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न्यूक्लियर प्रोग्राम तो रोक दें लेकिन हमें इजरायल से कौन बचाएगा? खौफ के साए में ईरान, मांग ली सुरक्षा की गारंटी

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने गुरुवार को एक अहम बयान देते हुए कहा है कि जब तक इजरायल द्वारा उनके देश के परमाणु ठिकानों पर हमले की आशंका बनी रहेगी, तब तक ईरान अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को सीमित करने पर विचार नहीं करेगा.

राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने कहा है कि ईरान तभी अपने परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को सामान्य करने पर विचार करेगा जब उसे गारंटी मिले कि इजरायल उसके परमाणु ठिकानों पर हमला नहीं करेगा. उन्होंने दोहराया कि ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश नहीं करेगा. वहीं ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि 26 सितंबर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध दोबारा लागू होंगे. ईरान ने चेतावनी दी है कि इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा.

हमें ये गारंटी कौन देगा कि इजरायल हमला नहीं करेगा 

एक इंटरव्यू के दौरान पेजेश्कियान ने दो टूक कहा, "हमें ये गारंटी कौन देगा कि इजरायल अकेले हमला कर हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों को नष्ट नहीं करेगा?" उन्होंने साफ किया कि ईरान की ओर से कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने का इरादा नहीं रहा है, और ये नीति आज भी कायम है.

इस बीच ब्रिटेन ने शुक्रवार को पुष्टि की कि शनिवार से ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रतिबंध एक बार फिर प्रभावी हो जाएंगे. सुरक्षा परिषद में रूस और चीन की ओर से इन प्रतिबंधों को टालने की कोशिश नाकाम रही. तेहरान ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने चेतावनी दी कि यदि पश्चिमी देशों ने दबाव की नीति जारी रखी, तो क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ेगी. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान की फिलहाल NPT (परमाणु अप्रसार संधि) से बाहर निकलने की कोई योजना नहीं है.

इजरायल ने दुनिया को चेताया 

ईरान और इजरायल के बीच परमाणु मुद्दे को लेकर तनातनी कोई नई बात नहीं है. बीते शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया को चेताया कि ईरान को दोबारा परमाणु क्षमता हासिल करने से रोका जाना चाहिए. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब जून में अमेरिका और इजरायल की ओर से ईरान के कुछ परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए गए थे.

ईरान की ओर से यह तर्क लगातार दिया जाता रहा है कि उसे यूरेनियम संवर्धन और परमाणु ऊर्जा उत्पादन का पूरा अधिकार है, बशर्ते उसका उपयोग शांतिपूर्ण और नागरिक उद्देश्यों के लिए हो. यह अधिकार सभी NPT सदस्य देशों को प्राप्त है. तेहरान ने इजरायल पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप भी लगाया है. क्योंकि इजरायल खुद NPT का सदस्य नहीं है, और ऐसा माना जाता है कि उसके पास मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा परमाणु जखीरा है.

एक ओर जहां पश्चिमी देश ईरान की परमाणु नीति को लेकर और कड़े रुख के संकेत दे रहे हैं, वहीं तेहरान भी अब ज्यादा मुखर होकर सुरक्षा गारंटी की मांग कर रहा है. इस कूटनीतिक गतिरोध में वैश्विक शांति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.

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