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माँ लक्ष्मी का ऐसा चमत्कारी मंदिर जहाँ दर्शन मात्र से दूर होती है धन से जुड़ी हर समस्या, दीपावली पर जरूर करें दर्शन

छत्तीसगढ़ में मौजूद है ऐसा चमत्कारी मंदिर जहां दर्शन मात्र से ही दूर होती हैं धन से जुड़ी हर समस्या. ये मंदिर अपनी भव्यता और अपने चमत्कारों के लिए भक्तों के बीच बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है. दीवाली पर यहां की भव्यता और ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि मंदिर में विराजमान मां लखनी देवी को मां लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है. आईये विस्तार से जानते हैं मंदिर से जुड़ी मान्यताएं.

03 Oct, 2025
( Updated: 10 Dec, 2025
03:55 AM )
माँ लक्ष्मी का ऐसा चमत्कारी मंदिर जहाँ दर्शन मात्र से दूर होती है धन से जुड़ी हर समस्या, दीपावली पर जरूर करें दर्शन

भारत में कई सारे मंदिर हैं जो सदियों पुराने हैं. जिनमें आज भी भक्तों को कई अलौकिक चमत्कार देखने को मिलते हैं. ये मंदिर भारत के लिए न सिर्फ सांस्कृतिक पहचान का केंद्र हैं बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था का भी प्रतीक हैं. ऐसा ही मंदिर है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से कुछ दूरी पर रतनपुर के पास घने जंगल और पहाड़ी में स्थित. ये मंदिर मां लखनी देवी के नाम से जाना जाता है और अपनी पौराणिक मान्यताओं की वजह से श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है. आईये आपको भी बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं और भक्तों की अटूट श्रद्धा के बारे में…

लखनी देवी मंदिर करीब 800 साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर को कलचुरी राजवंश के समय बनाया गया था. मान्यता है कि अगर आप कर्ज में हैं या आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं या पैसा हाथ में नहीं रुकता तो मां लखनी देवी के मंदिर में अर्जी लगाने से हर संकट दूर हो जाता है.

दीवाली में होती है विशेष पूजा 

इस मंदिर में खास तरह का श्री यंत्र है, जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. वहीं मां लखनी देवी को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना जाता है. दीवाली और अगहन के महीने में मां के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मां को पूजने के लिए गुरुवार के दिन को शुभ माना जाता है. कहते हैं कि गुरुवार मां लक्ष्मी का दिन होता है और इस दिन की गई पूजा फलदायी होती है.

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इसके पीछे एक कथा भी प्रचलित है. कहा जाता है कि कलचुरी राजा रत्नदेव तृतीय का राज्य अकाल और महामारी का शिकार हो गया था. राज्य में किसी के पास खाने के लिए दाना नहीं था, शाही राजकोष भी खाली हो गया था. इस समस्या से निजात पाने के लिए विद्वान पंडित ने राजा को मां लक्ष्मी का मंदिर बनवाने के लिए कहा. कहा जाता है कि मंदिर बनने के बाद राज्य में दोबारा खुशहाली आ गई. राज्य को महामारी और अकाल से मुक्ति मिल गई.

दीवाली पर सजता है मां का भव्य मंदिर

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इस मंदिर में मां लक्ष्मी का स्वरूप बहुत प्यारा है. यहां मां लक्ष्मी अष्टदल कमल पर विराजमान हैं और मंदिर के बाहर भगवान हनुमान और शिव की बड़ी प्रतिमा भी है, जो मंदिर की भव्यता को बढ़ाती है. दीवाली के मौके पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा और मंदिर को बहुत अच्छे से सजाया जाता है. इस दिन खास पूजा से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है.

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