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BRICS की रणनीति से डरे ट्रंप, 10% अतिरिक्त टैरिफ की दी धमकी...क्या भारत को भी उठाना पड़ेगा खामियाजा?

ब्राजील में हुए ब्रिक्स 2025 शिखर सम्मेलन में 10 सदस्य देशों ने ईरान पर अमेरिका-इजरायल हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ बताते हुए उनकी कड़ी निंदा की. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका विरोधी नीति अपनाने वाले देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे वैश्विक कूटनीतिक तनाव गहराने के संकेत मिल रहे हैं.

ब्रिक्स शिखर 2025 सम्मेलन में इस बार राजनीतिक और कूटनीतिक तेवर काफी तीखे रहे. ब्राजील में आयोजित इस उच्च स्तरीय बैठक में दस सदस्य देशों ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. खासकर ईरान पर अमेरिका और इजरायल द्वारा किए गए सैन्य हमलों की कड़ी निंदा करते हुए सभी देशों ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ बताया. इसी बात पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क उठे. ट्रंप ने यह साफ कर दिया कि जो देश अमेरिका विरोधी नीति अपनाएंगे, उन पर 10 फीसदी तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा. यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई आर्थिक खींचतान की ओर संकेत करता है.

ब्रिक्स की तीखी प्रतिक्रिया से अमेरिका परेशान
ब्रिक्स सदस्य देशों में ब्राजील, भारत, चीन, रूस, ईरान, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी संयुक्त घोषणा में ईरान के खिलाफ हो रहे हमलों को अनुचित ठहराया. इसमें कहा गया कि किसी भी संप्रभु राष्ट्र की सैन्य और परमाणु संपत्तियों पर हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है. इस प्रतिक्रिया को सीधे तौर पर अमेरिका और उसके सहयोगी इजरायल के खिलाफ देखा गया, जिससे अमेरिका की भौंहें तन गईं. डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिका विरोधी रुख करार दिया और चेताया कि ऐसे देशों को आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे.

आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की सख्त आवाज़
ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की भूमिका भी बेहद अहम रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंडों को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जब वैश्विक दक्षिण यानी विकासशील देशों में आतंकी हमले होते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया अक्सर अलग होती है. मोदी ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि आतंकी घटनाओं के प्रति एक जैसा और निष्पक्ष दृष्टिकोण जरूरी है. संयुक्त घोषणापत्र में पहलगाम हमले की निंदा की गई और आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों, फंडिंग और सीमा पार आवाजाही पर रोक लगाने का आह्वान किया गया.

टैरिफ नीति पर भी उठा सवाल
ब्रिक्स देशों ने अमेरिका के टैरिफ नीति पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा. संयुक्त घोषणापत्र में बिना किसी देश का नाम लिए यह कहा गया कि टैरिफ बढ़ाने जैसे इकतरफा फैसलों से वैश्विक व्यापार प्रणाली कमजोर होती है और आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी बाधाएं उत्पन्न होती हैं. अमेरिका पहले ही चीन और भारत जैसे देशों पर भारी शुल्क लगा चुका है, जिससे निर्यात-आयात पर असर पड़ा है. ऐसे में ब्रिक्स का यह रुख वैश्विक व्यापार संतुलन को चुनौती देने वाले कदमों के खिलाफ एकजुट विरोध की तरह देखा जा रहा है.

क्या BRICS बन रहा है पश्चिमी ताकतों का विकल्प?
ब्रिक्स की इस रणनीतिक और सशक्त छवि को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह समूह धीरे-धीरे पश्चिमी वर्चस्व के मुकाबले एक स्वतंत्र ध्रुव के रूप में उभर रहा है. ईरान जैसे विवादित देशों को साथ जोड़ना, अमेरिका की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाना और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दो टूक राय देना, यह सब दर्शाता है कि ब्रिक्स अब केवल एक आर्थिक मंच नहीं बल्कि एक राजनीतिक और कूटनीतिक मोर्चा भी बनता जा रहा है. ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में अमेरिका और ब्रिक्स के बीच टकराव और भी बढ़ सकता है.

बताते चलें कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों और अमेरिका की प्रतिक्रियाओं ने साफ कर दिया है कि वैश्विक राजनीति अब दो भागों में विभाजित होती जा रही है. एक ओर पश्चिमी देश और दूसरी ओर वैश्विक दक्षिण का एकजुट मोर्चा. डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भरे बयान से यह ज़ाहिर होता है कि अमेरिका अपनी नीति के खिलाफ किसी भी आवाज को बर्दाश्त नहीं करेगा. लेकिन भारत समेत कई देश अब अपने स्वतंत्र रुख और क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं. ब्रिक्स की भूमिका आने वाले वर्षों में और निर्णायक हो सकती है.

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