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अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी के भारत दौरे से बौखलाया पाकिस्तान, दिखाया अपना असली चेहरा, काबुल पर बरसाए बम!

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गुरुवार रात जोरदार धमाकों से दहल उठी. रात करीब 12 बजे डिस्ट्रिक्ट 8 और अब्दुलहक चौक इलाके में विस्फोटों के साथ गोलीबारी की आवाजें भी सुनी गईं. स्थानीय मीडिया के अनुसार, ये हमले संभवतः पाकिस्तान की ओर से की गई एयरस्ट्राइक हो सकती है. यह घटना के वक्त अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर हैं. तालिबान सरकार ने बयान जारी कर कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और जांच जारी है.

Amir Khan Muttaqi (File Photo)

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गुरुवार रात एक बार फिर लगातार कई धमाकों ने की आवाज से दहल उठी. रात करीब 12 बजे डिस्ट्रिक्ट 8 और अब्दुलहक चौक के आसपास अचानक जोरदार विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं. चश्मदीदों के मुताबिक, धमाकों से ठीक पहले आकाश में विमानों की गूंज सुनाई दी थी और इसके कुछ ही देर बाद गोलीबारी की आवाजें भी आईं. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शुरुआती आशंका है कि ये पाकिस्तान की ओर से की गई एयरस्ट्राइक हो सकती है, हालांकि आधिकारिक तौर पर किसी ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है. ये घटना तब घटी जब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी 6 दिवसीय भारत दौरे पर हैं. 

धमाकों को लेकर अफगान मीडिया के अमू टीवी और टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक कि यह हमला संभवतः एक खास कंपाउंड को निशाना बनाकर किया गया था, जहां टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के नेता नूर वली महसूद के छिपे होने की आशंका थी. महसूद पाकिस्तान का नागरिक था और उस पर कई आतंकी हमलों के गंभीर आरोप हैं.

तालिबान सरकार ने दी जानकारी 

धमाकों के बाद अफगान तालिबान सरकार ने बयान जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. सरकार के प्रवक्ता ने कहा, 'काबुल शहर में एक विस्फोट की आवाज सुनी गई है, लेकिन जनता को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जांच जारी है और अब तक किसी नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है.' हालांकि इस बयान से काबुलवासियों की चिंता कम नहीं हुई क्योंकि रातभर शहर के कुछ हिस्सों में सुरक्षा बलों की गतिविधियां जारी रहीं.

भारत दौरे पर हैं अफगान विदेश मंत्री

इन धमाकों की टाइमिंग ने सबसे ज्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल, यह घटना उस समय हुई जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत के छह दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे हुए हैं. यह दौरा इसलिए ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह भारत और अफगानिस्तान के बीच पहला उच्च-स्तरीय संपर्क है. बता दें भारत ने अब तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मुत्ताकी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों में एक नया अध्याय खोलने का संकेत दे रही है. भारत, अफगानिस्तान में शिक्षा, स्वास्थ्य, और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में पहले से बड़ा निवेश रखता है, जिसे तालिबान सरकार अब दोबारा गति देना चाहती है.

पाकिस्तान क्यों चिढ़ा हुआ है?

भारत-अफगानिस्तान की बढ़ती नजदीकियों से सबसे ज्यादा बेचैनी इस्लामाबाद में देखी जा रही है. पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान को अपने भाईचारे वाले इस्लामी पड़ोसी के रूप में पेश करता रहा है और उसे यह विश्वास था कि तालिबान शासन उसकी नीतियों के अनुरूप काम करेगा. लेकिन तालिबान सरकार ने सत्ता संभालने के बाद खुद को पाकिस्तान पर निर्भर रहने से साफ इनकार किया है. तालिबान अब भारत जैसे देशों से आर्थिक, सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इससे पाकिस्तान का वह पारंपरिक प्रभाव कमजोर पड़ रहा है जो उसने दशकों तक काबुल की राजनीति में बनाए रखा था. यही वजह है कि अब पाकिस्तान के सुर पहले से कहीं ज्यादा आक्रामक दिखाई दे रहे हैं.

ख्वाजा आसिफ ने दी थी चेतावनी 

घटना से एक दिन पहले ही पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने संसद भाषण में अफगानिस्तान को खुली चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था, 'अब बहुत हो गया. हमारा धैर्य जवाब दे चुका है. अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद असहनीय है.' आसिफ ने दावा किया कि अफगानिस्तान में करीब 6,000 से 7,000 टीटीपी आतंकी सक्रिय हैं जो पाकिस्तान के लिए खतरा बने हुए हैं. उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर अफगान अधिकारियों से कई बार बातचीत हुई, लेकिन कोई ठोस गारंटी नहीं मिली. यहां तक कि तालिबान सरकार ने कथित तौर पर पाकिस्तान से इन आतंकियों को सीमा से हटाने के बदले वित्तीय मदद की मांग भी की थी. ऐसे में चेतावनी देने के कुछ ही घंटों बाद काबुल में विस्फोटों की खबरें सामने आईं. इस कारण यह माना जा रहा है कि यह पाकिस्तान की ओर से की गई एक सीमित हवाई कार्रवाई हो सकती है. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.

क्या फिर बढ़ेगा दक्षिण एशिया में तनाव?

काबुल में हुए इन धमाकों ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता की आशंका को फिर जगा दिया है. अफगानिस्तान पहले से ही राजनीतिक अनिश्चितता, बेरोजगारी और आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में किसी पड़ोसी देश की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई उसके भीतर की स्थिति को और अस्थिर कर सकती है. भारत के लिए भी यह घटना चिंता का विषय है क्योंकि मुत्ताकी का भारत दौरा अब सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अहम हो गया है. भारत यह देखना चाहेगा कि क्या पाकिस्तान इन हमलों को लेकर कोई आधिकारिक रुख अपनाता है या फिर ये धमाके एक अनौपचारिक संदेश थे कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान-भारत नजदीकी को सहजता से नहीं देख रहा.

बताते चलें कि अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर इस कार्रवाई की पुष्टि करेगा या नहीं, और क्या तालिबान सरकार भारत के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को आगे बढ़ाने का साहस दिखा पाएगी. काबुल के आसमान में गूंजे ये धमाके शायद सिर्फ शुरुआत हैं उस तनाव की, जो आने वाले दिनों में पूरे क्षेत्र की दिशा तय कर सकता है.

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