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Chhoti Diwali 2025: अभ्यंग स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त से विधि तक, जानें सबकुछ!

छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं, दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है. छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानें छोटी दिवाली 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त और इस शुभ उत्सव के पीछे की कहानी.

19 Oct, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
07:45 PM )
Chhoti Diwali 2025: अभ्यंग स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त से विधि तक, जानें सबकुछ!
देश भर में दीवाली का जश्न मनाना शुरु हो गया है, धनतेरस के साथ शुरु हुआ ये पर्व भाई दूज पर समाप्त होगा. दीवाली के दिन पहले पहले छोटी दीवाली मनाई जाती है. छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं, दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मनाई जाती है. छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. 
 
छोटी दिवाली 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त 
 
 इस दिन नकारात्मकता को दूर भगाने और सौभाग्य को आमंत्रित करने के लिए यम का दीया जलाया जाता है.  कुछ क्षेत्रों में, लोग धनतेरस पर भी यम का दीया जलाते हैं. घर रंगोली, दीयों और मिठाइयों से जगमगा उठते हैं, जिससे दिवाली का हफ्ता सचमुच उत्सवमय हो जाता है. आइए जानें छोटी दिवाली 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त और इस शुभ उत्सव के पीछे की कहानी. 
 
छोटी दिवाली 2025 तिथि और दिन
 
2025 में, चतुर्दशी तिथि भारत में 19 अक्टूबर (रविवार) दोपहर 1:53 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर (सोमवार) दोपहर 3:46 बजे तक रहेगी. कई क्षेत्रों में नरक चतुर्दशी सोमवार, 20 अक्टूबर, 2025 को मनाई जाती है, क्योंकि यह तिथि 20 तारीख की सुबह से ही सक्रिय हो जाती है. 
 
छोटी दिवाली पूजा मुहूर्त 2025
 
पूजा का शुभ मुहूर्त – 19 अक्टूबर को शाम 5:47 मिनट से शुरू
 
छोटी दिवाली की पूजा सूर्यास्त के बाद ही की जाती है. ऐसे में आप शाम 6 बजे के बाद से 9 बजे तक आप पूजा-पाठ कर सकते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण, माता लक्ष्मी, यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है.
 
अभ्यंग स्नान मुहूर्त
 
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को प्रातः 5:13 से 6:25 तक. चतुर्दशी तिथि के दिन सुबह-सुबह तेल स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 
 
नरक चतुर्दशी की पूजा कैसे करें?
 
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर की साफ-सफाई करें. पूजा स्थल पर स्वास्तिक बनाएं.
 
पूजा स्थल पर मिट्टी का आसन बिछाएं. कलश में गंगा जल भरें, ऊपर नारियल रखें. कलश को स्वास्तिक पर स्थापित करें.
 
सबसे पहले गणेशजी का ध्यान करें. "ॐ गणेशाय नमः" मंत्र से 108 बार जपें. फिर माता लक्ष्मी का आह्वान करें. 
              
धन्वंतरि चित्र स्थापित करें.
 
चंदन-कुमकुम से तिलक लगाएं.
 
फूल, बेलपत्र चढ़ाएं.
 
 "ॐ नमो भगवते धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय सर्वामयविनाशनाय त्रयंबकाय मृत्युंजयाय नमः" (21 बार जपें).
 
पंचामृत से अभिषेक करें.
 
यमराज पूजन (नरक मुक्ति के लिए):
 
यमराज चित्र रखें.
 
14 दीपक जलाएं (प्रत्येक दिशा में 2).
 
 "ॐ यमाय नमः" (21 बार).
 
काले तिल, सरसों का तेल चढ़ाएं. (नोट: महिलाएं यम पूजन न करें, केवल पुरुष करें.)
 
नरक चतुर्दशी पर कितने दीपक जलाएं 
 
14 दीपक मुख्य द्वार पर जलाएं (उत्तर दिशा की ओर मुंह)
 
एक दीपक यम के लिए तिल के तेल का जलाएं.
 
आरती करें: "ॐ जय जगदीश हरे”.
 
नई खरीदी वस्तुएं (सोना, बर्तन) पूजा में रखें.
 
दान दें: ब्राह्मण को दूध, तेल, नमक दान करें. 
 
आरती और विसर्जन
 
पूर्ण आरती के बाद प्रसाद बाटें.
 
कलश जल को घर में छिड़कें.
 
छोटी दीवाली पर करें ये उपाय 
 
यह असुर नरकासुर पर श्री कृष्ण की विजय और प्रकाश एवं अच्छाई की वापसी का प्रतीक है. छोटी दिवाली पर सूर्योदय के समय तिल का तेल लगाकर स्नान करने से भगवान कृष्ण की कृपा मिलती है.
 
नरक चतुर्दशी पर क्या हुआ था?
 
परंपरा के अनुसार, श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया. यह दिन हमें अहंकार, क्रोध और आलस्य को दूर कर प्रकाश, ज्ञान और दया का स्वागत करने की याद दिलाता है. 
 
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. NMF NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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