टैरिफ से तेल तक होगी सीधी बात... UNGA समिट में अगले महीने अमेरिका जाएंगे पीएम मोदी, ट्रंप संग मुलाकात के आसार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने न्यूयॉर्क में होने वाली UNGA बैठक में शामिल हो सकते हैं, जहां उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की संभावना है. इस दौरान व्यापार, टैरिफ और रूस से तेल खरीद जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. पीएम मोदी अन्य वैश्विक नेताओं, जिनमें यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी शामिल हैं, से भी मुलाकात कर सकते हैं और ट्रंप को अक्टूबर में होने वाले QUAD शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण दे सकते हैं.
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देश की राजधानी नई दिल्ली से एक बड़ी कूटनीतिक खबर सामने आ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका दौरे पर जा सकते हैं. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य न्यूयॉर्क सिटी में होने वाली यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) की बैठक में शामिल होना है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह यात्रा सिर्फ औपचारिक भाषणों और वैश्विक मंच पर उपस्थिति तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें अहम द्विपक्षीय मुलाकातें भी होंगी. इनमें सबसे अहम मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पीएम मोदी की हो सकती है. भारत-अमेरिका रिश्तों में हाल के तनाव के बाद पहली मुलाकात होगी.
क्यों अहम है यह यात्रा
भारत-अमेरिका संबंध हाल के महीनों में कई उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं. टैरिफ विवाद, व्यापार समझौते में अड़चन और रूसी तेल की खरीद जैसे मुद्दों ने रिश्तों में खटास डाल दी है. इसके बावजूद, दोनों देश एक-दूसरे को वैश्विक साझेदारी में महत्वपूर्ण मानते हैं. यही कारण है कि ट्रंप प्रशासन ने पीएम मोदी को व्यक्तिगत तौर पर आने और मुलाकात करने का निमंत्रण दिया है. सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप को अक्टूबर में होने वाले संभावित QUAD शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का औपचारिक न्योता भी दे सकते हैं. अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रणनीति पर अहम बातचीत होने की संभावना है.
वैश्विक नेताओं से मुलाकात
इस दौरे में पीएम मोदी का कार्यक्रम बेहद व्यस्त रहने की उम्मीद है. वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की सहित कई वैश्विक नेताओं से उच्च-स्तरीय बैठकें कर सकते हैं. यह मुलाकातें न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेंगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत की स्थिति को भी स्पष्ट करने का मौका देंगी.
सात महीनों में दूसरी मुलाकात
अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक हुआ, तो पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की यह सात महीनों में दूसरी आमने-सामने की बातचीत होगी. फरवरी में मोदी ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था, जहां दोनों नेताओं के बीच आपसी सौहार्द्र और सहयोग पर चर्चा हुई थी. ट्रंप के पहले कार्यकाल में दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंध काफी प्रगाढ़ रहे, लेकिन दूसरे कार्यकाल में व्यापार और टैरिफ विवाद ने रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है. इसके बावजूद, ट्रंप कई मौकों पर पीएम मोदी को “दोस्त” कह चुके हैं.
व्यापार और टैरिफ की जंग
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की सबसे बड़ी बाधा कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर है. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए खोले, जबकि भारत घरेलू किसानों के हितों को देखते हुए इससे बच रहा है. इसी बीच, राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है. इनमें से आधा अगस्त की शुरुआत में लागू हो चुका है, जबकि बाकी अगस्त के अंत तक लागू हो जाएगा. इस वजह से दोनों देशों के बीच समझौते पर तेज़ी से बातचीत चल रही है.
रूसी तेल पर विवाद
रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है, लेकिन अमेरिका को यह कदम पसंद नहीं. व्हाइट हाउस का मानना है कि यह खरीद रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद देती है. ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूसी तेल आयात में कटौती करे, ताकि रूस पर आर्थिक दबाव बढ़े. हालांकि, भारत ने साफ कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है और अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, केमिकल्स और फर्टिलाइजर खरीदता है, जिसे लेकर भारत ने भी आपत्ति जताई है.
रणनीतिक नजरें 15 अगस्त की बैठक पर
भारत की निगाहें अब 15 अगस्त को होने वाली ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात पर भी टिकी हैं. यह बैठक युद्ध खत्म करने के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अगर इसमें कोई सकारात्मक प्रगति होती है, तो वैश्विक राजनीति में नई दिशा मिल सकती है, जिसका असर भारत-अमेरिका-रूस त्रिकोण पर भी पड़ेगा.
पीएम मोदी का यह संभावित दौरा सिर्फ एक औपचारिक विदेश यात्रा नहीं, बल्कि आने वाले महीनों के लिए भारत की विदेश नीति का एक बड़ा कदम होगा. व्यापार से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा सहयोग तक हर मुद्दा इस यात्रा में अहम भूमिका निभा सकता है. भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में उतार-चढ़ाव जरूर आए हैं, लेकिन दोनों देश यह समझते हैं कि सहयोग के बिना न तो वैश्विक चुनौतियों का समाधान संभव है और न ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सकती है.
बता दें कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान अगर उनकी मुलाकात होती है, तो यह सिर्फ एक राजनयिक तस्वीर भर नहीं होगी, बल्कि एक ऐसा पल होगा जो आने वाले वर्षों के लिए दोनों देशों की दिशा तय कर सकता है.
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