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नूपुर शर्मा के बाद पैगंबर पर बोलना महंत रामगिरि को पड़ा भारी

नूपुर शर्मा के बाद महंत रामगिरि की बारी ! रामगिरि महाराज की बढ़ीं मुश्किलें शिंदे सरकार की वफ़ादारी दिखेंगी या फिर धोखा ?विरोध के बीच दिखी कट्टरपंथी ताक़तें।

21 Aug, 2024
( Updated: 05 Dec, 2025
06:01 AM )
नूपुर शर्मा के बाद पैगंबर पर बोलना महंत रामगिरि को पड़ा भारी

आज की डेट  में नूपुर शर्मा से पूरी इस्लामिक दुनिया परिचित हैक्योंकि 18 महीने पहले एक टीवी चैनल की डिबेट में नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी,  जिसके चलते इस्लामिक देशों से लेकर देश की विपक्षीय पार्टियों ने इनका पुर ज़ोर विरोध किया। इनके ख़िलाफ़ सर तन से जुदा नारे लगे कथित कट्टरपंथी ताक़तें सड़कों पर उतर आईं। इन्हें जान से मारने की धमकियाँ मिलने लगी, जिसके बाद नूपुर शर्मा को ना सिर्फ़ सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगनी पड़ी बल्कि पार्टी से भी उन्हें निकाल दिया गया और अब इसी कड़ी में अगला नंबर क्या महंत रामगिरि महाराज का है क्योंकि नूपुर शर्मा के बाद अब सर तन से जुदा ताक़तें महंत सरला द्वीप के मठाधीश रामगिरि के पीछे पड़ चुकी है।नबी की शान में महंत रामगिरि महाराज ऐसी क्या गुस्ताखी कर बैठे हैं, जिसके चलते कई मौलाना से लेकर वारिस पठान तक, उनके हाथ धोकर पीछे पड़ गये हैं। इस पूरे मामले का सच क्या है।

महाराष्ट्र का नासिक जिला यहीं के शाह पंचाले गाव में धर्म गुरु रामगिरि महाराज का एक धार्मिक आयोजन हुआऔर इसी आयोजन में रामगिरि महाराज ने पैगंबर पर कथित रूप से कुछ ऐसा कहा, जिसे लेकर महाराष्ट्र में बवाल मच गया। AIMIM पार्टी के नेता वारिस पठान हो मुस्लिम धर्म गुरु हो या फिर कट्टरपंथी ताक़तें, हर कोई महंत रामगिरि महाराज की गिरफ़्तारी की माँग कर रहा है।शहर को चक्का जाम करने की कोशिश की गई। सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया गया। श्रीरामपुर, संगमनेर, अहमदनगर, और छत्रपति संभाजीनगर। कई जगह सड़कों पर प्रदर्शन किये गए। कई थानों में 302 के तहत मामला दर्ज किया गया। महंत रामगिरि पर लगने वाले इन आरोपों की सच्चाई क्या है, ये जानने से पहले इस मसले पर वारिस पठान का क्या कहना है। 

18 महीने पहले जिस तरह नूपुर शर्मा को टार्गेट किया गया। आज उसी तरह महंत रामगिरि महाराज को दोषी बनाया जा रहा है। उन्होंने पैंगबर क्या बोला, इसका वीडियो फ़िलहाल उपलब्ध नहीं है, लेकिन अपने सफ़ाई में उनका क्या कहना है। 

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मेरे शब्द विवादित नहीं है। उसे विवादित बनाया रहा है। मेरा प्रवचन डेढ़ घंटे का था। उस डेढ़ घंटे के प्रवचन में मैं भीष्म पितामह और युधिष्ठिर जी का संवाद बता रहा था। जब कृष्ण जी भीष्म पितामह से मिलने जाते हैं तो भीष्म पितामह उन्हें धर्म का उपदेश देते हैं। उसमें राजनीति का उपदेश देते हैं। राजधर्म बताते हैं।इसी चर्चा में बात निकली बांग्लादेश की, क्योंकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। महिलाओं से बलात्कार हो रहा है और हिंदू पलायन के लिए तत्पर है। वहाँ रहना नहीं चाहते, क्योंकि वहाँ नर्क जैसी स्थिति है। इस विषय पर चर्चा करते हुए हमने वो उदाहरण (जिस पर पैगंबर का अपमान बताकर बवाल किया जा रहा है) दिया था। इसका गलत अर्थ लगाकर इसे मुद्दा बनाया गया है।मुस्लिम लोगों को नाराज नहीं होना चाहिए। हमने जो कहा वो सत्य कहा है। जो कहा वो उनकी किताब में लिखा हुआ है। इसलिए नाराज होने की कोई आवश्यकता नहीं।

अब आप ये भी जान लीजिये। जिस धार्मिक आयोजन में स्वामी रामगिरि महाराज प्रवचन दे रहे थे, उसी में प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद थे, जिन्होंने इस पूरे विवाद में पहले ही साफ़ कर दिया है कि महाराष्ट्र में संतों को कोई छू भी नहीं सकता है…मतलब शिंदे सरकार रामगिरि महाराज के साथ खड़ी है। सौ बात की एक बात ये कि , एक धड़ ऐसा है, जो बिना कुछ सुने ये दावा कर रहा है कि प्रोफेट मोहम्मद की शान में गुस्ताखी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दूसरी तरफ़ ख़ुद स्वामी रामगिरि महाराज इस बात को स्वीकार रहे हैं कि उन्होंने कुछ भी विवादित नहीं बोला, इस्लामी किताबों में जिनका जिक्र है, उन्होंने वहीं कहा।इस पूरे मसले पर मुस्लिम समाज के लोगों की नाराज़गी समझ आती है, लेकिन सड़कों पर उत्पात मचाना ये समस्या का हल नहीं है। क़ानून के दायरे में रहकर ही दोषों को सज़ा दिलाई जा सकती है। ना की सर तन से जुदा नारे लगाकर । 

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