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अब दवाओं का लाइसेंस लेना होगा आसान, सरकार ला रही है नए नियम

सरकार ने यह साफ किया है कि ये प्रस्ताव अभी अंतिम नहीं है. इस पर देश के नागरिकों, वैज्ञानिकों, दवा कंपनियों और रिसर्च संस्थानों से राय मांगी गई है. सभी लोग 28 अगस्त से 30 दिन के अंदर अपनी प्रतिक्रिया या सुझाव भेज सकते हैं. आप चाहें तो इसमें बदलावों की कमियां, अच्छाइयां या कोई और जरूरी सुझाव भी दे सकते हैं.

Source: Medicines License

Medicines License: सरकार अब दवाओं की टेस्टिंग और रिसर्च से जुड़े नियमों को और सरल और तेज़ बनाने जा रही है. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने "न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019" में बदलाव का एक नया प्रस्ताव तैयार किया है. इस मसौदे का नोटिफिकेशन 28 अगस्त 2025 को गजट ऑफ इंडिया में जारी हुआ है और अब इस पर सार्वजनिक सुझाव मांगे गए हैं. सरकार का कहना है कि ये प्रस्ताव मौजूदा नियमों को और मजबूत और बेहतर बनाएगा. हालांकि इसे लागू करने से पहले आम लोगों, दवा कंपनियों और रिसर्चर्स की राय भी ली जाएगी. इसके लिए 30 दिनों का समय दिया गया है, जिसमें लोग अपनी राय और सुझाव भेज सकते हैं.

क्या-क्या बदलाव किए जा सकते हैं?

इस प्रस्ताव के तहत दवा बनाने और रिसर्च करने से जुड़े कई पुराने झंझटों को हटाने की तैयारी है. ज्यादातर दवाओं के लिए अब अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ सरकार को सूचना देना ही काफी होगा. यानी कागजी कामकाज में कमी आएगी, सिर्फ हाई-रिस्क (उच्च जोखिम वाली) दवाओं के लिए ही लाइसेंस जरूरी होगा. इससे कम जोखिम वाली दवाओं पर तेजी से काम शुरू किया जा सकेगा. दवाओं की टेस्टिंग के लिए जो लाइसेंस पहले 90 दिनों में मिलता था, अब वो 45 दिन में मिल सकेगा. यानी आधे समय में काम शुरू हो सकेगा.कुछ खास स्टडी जैसे बायोअवेलेबिलिटी और बायोइक्विवेलेंस (BA/BE) के लिए अब लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ सरकार को सूचना देने के बाद ही परीक्षण शुरू किया जा सकेगा.

क्यों ज़रूरी और फायदेमंद हैं ये बदलाव?

ये प्रस्ताव फार्मा इंडस्ट्री और मेडिकल रिसर्च के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि:

  • इससे दवाओं के परीक्षण और रिसर्च में लगने वाला समय कम होगा.
  • लाइसेंस की फाइलों की संख्या लगभग 50% तक कम हो जाएगी, जिससे दवाओं को बाजार में लाने की प्रक्रिया तेज होगी.
  • सरकार का CDSCO (Central Drugs Standard Control Organization) अपना समय और संसाधन बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाएगा.
  • इससे भारत विश्व स्तर पर दवाओं और क्लिनिकल रिसर्च का हब बन सकता है.
  • भारतीय फार्मा सेक्टर को और मजबूती मिलेगी, जिससे देश को आर्थिक लाभ भी होगा.

सरकार ने यह साफ किया है कि ये प्रस्ताव अभी अंतिम नहीं है. इस पर देश के नागरिकों, वैज्ञानिकों, दवा कंपनियों और रिसर्च संस्थानों से राय मांगी गई है. सभी लोग 28 अगस्त से 30 दिन के अंदर अपनी प्रतिक्रिया या सुझाव भेज सकते हैं. आप चाहें तो इसमें बदलावों की कमियां, अच्छाइयां या कोई और जरूरी सुझाव भी दे सकते हैं.
इससे यह भी साफ हो गया है कि सरकार लोगों की भागीदारी से एक बेहतर और पारदर्शी प्रणाली बनाना चाहती है, ताकि दवाओं की रिसर्च और विकास का रास्ता आसान हो सके.

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