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B-2 बॉम्बर्स से पुतिन का स्वागत... लेकिन रूस-यूक्रेन में सीजफायर पर नहीं बनी बात, अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति की मीटिंग की इनसाइड स्टोरी

भारत समेत दुनिया की निगाहें अलास्का के एंकरेज पर टिकी रहीं, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाक़ात हुई. तीन घंटे चली बैठक में युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी, लेकिन दोनों नेताओं ने वार्ता को सकारात्मक बताया गया.

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अलास्का के एंकरेज शहर में शनिवार को दुनिया के सभी देशों की नजरें एक ही जगह पर टिकी रहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने–सामने थे. तीन घंटे तक चली इस मुलाकात से उम्मीद की जा रही थी कि रूस–यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में कोई ठोस समझौता सामने आएगा. हालांकि, युद्धविराम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई. फिर भी इस बैठक ने शांति की उम्मीद के नए दरवाजें जरूर खोल दी है.

अमेरिका का सैन्य शक्ति प्रदर्शन

एंकरेज के ज्वाइंट बेस एल्मेंडॉर्फ–रिचर्डसन पर जैसे ही पुतिन का विमान उतरा, अमेरिकी सेना ने ताकत का अनोखा प्रदर्शन किया. आसमान में B-2 स्टील्थ बॉम्बर, F-22 और F-35 फाइटर जेट्स की फ्लाई–ओवर ने इस मुलाक़ात को और ऐतिहासिक बना दिया. पुतिन के स्वागत में यह एक सख़्त संदेश भी था कि अमेरिका अपनी शक्ति को लेकर हमेशा तैयार है. इसके बाद पुतिन और ट्रंप ‘द बीस्ट’ कार में साथ बैठे और समिट स्थल तक पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी से हाथ मिलाकर बातचीत की शुरुआत हुई.

पुतिन ने ट्रंप को कहा 'नमस्ते पड़ोसी'

सात साल बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए पुतिन ने अपने संबोधन की शुरुआत एक दिलचस्प अंदाज़ में की. उन्होंने कहा, “अमेरिका और रूस महासागरों से अलग हैं, फिर भी बहुत करीबी पड़ोसी हैं. जब मैंने राष्ट्रपति ट्रंप से हाथ मिलाया तो मैंने कहा– नमस्ते पड़ोसी.” पुतिन ने स्वीकार किया कि रूस और अमेरिका के संबंध शीत युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं. अब वक्त है कि टकराव की जगह बातचीत को महत्व दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर 2022 में राष्ट्रपति ट्रंप सत्ता में होते तो शायद यूक्रेन से आज युद्ध नहीं होता. 

शांति का संदेश और रूस की शर्तें

पुतिन ने साफ कहा कि यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए सबसे पहले उसकी जड़ों को खत्म करना होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि कीव और यूरोपीय देश शांति प्रक्रिया में रोड़ा नहीं अटकाएंगे. रूस की पुरानी शर्तें वही हैं. यूक्रेन नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़े और अपने पूर्वी क्षेत्रों को रूस का हिस्सा मान ले. लेकिन यूक्रेन इन शर्तों को खारिज कर चुका है. उसका कहना है कि उसे सुरक्षा गारंटी चाहिए ताकि रूस भविष्य में दोबारा हमला न करे.

मॉस्को में अगली बैठक का प्रस्ताव

बैठक के अंत में पुतिन ने अगली मुलाकात मॉस्को में आयोजित करने का प्रस्ताव रखा. ट्रंप ने इसे तुरंत स्वीकार नहीं किया लेकिन आगे चर्चा का संकेत जरूर दिया. यह प्रस्ताव आने वाले महीनों में रूस–अमेरिका संबंधों को नई दिशा दे सकता है.

ट्रंप ने क्या कहा?

बैठक के बाद आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे सकारात्मक बताया. उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर सहमति बनी है, हालांकि युद्धविराम पर अभी कोई ठोस फैसला नहीं हुआ. ट्रंप ने कहा, “जब तक समझौता नहीं होता, तब तक समझौता नहीं होता. लेकिन हमने प्रगति की है. मैं जल्द ही नाटो और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से बातचीत करूंगा.” ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका यूरोप और अन्य सहयोगी देशों के साथ मिलकर यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने पर विचार कर सकता है. हालांकि इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है.

भारत का ज़िक्र और आर्थिक दबाव

जानकारी देते चलें कि अमेरिकी राष्ट्रपति भले ही बैठक रूस-यूक्रेन युद्ध को शांत करवाने के लिए कर रहे थें लेकिन इस वार्ता से पहले उन्हें बिना भारत का नाम लिए खाना भी हजम नहीं हो रहा था. उन्होंने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि रूस बैठक के लिए इसलिए भी तैयार हुआ क्योंकि अमेरिका ने भारत जैसे बड़े तेल ख़रीदार पर भारी टैरिफ लगाया था. यह बयान बताता है कि अमेरिका आर्थिक दबाव की रणनीति का भी इस्तेमाल कर रहा है.

वार्ता की 5 बड़ी बातें

  • युद्धविराम पर सहमति नहीं बनी – तीन घंटे की बातचीत बेनतीजा रही, लेकिन शांति प्रक्रिया की शुरुआत जरूर हुई.
  • बातचीत सकारात्मक रही – पुतिन ने इसे रचनात्मक और सम्मानजनक बताया. ट्रंप ने भी प्रगति का दावा किया.
  • अगली बैठक का प्रस्ताव – पुतिन ने मॉस्को में मुलाक़ात का निमंत्रण दिया.
  • यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी पर चर्चा – ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका और उसके सहयोगी इस पर विचार करेंगे.
  • वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर बात – बैठक में सिर्फ यूक्रेन नहीं, बल्कि व्यापक सुरक्षा और शांति एजेंडा पर चर्चा हुई.

बताते चलें कि अलास्का की इस बैठक ने भले ही युद्धविराम का रास्ता साफ नहीं किया, लेकिन संवाद का दरवाज़ा खोल दिया है. रूस–यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. ऐसे में ट्रंप और पुतिन की यह पहल उम्मीद की एक किरण जगाती है. आने वाले दिनों में अगर बातचीत का सिलसिला जारी रहा तो दुनिया यूक्रेन में शांति की ओर बढ़ सकती है.

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