दिल्ली यूनिवर्सिटी में सिख शहादत पर नया कोर्स, जनरल इलेक्टिव के रूप में पढ़ाई की होगी शुरुआत
यह कोर्स डीयू के UGCF 2022 और PGCF 2024 के ढांचे के तहत मंजूर किया गया है. यह दिखाता है कि अब उच्च शिक्षा संस्थान न केवल रोजगारपरक शिक्षा की ओर ध्यान दे रहे हैं, बल्कि छात्रों को इतिहास, संस्कृति और समाज के गहरे पहलुओं से भी जोड़ना चाहते हैं. यह एक सराहनीय कदम है जो सिख समुदाय के इतिहास को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्थापित करेगा.
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DU Introduces Sikh History Elective: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) ने छात्रों के लिए एक नया और ऐतिहासिक कोर्स शुरू करने का फैसला किया है, जिसका नाम है ‘भारतीय इतिहास में सिख शहादत (1500-1765)’. यह कोर्स छात्रों को सिख इतिहास और उनके बलिदानों को समझने का मौका देगा. हाल ही में डीयू की अकादमिक काउंसिल की स्थायी समिति की बैठक में इस कोर्स को जनरल इलेक्टिव (GE) कोर्स के रूप में मंजूरी दी गई है. इस कोर्स को शुरू करने का उद्देश्य सिखों के ऐतिहासिक योगदान, धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ उनके संघर्ष और भारत की साझी विरासत में उनके योगदान को मुख्यधारा की पढ़ाई में शामिल करना है.
सभी स्ट्रीम के छात्र कर सकेंगे नामांकन
इस कोर्स को 4 क्रेडिट यूनिट के रूप में तैयार किया गया है और इसमें किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास छात्र दाखिला ले सकते हैं. इसका मतलब है कि आर्ट्स, साइंस या कॉमर्स, किसी भी विषय के छात्र इस कोर्स को अपने जनरल इलेक्टिव विषय के रूप में चुन सकते हैं. इस कोर्स के ज़रिए छात्र न सिर्फ सिखों के बलिदान की कहानियों से रूबरू होंगे, बल्कि वे उस दौर के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक हालात को भी बेहतर ढंग से समझ सकेंगे.
डीयू के कुलपति ने की पहल की सराहना
डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने इस कोर्स को मंजूरी दिए जाने पर खुशी जाहिर की और स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र (CIPS) को इसके लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह कोर्स न केवल सिख इतिहास की दृष्टि से, बल्कि पूरे भारतीय इतिहास की समझ के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि डीयू का नया स्नातक सत्र 1 अगस्त से शुरू होने जा रहा है, जिससे छात्र इस कोर्स का लाभ पहले ही सेमेस्टर में उठा सकेंगे.
पाठ्यक्रम की संरचना: जानिए क्या-क्या पढ़ाया जाएगा
इस कोर्स को चार प्रमुख यूनिट्स (इकाइयों) में बांटा गया है, जो सिख धर्म के विकास से लेकर उनके बलिदानों तक की यात्रा को विस्तार से कवर करती हैं.
यूनिट-I: इस भाग में सिख धर्म की उत्पत्ति और विकास, पंजाब में मुगल शासन और सामाजिक संरचना, शहादत की अवधारणा और गुरु नानक से गुरु रामदास तक की ऐतिहासिक जानकारी दी जाएगी.
यूनिट-II: इस इकाई में गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर, भाई मती दास जैसे महान शहीदों के बलिदानों को समझाया जाएगा, जिन्होंने अपने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दी.
यूनिट-III: इसमें गुरु गोबिंद सिंह, उनके चार साहिबजादों की शहादत, और बंदा सिंह बहादुर की बहादुरी और संघर्ष की कहानी होगी, जिन्होंने मुगल सत्ता के खिलाफ अद्भुत वीरता दिखाई.
यूनिट-IV: अंतिम इकाई में भाई मनी सिंह, बाबा दीप सिंह, माई भागो, बीबी अनूप कौर जैसे योद्धाओं का ज़िक्र होगा. इसके साथ-साथ ऐतिहासिक गुरुद्वारों और स्थलों का भी अध्ययन कराया जाएगा.
केवल किताबों तक सीमित नहीं होगा यह कोर्स
इस कोर्स की खास बात यह है कि इसे केवल किताबों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रखा गया है. इसमें ऐतिहासिक स्थलों की यात्राएं, फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज़ की स्क्रीनिंग भी शामिल होगी, जिससे छात्र इतिहास को केवल पढ़ेंगे नहीं, बल्कि महसूस भी कर पाएंगे. इससे छात्रों में सांस्कृतिक समझ, धार्मिक सहिष्णुता और देश के विविधतापूर्ण इतिहास के प्रति सम्मान की भावना और गहराई से विकसित होगी.
यह कोर्स डीयू के UGCF 2022 और PGCF 2024 के ढांचे के तहत मंजूर किया गया है. यह दिखाता है कि अब उच्च शिक्षा संस्थान न केवल रोजगारपरक शिक्षा की ओर ध्यान दे रहे हैं, बल्कि छात्रों को इतिहास, संस्कृति और समाज के गहरे पहलुओं से भी जोड़ना चाहते हैं. यह एक सराहनीय कदम है जो सिख समुदाय के इतिहास को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्थापित करेगा.
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