पुलिस के 10,000 जवान, NSG कमांडो, ड्रोन्स और स्नाइपर्स... अभेद्य है पुरी रथ यात्रा की सुरक्षा, AI का भी होगा इस्तेमाल
ओडिशा के पुरी में 27 जून को होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया ने बताया कि रथा यात्रा में पहली बार NSG तैनात की जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह फैसला लिया गया है.
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ओडिशा के पुरी शहर में हर साल भव्य रूप से आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा इस बार भी पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ निकाली जा रही है. लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद को देखते हुए प्रशासन ने इस बार सुरक्षा के बेहद सख्त और हाईटेक इंतजाम किए हैं. करीब 10 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ-साथ NSG कमांडो, ड्रोन कैमरे, स्नाइपर्स और AI-आधारित भीड़ प्रबंधन प्रणाली जैसे अत्याधुनिक उपाय अपनाए गए हैं ताकि यात्रा शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न हो सके.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम: DGP
ओडिशा के पुरी में 27 जून को होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा (Puri Rath YATRA Security) के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया ने बताया कि रथा यात्रा में पहली बार NSG तैनात की जाएगी. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह फैसला लिया गया है. वहीं भीड़ मैनेजमेंट के लिए AI का इस्तेमाल किया जाएगा. इतिहास में पहली बार है जब रथ यात्रा में AI का इस्तेमाल किया जा रहा है. CCTV में भी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके जरिए ये पता लग सकेगा कि कौन कहां जा रहा है या कितनी भीड़ है. उसी के हिसाब से रूट डायवर्जन किए जाएंगे.
चैटबॉट की भी हुई व्यवस्था
पुरी रथ यात्रा में इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक चैटबॉट सिस्टम शुरू किया गया है. इसकी मदद से जो भक्त दर्शन के लिए पूरी आना चाहते हैं, वे पहले से ही जान सकेंगे कि उनके रास्ते में कोई रुकावट है या नहीं. अगर कहीं रास्ता बंद है, तो उन्हें डायवर्जन रास्तों की जानकारी भी मिलेगी. यही नहीं, जब श्रद्धालु पुरी या उसके आस-पास पहुंचेंगे, तो चैटबॉट उन्हें यह भी बताएगा कि कहां-कहां पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है और वहां जगह खाली है या नहीं. इस तकनीक की मदद से श्रद्धालु पहले से अपनी यात्रा बेहतर तरीके से प्लान कर सकेंगे और भीड़ या असुविधा से बच पाएंगे.
प्रमुख तिथियां और अनुष्ठान
12 जून – स्नान पूर्णिमा: 108 कलशों से भगवानों का पावन अभिषेक
13-26 जून – अनवसर काल: स्नान के पश्चात भगवान विश्राम में रहते हैं और दर्शन नहीं देते
26 जून – गुंडिचा मार्जना: रथ यात्रा के पूर्व गुंडिचा मंदिर की पवित्र सफाई
27 जून – रथ यात्रा दिवस: भव्य शोभायात्रा का आरंभ
1 जुलाई – हेरा पंचमी: देवी लक्ष्मी का अपने स्वामी को बुलाने मंदिर आगमन
4 जुलाई – बहुदा यात्रा: भगवानों की वापसी यात्रा
5 जुलाई – सुणा बेशा और नीलाद्री विजय: स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित भगवानों की पुनः मंदिर में प्रतिष्ठा
रथयात्रा को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
पुरी रथ यात्रा 2025 के लिए इस बार सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर स्तर पर पहुंचाया गया है. पहली बार नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) को रथ यात्रा के दौरान तैनात किया जा रहा है. NSG की क्विक एक्शन टीम और स्नाइपर्स संवेदनशील स्थानों पर मौजूद रहेंगे, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार रहेंगे.
सुरक्षा को लेकर एक सेंट्रल कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां सभी सुरक्षा एजेंसियों के सीनियर ऑफिसर 24x7 ड्यूटी पर तैनात रहेंगे. किसी भी असुविधा या आपात स्थिति की जानकारी मिलते ही तुरंत एक्शन लिया जाएगा. सभी इंटेलिजेंस इनपुट्स को ध्यान में रखते हुए खास सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इसके तहत रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), सीआरपीएफ (CRPF), और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवान भी डिप्लॉय किए जाएंगे. इन बलों को भीड़ नियंत्रण, आपात स्थितियों और संवेदनशील इलाकों की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है. पुरी में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 के लिए सुरक्षा को देखते हुए हाईटेक इंतजाम किए जा रहे हैं. ओडिशा के डीजीपी वाईबी खुरानिया ने बताया कि इस बार 10,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जा रहे हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना ज्यादा हैं. उन्होंने बताया कि थोड़ी-थोड़ी दूर पर व्यवस्था की गई है जिससे बच्चों और महिलाओं को हर तरह की मदद दी जा सके.
रथ यात्रा के अनुष्ठानों का गहन धार्मिक महत्व
छेड़ा पहाड़ा- पुरी के गजपति महाराज स्वयं सोने की झाड़ू लेकर रथों की सफाई करते हैं, यह संकेत है कि भगवान के समक्ष राजा और प्रजा समान हैं.
रथ खींचना- हजारों श्रद्धालु रस्सियों से लकड़ी के विशाल रथ खींचते हैं. यह भक्ति, सेवा और ईश्वर से जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है.
गुंडिचा यात्रा- तीनों विग्रह पुरी के श्रीमंदिर से निकलकर लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर (माता का मायका) में नौ दिन निवास करते हैं, जहां वे आम भक्तों को मुक्त रूप से दर्शन देते हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि- पुरी रथ यात्रा की परंपरा 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच आरंभ मानी जाती है. एक मान्यता के अनुसार यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अपनी माता के मायके जाने का प्रतीक है. वहीं, एक अन्य धारणा के अनुसार इसे राजा इन्द्रद्युम्न ने आरंभ किया था. कालांतर में गजपति राजाओं के संरक्षण में इस उत्सव को भव्यता मिली.
आधुनिक युग में रथ यात्रा
हर वर्ष यह उत्सव लाखों श्रद्धालुओं को पुरी खींच लाता है. लेकिन यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गर्व और आध्यात्मिक ऊर्जा का महासंगम है. टेलीविजन, यूट्यूब और सोशल मीडिया पर अब यह उत्सव विश्वभर में देखा जाता है, जिससे इसकी दिव्यता और महत्व वैश्विक रूप ले चुका है.
रथ यात्रा का समापन नीलाद्री विजय से होता है, जब भगवान वापस श्रीमंदिर में प्रवेश करते हैं और रथों का विधिवत विसर्जन कर अगले वर्ष के लिए तैयारियां शुरू हो जाती हैं.
सज गई भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी
भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी एक बार फिर तैयार है एक ऐसे उत्सव की गवाह बनने को, जो न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत रूप भी है. पुरी रथ यात्रा 2025 का शुभारंभ शुक्रवार, 27 जून को होगा. इस महोत्सव में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा भव्य रथों में सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर नौ दिवसीय यात्रा पर निकलते हैं.
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