PM मोदी को मिला ब्राजील का सर्वोच्च सम्मान... कहा- "बॉल बाउंड्री के पार करें या गोल में डालें, टीम एक हो तो लक्ष्य कठिन नहीं"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की विदेश यात्रा के तीसरे पड़ाव ब्राजील में 8 जुलाई को उन्हें ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ से सम्मानित किया गया. यह मोदी का 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है. ब्रासीलिया में राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा से मुलाकात को पीएम मोदी ने भारत-ब्राजील साझेदारी का भावनात्मक प्रतीक बताया और ब्राजील की मेहमाननवाज़ी की सराहना की.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की विदेश यात्रा अब ऐतिहासिक बन चुकी है. 2 जुलाई को शुरू हुई इस यात्रा का तीसरा पड़ाव ब्राजील रहा, जहां 8 जुलाई को उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. यह सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं थी, बल्कि भारत-ब्राजील संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका को और सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर था. इस दौरान पीएम मोदी को ब्राजील के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस’ से नवाज़ा गया, जो किसी भी भारतीय नेता के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है. यह मोदी को मिला 26वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है.
पीएम मोदी और लूला दा सिल्वा की ऐतिहासिक मुलाकात
ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा आमने-सामने बैठे, तो वह सिर्फ दो नेताओं की मुलाकात नहीं थी. वह दो लोकतंत्रों की साझा सोच और भावनात्मक जुड़ाव का साक्षात्कार था. इस दौरान पीएम मोदी ने ब्राजील की मेहमाननवाज़ी की सराहना करते हुए कहा कि अमेजन की प्राकृतिक सुंदरता और ब्रासीलिया की आत्मीयता ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि ब्राजील सरकार द्वारा मिला यह सम्मान उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए सम्मान की बात है.
20 बिलियन डॉलर के व्यापार का लक्ष्य: पीएम मोदी
ब्राजील और भारत के बीच व्यापार और सहयोग की नई संभावनाओं को लेकर पीएम मोदी ने बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि दोनों देश अगले पांच वर्षों में आपसी व्यापार को 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य पर काम करेंगे. मोदी ने भारत के क्रिकेट प्रेम और ब्राजील के फुटबॉल जुनून को जोड़ते हुए मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि जब बॉल बाउंड्री के पार करें या गोल में डालें, जब दोनों एक ही टीम में हों तो 20 बिलियन की साझेदारी कठिन नहीं है. यह बयान सिर्फ रिश्तों की गर्माहट को नहीं बताता, बल्कि आर्थिक रणनीति में भी लचीलापन और मित्रता की झलक दिखाता है.
भारत-ब्राजील की मजबूती
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग निरंतर बढ़ रहा है. क्लीन एनर्जी और पर्यावरण को लेकर हुए MoUs न केवल दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं, बल्कि वैश्विक जलवायु संकट के प्रति उनकी जिम्मेदारी का भी संकेत देते हैं. रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है और दोनों देशों के रक्षा उद्योगों को जोड़ने के प्रयास जारी रहेंगे. साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सुपर कंप्यूटिंग और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भी साझेदारी को गति मिल रही है.
यूपीआई और कृषि में भी हुआ बड़ा समझौता
ब्राजील में भारतीय यूपीआई सिस्टम को अपनाने की दिशा में बातचीत हुई है, जो भारत के डिजिटल ढांचे की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है. मोदी ने यह भी बताया कि भारत ब्राजील के साथ कृषि अनुसंधान, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में गहन साझेदारी के लिए तैयार है. दशकों पुराने संबंधों को अब तकनीक और विज्ञान की शक्ति से और भी गहराया जाएगा. बता दें कि वर्तमान समय में जब दुनिया युद्ध, तनाव और अनिश्चितता से जूझ रही है, भारत और ब्राजील की यह साझेदारी स्थिरता और संतुलन का प्रतीक बनती जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि सभी अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान सिर्फ संवाद और कूटनीति के ज़रिए ही होना चाहिए. यह बात भारत की विदेश नीति के मूल में हमेशा रही है और ब्राजील भी इस विचारधारा का समर्थन करता है.
आतंकवाद पर साझा नीति
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि भारत और ब्राजील की सोच इस मामले में बिल्कुल समान है. आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता और शून्य दोहरे मापदंड का स्पष्ट संदेश दोनों देशों की ओर से आया है. मोदी ने कहा कि आतंकवाद और उसके समर्थकों का सख्त विरोध जरूरी है और इस पर दुनिया को एकमत होना चाहिए.
बताते चलें कि ब्राजील में प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल MoUs के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं रही. यह एक ऐसा मौका बना, जिसने भारत-ब्राजील के रिश्तों को नई दिशा दी, रणनीतिक साझेदारी को मजबूती दी और भारतीय जनता को वैश्विक मंच पर गर्वित होने का अवसर दिया. ‘ग्रैंड कॉलर’ सम्मान इस बात का प्रतीक है कि भारत अब केवल एक उभरती शक्ति नहीं, बल्कि एक सशक्त और विश्वसनीय सहयोगी बन चुका है. मोदी की यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को भी जन्म देती है.
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