ट्रंप ने टाला टैरिफ का फैसला, भारत समेत सभी देशों को मिली मोहलत, जानें अब कब से होगा होगा लागू
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अब 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त 2025 से लागू होगा. ट्रंप ने व्यापार बाधाओं और रूस से तेल-डिफेंस खरीद को कारण बताते हुए यह फैसला लिया. भारत, बांग्लादेश और ब्राजील जैसे देशों को इसका असर झेलना होगा.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया टैरिफ 1 अगस्त से लागू होने वाला था जो अब एक हफ्ते के लिए टल गया है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से दुनिया भर के देशों में हड़कंप मच गया है. भारत, बांग्लादेश, ब्राजील जैसे 70 से अधिक देशों पर प्रभाव डालने वाले इस टैरिफ का ऐलान अचानक किया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर गंभीर असर पड़ सकता है.
दरअसल, ट्रंप के मुताबिक, यह टैरिफ रेसिप्रोकल यानी प्रतिशोधात्मक शुल्क के रूप में लगाया जा रहा है. अमेरिका का कहना है कि जिन देशों द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया जाता है, अब उन्हीं देशों के उत्पादों पर अमेरिका भी समान या अधिक टैरिफ लगाएगा.
भारत पर क्यों लगाया गया 25 फीसदी शुल्क?
ट्रंप ने खासतौर पर भारत पर 25% शुल्क लगाने का ऐलान करते हुए कहा कि यह व्यापार असंतुलन को खत्म करने के लिए जरूरी है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने रूस से तेल और डिफेंस प्रोडक्ट्स की खरीद की है, जो अमेरिकी नीति के खिलाफ है. इसी वजह से इस टैरिफ के साथ-साथ जुर्माने की बात भी की गई है. हालांकि अमेरिकी प्रशासन ने बाद में इन नए टैरिफ्स की तारीख को 7 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. लेकिन इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका का रुख अब अधिक सख्त होने वाला है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस मसले पर संयमित रुख अपनाया है. सरकार की ओर से कहा गया कि देशहित में हर संभव कदम उठाया जाएगा. लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कहा कि भारत इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है, लेकिन देश के किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका की मांगों को लेकर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी भी सूरत में अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र से समझौता नहीं करेगा.
अमेरिका क्या चाहता है?
अमेरिका भारत से अपने डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने की मांग कर रहा है. खासकर ऐसे उत्पाद जिनमें जेनेटिकली मोडिफाइड बीजों का इस्तेमाल हुआ हो या जिन्हें नॉन-वेज फीड खिलाया गया हो. अमेरिका चाहता है कि इन पर भारत टैरिफ कम करे या पूरी तरह से हटा दे. लेकिन भारत इन मांगों को खारिज करता रहा है. भारत का कहना है कि यहां दूध को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है. ऐसे में नॉनवेज फीड से प्राप्त दूध को भारत में अनुमति देना न तो वैज्ञानिक रूप से उचित है और न ही सामाजिक रूप से स्वीकार्य.
किस बात अड़ा भारत
भारत के लिए यह मसला केवल व्यापार का नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा, किसानों के हित और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ है. भारत की लगभग 70 करोड़ आबादी कृषि पर निर्भर है. ऐसे में अमेरिकी मांगों को स्वीकार करना करोड़ों भारतीय किसानों को नुकसान पहुंचा सकता है. भारत का यह भी कहना है कि अगर अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाज़ार खोले, तो उसे भी भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाज़ार खोलने होंगे. इस समय अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर भारी टैक्स लगता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ता है.
आगे की सम्भावनाएं
7 अगस्त को जब यह टैरिफ लागू होगा, तो इसका असर भारत समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. भारत के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है. अगर अमेरिका अपने फैसले पर अड़ा रहता है, तो भारत को कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर मजबूती से मोर्चा संभालना होगा. संभावना है कि आने वाले दिनों में भारत और अमेरिका के बीच उच्च स्तरीय वार्ता होगी, जिसमें दोनों पक्ष समाधान निकालने की कोशिश करेंगे. लेकिन इस पूरी स्थिति ने यह तो साफ कर दिया है कि अब व्यापार केवल व्यापार नहीं रहा. इसमें रणनीति, राजनीति और भू-राजनीतिक समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
बताते चलें कि ट्रंप का यह फैसला भारत के लिए एक चेतावनी जैसा है. अमेरिका अपने हितों को सर्वोपरि रखता है, लेकिन भारत भी अब मजबूती से अपने हितों की रक्षा कर रहा है. आने वाले कुछ दिन भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं.
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