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Bhai Dooj 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार? इस दिन का यमराज से क्या है कनेक्शन? जानें शुभ मुहूर्त

भाई दूज 2025 का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जब बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी. लेकिन आखिर कैसे ये त्योहार मनाने की परंपरा शुरु हुई? इस दिन का यमराज से क्या है कनेक्शन? जानें शुभ मुहूर्त

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23 Oct 2025
( Updated: 11 Dec 2025
01:50 PM )
Bhai Dooj 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार? इस दिन का यमराज से क्या है कनेक्शन? जानें शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन के रिश्तों को मजबूती देने वाला भाई दूज का त्योहार बेहद ही खास और महत्वपूर्ण है. इस बार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनके मंगल की कामना करती हैं. उन्हें कलावा बांधती हैं और ईश्वर से उनकी रक्षा की प्रार्थना भी करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार? आखिर क्यों बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं. इस दिन का यमराज से क्या कनेक्शन है? आइए विस्तार से जानते हैं…

आखिर क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन यमराज की बहन यमुना ने अपने भाई यानी यमराज को अपने घर बुलाकर स्वागत किया था. उन्होंने स्वादिष्ट भोजन कराकर उनकी मंगल की कामना की, जिससे यमराज ने खुश होकर यमुना को वरदान दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी और भाई अपनी बहन को उपहार देगा, तो उसे लंबी आयु, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. साथ ही दुर्भाग्य से मुक्ति भी मिलेगी. इसी वजह से इस दिन बहन अपने भाई का तिलक कर उन्हें गोला देती हैं. लेकिन इस बार भाई दूज का शुभ मुहूर्त क्या है? आइए इसके बारे में भी जानते हैं. 

भाई दूज का शुभ मुहूर्त कब है? 

हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025 को रात 08 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 23 अक्टूबर 2025 को रात 10 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगा. यह मुहूर्त 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आप इस त्योहार को मना सकते हैं. 

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भाई दूज का त्योहार मनाने का सही तरीका 

  •  सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई और स्नान आदि से मुक्त हो जाएं. 
  • पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद दीया प्रज्वलित करें. 
  • थाल में रोली, चंदन, अक्षत यानी चावल, मिठाई और सूखा नारियल, जिसे आम भाषा में गोला कहा जाता है उसे रखें. 
  • इसके बाद बताए गए शुभ मुहूर्त पर अपने भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठाएं. 
  • माथे पर रोली और चंदन का तिलक लगाकर अक्षत भी लगाएं. 
  • सूखा नारियल देकर मिठाई खिलाएं. इसके बाद यमराज और यमुना की कथा पढ़ें. 
  • अपने भाई के मंगल और रक्षा की प्रार्थना कर उनकी अनजाने में की गई गलतियों की क्षमा मांगें. 
  • इस दिन बहनें अपने भाई को आशीर्वाद भी देती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा और हमेशा सहायता करने का वचन देते हैं.

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