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‘बात तब तक नहीं होगी, जब तक...’, 50% टैरिफ के बाद भी ट्रंप के तेवर सख्त, जानें क्यों बिगड़ रहे हैं भारत-अमेरिका के रिश्ते

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर दोटूक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जब तक यह मसला हल नहीं होता, तब तक भारत के साथ व्यापार वार्ता आगे नहीं बढ़ेगी. ट्रंप का यह बयान भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच आया है.

Image: File Photo/ Social Media

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार वजह बने हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. जिन्होंने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर एक तीखा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि जब तक यह मुद्दा हल नहीं होता, तब तक व्यापार वार्ता आगे नहीं बढ़ेगी. ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका व्यापार संबंध पहले से ही तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं.

क्या कहा ट्रंप ने?

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्रंप से सवाल किया कि भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के बाद क्या ट्रेड वार्ताएं तेज होने की उम्मीद है, तो ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा, “नहीं, जब तक हम इसे हल नहीं कर लेते, तब तक नहीं.” इस छोटे से जवाब ने बड़ा संकेत दे दिया. अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर अब पहले से ज्यादा सख्त हो गया है.

अमेरिका का यह कदम क्यों बना भारत के लिए चिंता?

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है. 7 अगस्त से 25% टैरिफ लागू हो चुका है. वहीं अतिरिक्त 25% टैरिफ 27 अगस्त से प्रभाव में आएगा. इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा, खासतौर पर उन क्षेत्रों पर जो अमेरिका पर निर्भर हैं. इससे भारत की कीमतें अमेरिकी बाजार में महंगी हो जाएंगी और प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है.

भारत को नहीं थी इस टैरिफ की उम्मीद 

भारत पहले से ही इस तरह के टैरिफ को लेकर नाराजगी जता चुका है. व्यापार में संतुलन और समानता की मांग करते हुए भारत ने अमेरिका से बार-बार आग्रह किया कि किसी भी तरह का बड़ा निर्णय लेने से पहले बातचीत की जाए. लेकिन अमेरिका ने एकतरफा फैसला लेते हुए 50% टैरिफ लागू कर दिया. यही नहीं, अब ट्रंप प्रशासन चिप यानी सेमीकंडक्टर पर 100% टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है. यह फैसला वैश्विक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को झटका देने के साथ-साथ भारत को भी प्रभावित करेगा, जो इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

हालांकि ट्रंप के सख्त रुख के उलट अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने थोड़ा संतुलित बयान देने की कोशिश की. प्रिंसिपल डिप्टी प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा, “राष्ट्रपति की चिंताएं व्यापार असंतुलन और रूस से तेल की खरीद को लेकर हैं. उन्होंने इस पर स्पष्ट रुख अपनाया है. लेकिन भारत एक रणनीतिक साझेदार है, और बातचीत पूरी तरह से जारी रहेगी.” इससे साफ है कि अमेरिका भारत के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता, लेकिन वह अपने हितों से भी समझौता करने को तैयार नहीं है.

क्यों नहीं हो रही ट्रेड डील

दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील काफी समय से अटकी हुई है. ट्रंप चाहते थे कि भारत कृषि और डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोले. वे अमेरिकी डेयरी प्रॉडक्ट्स को भारतीय बाजार में लाना चाहते थे. लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को साफ कह दिया कि किसानों से जुड़ी नीतियों पर कोई समझौता नहीं होगा. देश के लिए किसान पहले हैं. यही बात अमेरिका को नागवार गुज़री और ट्रेड डील वहीं अटक गई.

रूस से तेल खरीद को लेकर भी नाराज हैं ट्रंप

व्यापार के साथ-साथ ट्रंप सरकार रूस से भारत के रिश्तों पर भी नजर रखे हुए है. खासतौर पर तेल खरीद पर. अमेरिका का मानना है कि रूस अपने पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है. ऐसे में भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिका को मंजूर नहीं. ट्रंप ने इसी मुद्दे को लेकर भारत पर अतिरिक्त दबाव बनाना शुरू कर दिया है. हालांकि भारत ने साफ किया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और सस्ती दरों पर तेल खरीदना उसकी जरूरत है.

बताते चलें कि भारत और अमेरिका दोनों ही देश जानते हैं कि वे एक-दूसरे के लिए कितने अहम हैं. चाहे वह रणनीतिक साझेदारी हो या टेक्नोलॉजी, डिफेंस या ट्रेड. लेकिन ऐसे हालात में जब टैरिफ, ट्रेड डील और भू-राजनीतिक समीकरण एक साथ उलझे हुए हों, तब रास्ता निकालना आसान नहीं होता. फिलहाल भारत कूटनीतिक स्तर पर प्रयास कर रहा है कि बातचीत के जरिए समाधान निकले. लेकिन ट्रंप के बयानों से यह स्पष्ट है कि अमेरिका जल्दबाज़ी में नहीं है. ऐसे में आने वाले हफ्ते बेहद अहम हैं. क्या दोनों देश समाधान की ओर बढ़ेंगे, या फिर टकराव और बढ़ेगा?

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