण्य भी प्राप्त होता है. लेकिन इस व्रत का जिक्र किस पुराण में है? इस व्रत के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए किन उपायों को करें? इस दौरान किन मंत्रों का जाप करें? यह सभी जानकारी जानने के लिए आगे पढ़ें…
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का व्रत सनातन धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार ये एकादशी आज यानी बुधवार को मनाई जाएगी. यह व्रत पितरों की आत्मा को भी शांति देता है. लेकिन आप भी सोच रहे हैं कि यह व्रत कैसे करें. किस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करें? तो आइए इसके बारे में भी जानते हैं…
इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेंगे. दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:15 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा. इस समयावधि में शुभ कार्यों से बचना चाहिए.
आखिर क्यों रखा जाता है इंदिरा एकादशी व्रत?
गरुड़ पुराण के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट करता है और मृत्यु के बाद आत्मा को उच्च लोक में स्थान दिलाता है. यह व्रत पितरों को नरक से मुक्ति दिलाकर वैकुंठ लोक की प्राप्ति कराता है. इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है.
इंदिरा एकादशी व्रत का जिक्र किस पुराण में है?
पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को करने से कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो व्रती को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है. इसलिए अगर आप यह व्रत रखते हैं तो आपको भी पुण्य प्राप्त हो सकता है.
इंदिरा एकादशी पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए किन उपायों को करें?
इंदिरा एकादशी पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई सरल और प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं. एक काले कपड़े में रखकर काले तिल और दाल गाय को खिलाना पितरों को तृप्त करता है. पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है.
इंदिरा एकादशी पर किन मंत्रों का जाप करें?
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विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ और 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप पितरों की आत्मा को शांति देता है. इसके अतिरिक्त, जरूरतमंदों को घी, दूध, दही और चावल का दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है. यह पवित्र दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से न केवल पूर्वजों को मुक्ति मिलती है, बल्कि व्रती का जीवन भी कल्याणमय बनता है.
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