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जहां कभी बागी छुपा करते थे, वो टिकटोली दूमदार ‘चमत्कार’ का गढ़ बना । Morena

परसौटा से टिकटोली दूमदार का रास्ता काफी हरा-भरा है। बरसात में ये हरियाली पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। जैसे ही गांव का इलाका खत्म होता है पहाड़ी शुरू हो जाती है। ये हिस्सा निरार का जंगल कहलाता है। जो बीहड़ से कम नहीं लगता। यहां ऑफ रोडिंग के दौरान रास्ते भटक जाना आम बात है। Being Ghumakkad के साथ भी यही हुआ। टिकटोली दूमदार और वहां के ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की खोज में हम इस बियावान में खो गए।

वहां मोर नाचते हैं, पक्षी गुनगुनाते हैं | आसमां की ऊंचाई से, झरने ज़मीं पर आते हैं | ऐसे स्वर्ग से जहां में, चलो आपको ले जाते हैं | इस अनदेखे, अंजाने, अद्भुत स्थान का नाम है टिकटोली दूमदार। यहां खूबसूरती के बीच है एक हज़ार साल पुरानी शांतिनाथ भगवान का दिव्य स्थान। जिसकी खोज में Being Ghumakkad की टीम दिल्ली से मुरैना होते हुए जोरा रोड की तरफ बढ़ी। करीब आधे घंटे के सफर के बाद परसौटा मोड़ गया।


परसौटा से टिकटोली दूमदार का रास्ता काफी हरा-भरा है। बरसात में ये हरियाली पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। जैसे ही गांव का इलाका खत्म होता है पहाड़ी शुरू हो जाती है। ये हिस्सा निरार का जंगल कहलाता है। जो बीहड़ से कम नहीं लगता। यहां ऑफ रोडिंग के दौरान रास्ते भटक जाना आम बात है। Being Ghumakkad के साथ भी यही हुआ। टिकटोली दूमदार और वहां के ऐतिहासिक दस्तावेज़ों की खोज में हम इस बियावान में खो गए।


इस खूबसूरत इलाके में तीन प्रसिद्ध झरने हैं। इनमें माता का झरना, सिद्ध बाबा का झरना और टिकटोली दूमदार का झरना हैं। शाम के पांच बज चुके थे, हमने पहले बाक़ी दो जल प्रपातों की खोज की, जब समय ज्यादा लगने लगा तो टिकटोली दूमदार की ओर बढ़ चले। टिकटोली दूमदार झरने को ढूंढना इसलिए आसान है क्योंकि यहां जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ का दिव्य स्थान है।


जैसे ही आप इस स्थान पर पहुंचते हैं तो ऊपर से ही टिकटोली का झरना नज़र जाता है। हालांकि जिस वक्त टीम being Ghumakkad यहां पहुंची उस वक्त वॉटर फॉल का वेग उतना नहीं था, अमूमन बरसात के दिनों में इस झरने में काफी पानी आता है। जैन समाज के ट्रस्ट ने इस जगह पर धर्मशाला का निर्माण करवाया है। यहां आए दिन बड़े-बड़े आयोजन होते हैं। ऊपरी हिस्से से जैसे नीचे उतरते हैं तो पहाड़ से सटी कुछ मूर्तियां दिखाई देती हैं। ये सभी मूर्तियां पहाड़ को कांट-छांटकर बनायी गयी हैं। ऐसा दावा किया जाता है इन मूर्तियों का इतिहास 1000 वर्ष से भी पुराना है।


जैन समाज इस स्थान को बड़ी पवित्रता के साथ देखता है। दूर-दूर से लोग टिकटोली दूमदार में जैन तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान के दर्शनों को आते हैं। इस स्थान को अब नेचुरल तरीके से विकसित करने की कोशिश की जा रही है।


कभी इस पूरे इलाके में बीहड़ के बागियों का कब्ज़ा हुआ करता था। पुलिस से मुठभेड़ के बाद बाग़ी इन्हीं इलाकों में छिपा करते थे। पूरा इलाका पहाड़ी है, कभी यहां घना जंगल भी था, तो चप्पा-चप्पा बाग़ियों के छिपने के लिए मुफीद हुआ करता था। लेकिन अब ना घना जंगल रहा, ना ही बाग़ी रहे | 


मंदिर परिसर में समय बिताने के बाद आखिरकार हमने नीचे जाने का फैसला किया, जिस दूमदार फॉल की वजह से हम यहां पहुंचे थे। वहां जाने के लिए थोड़ा खतरा उठाना पड़ा। एक तो बारिश का मौसम, दूसरा कंस्ट्रक्शन का काम और तीसरा फिसलन, Being Ghumakkad की टीम बामुश्किल झरने की तलहटी में पहुंच सकी। टिकटोली दूमदार दो खास वजहों के लिए भी जाना जाता है। एक तो इसके पानी में औषधिय गुण हैं, दूसरा झरने के ऊपर एक कुंड है, जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता।


टिकटोली दूमदार आने का सही समय मॉनसून ही माना जाता है। मुरैना से यहां की दूरी करीब 40 किलोमीटर है। सवा घंटे में मुरैना से आप यहां पहुंच जाएंगे। मुरैना शहर रेल और रोड नेटवर्क के जरिए पूरे देश के साथ जुड़ा हुआ है। आप दिल्ली से आगरा होते हुए मुरैना आसानी से पहुंच सकते हैं।

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