प्रेमानंद महाराज को लेकर जगतगुरु रामभद्राचार्य को फलाहारी बाबा ने दिखाया आईना!
जगतगुरु ने न तो प्रेमानंद महाराज का अपमान किया है, न मज़ाक उड़ाया है और न ही उनके खिलाफ कुछ कहा है. लेकिन चमत्कार को लेकर दिया गया उनका चैलेंज संत समाज में हलचल पैदा कर गया. फलाहारी बाबा ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और मामला अचानक गरमा गया. चित्रकूट से लेकर वृंदावन की कुंज गलियों तक अब चर्चा यही है कि चमत्कार पर संत की चुनौती का क्या अर्थ निकलता है.
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जगतगुरु ने ना ही प्रेमानंद महाराज का अपमान किया है. जगतगुरु ने ना ही प्रेमानंद महाराज का मज़ाक उड़ाया है. और जगतगुरु ने ना ही प्रेमानंद महाराज के ख़िलाफ बोला है. लेकिन चमत्कार पर चैलेंज क्या किया कि देश का संत समाज भड़क उठा और फलाहारी बाबा नाम का बम फट पड़ा. चित्रकूट से लेकर वृंदावन की कुंज गलियों तक चर्चा है कि चमत्कार पर संत की यह चुनौती आखिर क्या कहती है. इसी पर देखिए आज की खास रिपोर्ट.
फलाहारी बाबा क्यों आए सामने?
दो बड़ी आध्यात्मिक शख्सियत आमने-सामने क्या आईं, संत समाज में हड़कंप मच गया. तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने चमत्कार के नाम पर वृंदावन के प्रेमानंद महाराज को चैलेंज क्या किया, संतों के बीच नाराज़गी देखने को मिली. आलम यह है कि फलाहारी बाबा को सामने आना पड़ा. इस पूरे मामले की गंभीरता को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि एक तरफ जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य हैं, जिनकी गवाही ने अदालत में 441 शास्त्र प्रमाण के साथ राम जन्मभूमि पर मंदिर के होने का सबूत दिया. वे 22 भाषाओं के ज्ञाता हैं, 100 से ज्यादा ग्रंथों के रचनाकार हैं और दूरगामी दृष्टि के जनक हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मित्रता है तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए वे गुरु समान हैं.
75 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते स्वामी रामभद्राचार्य ने समाज, ज़रूरतमंदों और दिव्यांगजनों के लिए ऐसे-ऐसे असाधारण कार्य किए हैं कि भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया है. वहीं दूसरी ओर, जो लोग प्रेमानंद महाराज के परिचय से अनजान हैं, उन्हें बता दें कि वृंदावन की कुंज गलियां जिनकी पहचान हैं, वहीं राधा रानी के परम भक्त प्रेमानंद महाराज का आश्रम है. संन्यासी की इस कुटिया में जो भी आता है, वह स्वयं को धन्य मानता है. अपना संपूर्ण जीवन राधा रानी के चरणों में समर्पित करते हुए प्रेमानंद महाराज लंबे समय से अपने आध्यात्मिक प्रवचनों से आम जनमानस का जीवन संवार रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि खराब किडनी के बावजूद जीवित रहना यदि राधा रानी के प्रति उनकी भक्ति का चमत्कार है, तो दूसरी ओर उनके दरबार में उमड़ता जनसैलाब उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है. प्रेमानंद महाराज के अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और उनके चाहने वाले उनकी एक झलक पाने को हमेशा लालायित रहते हैं.
प्रेमानंद से द्वेष नहीं: रामभद्राचार्य
सौ बात की एक बात यह है कि ये दोनों ही आध्यात्मिक शख्सियत आम जनमानस के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध हैं. इसी प्रसिद्धि के बीच एक इंटरव्यू में जब लोगों द्वारा प्रेमानंद महाराज को चमत्कार बताया गया, तो उस पर कटाक्ष करते हुए जगतगुरु ने खुला चैलेंज दे दिया. प्रेमानंद महाराज को अपना बालक समान बताते हुए जगतगुरु ने उन्हें चुनौती दी. जगतगुरु ने कहा, "कोई चमत्कार नहीं है. यदि चमत्कार है तो मैं चैलेंज करता हूं कि प्रेमानंद जी मेरे सामने एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखा दें. या फिर मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझा दें. मैं आज खुलकर कह रहा हूं. वे तो मेरे बालक जैसे हैं, उम्र में भी. शास्त्र जिसका ज्ञान हो, वही असली चमत्कार है. मैं फिर कह रहा हूं, यह वृंदावन है, ब्रज अयोध्या है, सब हैं. लेकिन मैं प्रेमानंद से द्वेष नहीं रखता. वे मेरे लिए बालक समान हैं. मैं उन्हें न विद्वान कह रहा हूं, न साधक, न चमत्कारी. चमत्कार उसी को कहते हैं जो शास्त्रीय चर्चा में सहभागी हो. यदि प्रेमानंद जी 'राधा बल' या 'राधा सुधा' के किसी श्लोक का अर्थ ठीक से बता दें, तो वही सच्चा चमत्कार कहलाएगा."
प्रेमानंद महाराज के संदर्भ में जगतगुरु के दिए गए बयान के अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. जिन लोगों ने जगतगुरु पर आपत्ति जताई है, उनमें से एक हैं – निदेश फलाहारी बाबा. वही फलाहारी बाबा, जिन्होंने 2022 से ईदगाह न हटने तक अन्न त्याग दिया और जूते-चप्पल पहनना छोड़ दिया. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में अदालत में याचिका दायर करने वाले भी यही हैं. ब्रज की होली में मुस्लिमों की एंट्री पर रोक और मथुरा ईदगाह में नमाज़ पर बैन की मांग भी वे पहले उठा चुके हैं. और अब यही फलाहारी बाबा जगतगुरु के बयान की निंदा कर रहे हैं.
फलाहारी बाबा ने कहा – "रामभद्राचार्य को अपने ज्ञान का अहंकार हो गया है. इतना अहंकार तो रावण को भी नहीं था. प्रेमानंद महाराज जैसे दिव्य संत के बारे में ऐसी टिप्पणी निंदनीय है. अरे प्रेमानंद जी ने तो करोड़ों सनातनी हिंदुओं को सनातन धर्म से जोड़ा है. अपने नाम पर उन्होंने कभी कोई संपत्ति नहीं खरीदी. वे किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं, फिर भी राधा नाम में ऐसे डूब जाते हैं कि अपनी बीमारी तक भूल जाते हैं. ऐसे सच्चे संत की बुराई करना बेहद निंदनीय है. संत समाज इनके खिलाफ घोर विरोध करेगा."
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