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Devshayani Ekadashi 2025: इस एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

सभी एकादशियों में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, विशेष महत्व रखती है. इस दिन व्रत, पूजा और दान-पुण्य करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है. जानिए देवशयनी एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए

30 Jun, 2025
( Updated: 01 Jul, 2025
12:35 PM )
Devshayani Ekadashi 2025: इस एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत रखने की परंपरा है. इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. सभी एकादशियों में आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, विशेष महत्व रखती है. इस दिन व्रत, पूजा और दान-पुण्य करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है.


इसलिए खास मानी जाती है देवशयनी एकादशी
धार्मिक दृष्टि से यह एकादशी इसलिए विशेष देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है. इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को जागते हैं. धार्मिक दृष्टि से यह एकादशी बेहद पवित्र मानी जाती है, लेकिन इस दिन कुछ कार्यों से बचना जरूरी होता है, ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके.

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देवशयनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम
1- एकादशी के दिन चावल, दाल, गेहूं, मांस-मदिरा, प्याज-लहसुन और अन्य तामसिक (उत्तेजना बढ़ाने वाले) पदार्थों का सेवन वर्जित माना जाता है. व्रत रखने वाले और श्रद्धालु इस दिन सात्विकता बनाए रखने के लिए केवल फलाहार (फल, दूध, सूखे मेवे आदि) का सेवन करते हैं. इस परंपरा का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध रखना और भगवान की भक्ति में ध्यान केंद्रित करना होता है.
2- यह दिन उपासना, साधना और आत्मचिंतन के लिए होता है. ऐसे में दिनभर सोना या अत्यधिक आराम करना अनुचित माना जाता है, क्योंकि इससे व्रत का प्रभाव और मिलने वाला पुण्य कम हो सकता है.
3- इस दिन वाणी और व्यवहार में संयम रखना अत्यंत आवश्यक होता है. झगड़े, कठोर या अपशब्दों का प्रयोग करने से व्रत की पवित्रता भंग हो सकती है. शांत चित्त और प्रेमपूर्ण व्यवहार से ही एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
4- एकादशी जैसे पवित्र दिन पर किसी को धोखा देना, झूठ बोलना या किसी की निंदा करना धर्म और व्रत की मर्यादा के विरुद्ध माना जाता है. ऐसे कर्म व्रत की शुद्धता को भंग करते हैं और पुण्य की प्राप्ति में बाधा बनते हैं.
5- एकादशी के दिन शरीर से जुड़ी किसी भी प्रकार की छेड़छाड़, जैसे बाल या नाखून काटना, धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध और अनुचित माना जाता है. यह दिन पूर्णतः पवित्रता, संयम और आत्मशुद्धि को समर्पित होता है, इसलिए ऐसे कार्यों से परहेज करना श्रेयस्कर होता है.
6- देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभ आरंभ होता है, जो कि चार माह की धार्मिक अवधि होती है. इस समय को आध्यात्मिक साधना और संयम के लिए समर्पित माना गया है. चातुर्मास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों का आयोजन वर्जित होता है.
देवशयनी एकादशी के दिन उपवास रखना, भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा करना, दान-पुण्य करना और संयमित जीवन शैली अपनाना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है. यदि इन नियमों का पालन श्रद्धा और निष्ठा से किया जाए, तो इस पावन तिथि का सम्पूर्ण आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

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