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दिल्ली में आईएसआईएस साजिश नाकाम, स्पेशल सेल ने दो संदिग्ध आतंकियों को किया गिरफ्तार

गिरफ्तारी दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से हुई. फिलहाल, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम दोनों संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रही है, ताकि उनके मकसद और योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की जा सके.

24 Oct, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
05:14 PM )
दिल्ली में आईएसआईएस साजिश नाकाम, स्पेशल सेल ने दो संदिग्ध आतंकियों को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए आईएसआईएस से जुड़े दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकियों का नाम अदनान है. इनमें से एक दिल्ली का रहने वाला है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश का रहने वाला है.

दिल्ली पुलिस ने 2 संदिग्ध आतंकियों को किया गिरफ्तार

पुलिस के मुताबिक, दोनों संदिग्ध आतंकियों को फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी जा रही थी और उनका निशाना दिल्ली था. उन्होंने दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाकों में आईईडी ब्लास्ट जैसे हमले की योजना बनाई थी.

गिरफ्तारी दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से हुई. फिलहाल, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम दोनों संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रही है, ताकि उनके मकसद और योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की जा सके.

सितंबर में भी पांच संदिग्ध आतंकियों की हुई थी गिरफ़्तारी

इससे पहले, सितंबर में भी स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था, जिसमें कई राज्यों से पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार सभी आरोपियों की उम्र 20 से 26 वर्ष के बीच थी और उन्हें दिल्ली, झारखंड, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से पकड़ा गया था.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान झारखंड के बोकारो निवासी अशर दानिश (23), मुंबई के आफताब कुरैशी (25), महाराष्ट्र के मुंब्रा निवासी सूफियान अबुबकर खान (20), तेलंगाना के निजामाबाद निवासी मोहम्मद हुजैफ यमन (20) और मध्य प्रदेश के राजगढ़ निवासी कामरान कुरैशी (26) के रूप में हुई थी.

नेटवर्क का मास्टरमाइंड अशर दानिश था

पुलिस के अनुसार, इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड अशर दानिश था, जो खुद को 'गजवा लीडर' और 'सीईओ' कहता था. वहीं, आफताब कुरैशी का काम आतंकी गतिविधियों के लिए लक्ष्य तय करना था, जबकि हुजैफ यमन हथियार बनाने का काम करता था. इन लोगों ने अपने ग्रुप का नाम 'प्रोजेक्ट मुस्तफा' रखा था.

जांच में पता चला कि आरोपी सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर युवाओं को बरगलाते थे. वे खुद को एक एनजीओ की तरह पेश करते थे और धर्म के नाम पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहे थे. पुलिस के अनुसार, यह ग्रुप उन जगहों की तलाश में था, जहां वे जमीन खरीदकर अपनी गतिविधियों का केंद्र बना सकें. वे हथियार बनाने के लिए पैसे भी इकट्ठा कर रहे थे.

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