चीन-अमेरिका के बीच बड़ी डील, रेयर मिनरल्स के बदले चीनी स्टूडेंट्स को एडमिशन देगा US, ट्रंप बोले- हमारा रिश्ता बेहतरीन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिश करते हुए दुर्लभ खनिज (रेयर मिनरल्स) और मैग्नेट्स की आपूर्ति को लेकर एक अहम डील का ऐलान किया है. डील के तहत चीन अमेरिका को रेयर मिनरल्स और चुंबकीय पदार्थों की आपूर्ति करेगा, जो रक्षा, टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम माने जाते हैं. इसके बदले में अमेरिका चीनी छात्रों को अपने कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला देने की इजाजत देगा.
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिश करते हुए दुर्लभ खनिज (रेयर मिनरल्स) और मैग्नेट्स की आपूर्ति को लेकर एक अहम डील का ऐलान किया है. यह समझौता चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
डील के तहत चीन अमेरिका को रेयर मिनरल्स और चुंबकीय पदार्थों की आपूर्ति करेगा, जो रक्षा, टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम माने जाते हैं. इसके बदले में अमेरिका चीनी छात्रों को अपने कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में दाखिला देने की इजाजत देगा. एक ऐसा मुद्दा जो बीते वर्षों में कड़े वीज़ा नियमों की वजह से तनाव का विषय रहा है.
सोशल मीडिया पर ट्रंप ने दी जानकारी
ट्रंप ने यह घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ सोशल’ पर करते हुए लिखा, “हमें चीन से 55% टैरिफ मिल रहा है, जबकि चीन को सिर्फ 10% टैरिफ मिल रहा है. हमारा रिश्ता बेहतरीन है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के रणनीतिक और शैक्षणिक हितों के लिए लाभकारी होगा. ट्रंप के इस ऐलान को चीन-अमेरिका संबंधों में संभावित नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, विशेषकर तब जब वैश्विक मंच पर दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है.
अमेरिका कैसे लेगा टैक्स?
एक प्रमुख समाचार एजेंसी के मुताबिक व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि इस डील के तहत अमेरिका चीन से आने वाले सामानों पर कुल 55% टैक्स लगाएगा. इस कर संरचना को तीन हिस्सों में बांटा गया है. इसमें 10% बेसलाइन टैरिफ, ताकि व्यापार में समानता बनी रहे. 20% अतिरिक्त टैरिफ, जो फेंटानाइल तस्करी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के तौर पर जोड़ा गया है. इसके आलवा 25% मौजूदा टैरिफ, जो पहले से ही लागू है. वहीं, इसके मुकाबले चीन केवल 10% टैक्स ही अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर लगाएगा. इस असंतुलित टैक्स स्ट्रक्चर के बावजूद, अमेरिका ने समझौते को रणनीतिक संतुलन का हिस्सा बताया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील रेयर अर्थ एलिमेंट्स के क्षेत्र में अमेरिका की चीन पर निर्भरता को एक औपचारिक रूप दे सकती है, लेकिन शैक्षणिक सहयोग इसके संतुलन में मदद कर सकता है. अब देखना यह होगा कि यह समझौता आने वाले दिनों में व्यापार और कूटनीति दोनों क्षेत्रों में क्या प्रभाव डालता है, और अमेरिका के घरेलू राजनीतिक परिदृश्य में इस पर कैसी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है.
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