Advertisement

शनि प्रदोष व्रत पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, इन उपायों से दूर करें साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव और जानें पूजन विधि

अक्टूबर के महीने में दो बार शनि प्रदोष पड़ने वाला है. ये समय शनि देव और भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद खास है क्योंकि इस दौरान आप कुछ उपायों को करके साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं. अपने सोए हुए भाग्य को जगा सकते हैं. सही विधि से पूजा अर्चना करके शनिदेव को खुश भी कर सकते हैं.

Author
03 Oct 2025
( Updated: 11 Dec 2025
12:04 AM )
शनि प्रदोष व्रत पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, इन उपायों से दूर करें साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव और जानें पूजन विधि

साल 2025 के अक्टूबर में पड़ने वाला प्रदोष व्रत बेहद शुभ और खास है. यह समय महादेव और शनिदेव की कृपा पाने के लिए अच्छा है. क्योंकि इस बार यह व्रत शनिवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. मान्यता है कि इस दौरान व्रत और पूजन से शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है. लेकिन अब सवाल उठता है कि पूजन और व्रत का सही तरीका क्या है? किन उपायों से शनिदेव की कृपा पाई जा सकती है? आइए जानते हैं…

अक्टूबर में शनि प्रदोष व्रत की शुभ तिथियाँ 

हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्टूबर 2025 में त्रयोदशी तिथि दो बार पड़ने से यह व्रत महीने में दो बार रखा जाएगा. पहला व्रत 4 अक्टूबर, यानी कल, पड़ रहा है, वहीं दूसरा व्रत 18 अक्टूबर को रखा जाएगा.

इस तरह करें शनि प्रदोष व्रत में पूजा-अर्चना 

व्रत वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएँ. घर की साफ-सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त हो जाएँ. स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत रखने का संकल्प लें. हाथ में जल, फूल लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. मंदिर में शिव परिवार और भगवान शनि की पूजा के बाद अपनी गलतियों की माफी माँगें. पूरे दिन फलाहार का सेवन करें. शाम के समय स्वच्छ होकर एक चौकी पर शिव परिवार की पूजा करें. भगवान शिव को बेलपत्र, आक के फूल और शमी के पत्ते अर्पित करें. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार भी अर्पित कर सकते हैं. इसके अलावा, शनिदेव की पूजा के बाद शनि चालीसा का पाठ अवश्य करें. इसके बाद सबका आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोल लें. 

इन उपायों से दूर होंगी हर मुश्किलें! 

यदि आपके जीवन में परेशानियाँ चल रही हैं, तो आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इन उपायों को कर सकते हैं.

  • शनि प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर काले तिल अवश्य चढ़ाएँ. ऐसा करने से महादेव और शनिदेव की कृपा बनी रहेगी. 
  • शनि मंदिर में जाकर शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक भी जलाएँ. 
  • साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करें. 
  • इस दिन सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ के नीचे साफ पानी में काले तिल मिलाकर अर्पित करें. इससे जीवन में आ रही परेशानियाँ खत्म होती हैं. 
  • गरीबों को उड़द की दाल, कपड़े और अन्न का दान अवश्य करें. इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. 

शनि प्रदोष के दिन किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी? 

यह भी पढ़ें

शनि प्रदोष व्रत के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि ईश्वर को प्रसन्न करने में कोई कमी न रहे. 

  • इस दौरान नीले रंग के वस्त्र अवश्य पहनें, क्योंकि शनिदेव को नीला रंग बहुत प्रिय है. 
  • इस दिन किसी व्यक्ति या किसी जानवर का दिल न दुखाएँ. 
  • इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्वच्छता अवश्य बनाए रखें. 
  • प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन करने से परहेज करें. 
  • अपने मन में किसी के प्रति घृणा या बुरे विचार न लाएँ. 
  • व्रत करने का अहंकार न करें, क्योंकि शनिदेव को अहंकारी व्यक्ति बिल्कुल पसंद नहीं है.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें