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पाकिस्तान की गजब बेइज्जती, ट्रंप दौरे की बता रहा था तारीख, व्हाइट हाउस ने खोल दी दावों की पोल

पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय फजीहत एक बार फिर सामने आई है. पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया गया था कि डोनाल्ड ट्रंप सितंबर में पाकिस्तान यात्रा पर आ सकते हैं, लेकिन व्हाइट हाउस ने इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने साफ किया कि ट्रंप की पाकिस्तान यात्रा की कोई योजना नहीं है.

पाकिस्तान की मीडिया और उसकी सरकार की एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जबरदस्त किरकिरी हो गई है. पाकिस्तानी मीडिया में कुछ दिन पहले जोर-शोर से यह प्रचार किया गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सितंबर महीने में पाकिस्तान की यात्रा पर आ सकते हैं. इस बड़ी खबर को पाक मीडिया ने ऐसे परोसा मानो सब कुछ पक्के तौर पर तय हो चुका हो. लेकिन कुछ ही दिनों में इस खबर की असलियत सामने आ गई. खुद व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस खबर को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई यात्रा तय नहीं है और न ही ऐसा कोई कार्यक्रम है. पाकिस्तान एक बार फिर अपनी झूठी अफवाहों और बिना पुष्टि के दावों के कारण दुनिया के सामने मज़ाक का पात्र बन गया है. 

पाकिस्तान नहीं स्कॉटलैंड जा रहे हैं ट्रंप

व्हाइट हाउस ने इस अफवाह का जवाब देने के साथ ही ट्रंप के असली कार्यक्रमों की जानकारी भी दी. प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप 25 जुलाई से 29 जुलाई तक स्कॉटलैंड की यात्रा पर रहेंगे. इस दौरान वे टर्नबेरी और एबरडीन जैसे स्थानों का दौरा करेंगे. इसके अलावा ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप इस साल सितंबर में यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक यात्रा भी करेंगे, जहां वे किंग चार्ल्स से विंडसर कैसल में मुलाकात करेंगे. यह यात्रा 17 से 19 सितंबर के बीच होगी और यह ट्रंप की दूसरी आधिकारिक ब्रिटेन यात्रा होगी.

अफवाह फैलाने में माहिर पाकिस्तानी मीडिया

पाकिस्तान की मीडिया में यह खबर प्रमुखता से चलाई गई कि ट्रंप 18 सितंबर के आसपास पाकिस्तान पहुंच सकते हैं. इस खबर के आते ही पाकिस्तान के सरकारी हलकों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, मानो अमेरिका फिर से पाकिस्तान की तरफ झुकाव दिखा रहा हो. लेकिन असलियत सामने आते ही स्थिति उलटी हो गई. यह पहली बार नहीं है जब पाक मीडिया ने बिना किसी आधार के इस तरह की अफवाहें उड़ाई हों. इससे पाकिस्तान की साख को लगातार धक्का लग रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी छवि एक गैर-जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में बनती जा रही है.

असीम मुनीर की तानाशाही की तैयारी?

पाकिस्तान में ट्रंप की कथित यात्रा की अफवाह ऐसे समय पर फैलाई गई जब वहां की सत्ता में भारी उथल-पुथल चल रही है. खास तौर पर सेना प्रमुख असीम मुनीर को लेकर चर्चा जोरों पर है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और उनकी जगह असीम मुनीर खुद को राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च शासक के रूप में घोषित कर सकते हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि यह सब एक प्लानिंग स्क्रिप्ट का हिस्सा है, जिसमें ट्रंप की यात्रा की अफवाह भी इसी राजनीतिक ड्रामे का हिस्सा थी.

पाकिस्तान में सबकुछ सामान्य नहीं

पाकिस्तान में इन दिनों प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, राष्ट्रपति जरदारी और सेना प्रमुख असीम मुनीर के बीच लगातार उच्च स्तरीय बैठकें चल रही हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इन बैठकों का मुख्य एजेंडा सत्ता हस्तांतरण और तानाशाही शासन की ओर बढ़ने की रणनीति है. अगर असीम मुनीर सच में राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठते हैं तो यह पाकिस्तान के लिए लोकतंत्र के ताबूत में अंतिम कील साबित हो सकती है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह कदम पाकिस्तान की स्थिति को और भी दयनीय बना देगा.

बताते चलें कि पाकिस्तान की सरकार और उसकी मीडिया बार-बार यह साबित कर रही हैं कि वे प्रचार और अफवाहों के बल पर ही अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन बार-बार की अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती ने यह साफ कर दिया है कि झूठ बोलकर सम्मान नहीं मिलता. अमेरिका जैसा देश अपने राष्ट्राध्यक्षों की हर यात्रा को लेकर अत्यंत सतर्क और योजनाबद्ध होता है. ऐसे में यह उम्मीद करना कि एक ऐसी अस्थिर राजनीतिक स्थिति वाले देश में ट्रंप जैसे नेता जाएंगे, केवल एक भ्रम ही हो सकता है. व्हाइट हाउस ने इन अफवाहों पर विराम लगाकर साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की हकीकत क्या है.

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