2019 में विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ने वाला पाकिस्तानी मेजर मारा गया, TTP और सेना में भीषण मुठभेड़
2019 में अभिनंदन वर्धमान को पकड़ने का दावा करने वाले पाकिस्तानी मेजर मोइज़ अब्बास शाह की TTP के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई. यह घटना दक्षिण वजीरिस्तान के सरगोधा क्षेत्र में हुई.
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पाकिस्तान से एक बड़ी खबर है. कहा जा रहा है कि 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पकड़ने का दावा करने वाले पाकिस्तानी सेना के मेजर मोइज अब्बास शाह की मौत हो गई है. तहरीक-ए-तालिबान (TTP) के साथ एनकाउंटर में गोली लगने से मेजर शाह को ढेर कर दिया गया. पाकिस्तानी सेना के मुताबिक मेजर शाह की अगुआई में पाकिस्तानी सेना दक्षिण वजीरिस्तान के सरगोधा इलाके में TTP के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी, जिसकी अगुआई स्पेशल सर्विस ग्रुप के अधिकारी मेजर मोइज अब्बास शाह कर रहे थे. इस दौरान पाकिस्तानी सेना और TTP के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें आतंकियों की गोली लगने से मेजर शाह और पाकिस्तानी सेना के लांस नायक जिब्रानुल्लाह की मौत हो गई. पाकिस्तानी सेना के मुताबिक उसकी स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) में मेजर की रैंक पर तैनात मोइज अब्बास शाह चकवाल जिले का रहने वाला था और इसकी उम्र 37 साल थी.
2007 में हुआ TTP का गठन
TTP यानी का गठन 14 दिसंबर 2007 को हुआ था. पाकिस्तानी सेना की तरफ से लाल मस्जिद पर सैन्य कार्रवाई की गई थी, जिसके विरोध में तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) नाम का आतंकी संगठन बना. इस आतंकी संगठन का संस्थापक सदस्य कारी हुसैन महसूद, जिसने सबसे पहले TTP के आतंकियों को सुसाइड बॉम्बर बनने की ट्रेनिंग दी थी, वो साल 2007 आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था और पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में जैश के आतंकियों को फ़िदायीन हमले की ट्रेनिंग देता था.
जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर और बालाकोट स्थित ट्रेनिंग कैंप का कमांडर अब्दुल जब्बार साल 2007 तक इन दोनों जैश के ट्रेनिंग कैंप में आतंकियों को भारत में बम धमाके करने और आईईडी ब्लास्ट करने की ट्रेडिंग देता था. साल 2007 में अब्दुल जब्बार भी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ गया. परवेज मुशर्रफ पर आतंकी हमला करने वाला मोहम्मद अदनान रशीद भी जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का कमांडर था. इसकी ट्रेनिंग खुद ISI की देखरेख में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हुई थी.
जानिए आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के बारे में
इसी तरह आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के अभी के प्रमुख नूर वाली महसूद की 90 के दशक में आतंक की ट्रेनिंग जैश-ए-मोहम्मद के बन्नू स्थित आतंकी कैंप में हुई थी. जहां पर अफगानिस्तान में जिहाद के लिए आतंकियों को तैयार किया जाता था. इसी तरह तहरीक-ए-तालिबान के कई कमांडर लश्कर-ए-झांगवी आतंकी संगठन छोड़ कर TTP में शामिल हुए, जिन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने शिया समुदाय को निशाना बनाने के लिए तैयार किया था.
पाकिस्तान ने दशकों तक जिस "रणनीति गहराई" की नीति के तहत आतंकियों को शरण, प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए, वही नीति आज उसके लिए सबसे बड़ा सुरक्षा संकट बन गई है. विशेष रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), जो एक समय अफगान युद्ध और कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोगी माना जाता था, अब पाकिस्तान की ही संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है.
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