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'टैरिफ-टैरिफ' खेलने वाले ट्रंप चिंता में डूबे, खत्म हो सकती हैं सारी डील, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सता रहा ये डर

भारत समेत कई देशों पर टैरिफ वॉर छेड़ चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चिंतित हैं. हाल ही में अपीलीय अदालत ने उनके टैरिफ फैसले को अवैध बताया था. ट्रंप का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी यही रुख अपनाया, तो यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कई देशों से हुई डील रद्द करनी पड़ेगी, जिसका असर सीधे अमेरिका पर पड़ेगा.

Donlad Trump (File Photo)

दुनिया के कई देशों पर टैरिफ का बम फोड़कर दबाव बनाने की राजनीति करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार खुद चिंता में हैं. वजह है सुप्रीम कोर्ट में लंबित वह केस, जिसमें उनके लगाए गए टैरिफ को चुनौती दी गई है. हाल ही में अमेरिका की अपीलीय अदालत ने ट्रंप के इस फैसले को अवैध ठहराया था. इसके बाद से ही वॉशिंगटन के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ट्रंप का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी यही रुख अपनाया, तो उन्हें यूरोपीय संघ, जापान, दक्षिण कोरिया समेत कई देशों के साथ किए गए व्यापारिक समझौते रद्द करने पड़ सकते हैं.

ट्रंप की चिंता क्यों बढ़ी?

बुधवार को वाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके लिए निर्णायक साबित हो सकता है. अगर कोर्ट ने टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया, तो इसका असर सीधे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि “अगर हम केस हार गए, तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना होगा.” ट्रंप ने दावा किया कि इन टैरिफ की वजह से ही उन्हें बड़े व्यापारिक साझेदारों के साथ नए समझौते करने का मौका मिला. उनका कहना है कि इस नीति ने अमेरिका को फिर से मजबूत और अमीर बनने की राह दिखाई है.

भारत और ब्राजील पर सख्त रुख

ट्रंप ने सबसे ज्यादा टैरिफ भारत और ब्राजील पर लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया गया है. ट्रंप का तर्क है कि अमेरिका लंबे समय से इन देशों के साथ असमान व्यापार समझौतों का शिकार रहा है और अब उन्होंने हालात बदल दिए हैं.हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इतने बड़े टैरिफ से व्यापार संतुलन तो बिगड़ ही सकता है, साथ ही अमेरिका के उपभोक्ताओं को भी महंगे दाम चुकाने पड़ेंगे.

यूरोपीय संघ को लेकर दावा

ट्रंप ने यूरोपीय संघ के साथ हुई डील का जिक्र करते हुए कहा कि “हमने यूरोप से डील की है, जहां से हमें ट्रिलियन डॉलर की राशि मिल रही है. और सबसे बड़ी बात, वो खुश हैं.” हालांकि उनका यह बयान कई अर्थशास्त्रियों को चौंकाता है, क्योंकि यूरोप लगातार अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराता रहा है.

भारत को दी धमकी

बुधवार को ओवल ऑफिस में पोलैंड के राष्ट्रपति करोल नवरोकी से मुलाकात के दौरान ट्रंप का लहजा और सख्त दिखा. उन्होंने भारत को चेतावनी दी कि रूसी तेल खरीदने को लेकर शुरुआती दौर के प्रतिबंध पहले ही लगाए जा चुके हैं. ट्रंप ने इशारा किया कि अभी यह केवल पहला कदम है और जरूरत पड़ने पर ‘चरण दो’ और ‘चरण तीन’ के तहत और कड़े कदम उठाए जाएंगे. यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और रूस ऊर्जा सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. अमेरिका को आशंका है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से वॉशिंगटन की रणनीति कमजोर पड़ सकती है.

पुतिन पर क्यों भड़के ट्रंप?

मुलाकात के दौरान एक पोलिश पत्रकार ने ट्रंप से पूछा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर आपने कई बार निराशा जाहिर की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया. इस सवाल पर ट्रंप नाराज हो गए और उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बातचीत को टालने की कोशिश की. यह दिखाता है कि पुतिन और रूस को लेकर ट्रंप की रणनीति अभी भी स्पष्ट नहीं है. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के टैरिफ को अवैध करार देता है, तो अमेरिका की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ सकता है. इससे यूरोप, एशिया और दक्षिण अमेरिका के साथ किए गए समझौते खतरे में पड़ जाएंगे. वहीं भारत जैसे देशों के साथ संबंधों में और तनाव बढ़ सकता है. कुछ विशेषज्ञ इसे ट्रंप की चुनावी रणनीति भी मानते हैं. उनका कहना है कि ट्रंप अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह “अमेरिका फर्स्ट” की नीति पर अटल हैं और किसी भी कीमत पर विदेशी मुल्कों के दबाव में नहीं झुकेंगे.

बताते चलें कि ट्रंप का टैरिफ वॉर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. भारत, ब्राजील, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका सीधा असर देखा जा सकता है. अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं. अगर कोर्ट ने ट्रंप के खिलाफ फैसला दिया, तो न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के व्यापारिक समीकरण बदल सकते हैं. फिलहाल इतना साफ है कि आने वाले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति की दिशा तय करेंगे. ट्रंप का भविष्य भी शायद इन्हीं टैरिफ पर टिका हुआ है.

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