मेलानिया का लेटर बना अलास्का समिट की सुर्खी, ट्रंप ने पुतिन को खुद सौंपा, जानें किन बातों का किया जिक्र
अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तीन घंटे लंबी बैठक हुई, जिसमें यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हुई लेकिन कोई ठोस समझौता नहीं हो सका. इसी दौरान ट्रंप ने अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप की ओर से लिखी एक निजी चिट्ठी पुतिन को सौंपी, जिसमें यूक्रेन और रूस के बच्चों की हालत का जिक्र था.
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अलास्का में शनिवार को वह घड़ी आ ही गई, जिसका इंतजार पूरी दुनिया कर रही थी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने मिले. यह मुलाकात सिर्फ दो नेताओं की बातचीत भर नहीं थी, बल्कि इसमें दुनिया की राजनीति और खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध की दिशा बदलने की संभावनाएं छिपी हुई थीं. करीब तीन घंटे चली यह बातचीत भले ही किसी ठोस समझौते तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन इसके संकेत साफ हैं कि दोनों बड़े देश अब संवाद की राह पर चलना चाहते हैं.
मेलानिया ट्रंप की चिट्ठी ने खींचा ध्यान
बैठक का सबसे भावुक और अप्रत्याशित पल तब आया, जब ट्रंप ने अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप की ओर से लिखी गई एक निजी चिट्ठी पुतिन को सौंपी. स्लोवेनिया में जन्मी मेलानिया इस यात्रा में मौजूद नहीं थीं, लेकिन उनकी लिखी चिट्ठी ने बैठक को एक नया मोड़ दिया. व्हाइट हाउस अधिकारियों के मुताबिक, इस चिट्ठी में रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बच्चों की स्थिति का जिक्र था. खास तौर पर उन बच्चों का, जिनके अपहरण का आरोप रूस पर लगाया जा रहा है.
बच्चों का मुद्दा क्यों अहम है
यूक्रेन का आरोप है कि रूस ने हजारों बच्चों को उनके परिवार या अभिभावकों की अनुमति के बिना कब्जे वाले इलाकों से रूस ले जाया है. यह न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के मुताबिक इसे युद्ध अपराध और यहां तक कि नरसंहार की श्रेणी में भी गिना जा सकता है. रूस की तरफ से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा गया है कि वह सिर्फ युद्ध क्षेत्र से बच्चों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहा है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने स्पष्ट कहा है कि 2022 से शुरू हुई इस जंग ने लाखों यूक्रेनी बच्चों को पीड़ा दी है. उनके अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है और इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा. यही वजह है कि मेलानिया ट्रंप की चिट्ठी ने इस संवेदनशील मुद्दे को बैठक के केंद्र में ला दिया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं रहा कुछ खास
बैठक के बाद दोनों नेताओं ने 12 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस की. लेकिन इस दौरान उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बातचीत सकारात्मक रही और कई मुद्दों पर सहमति बनी है. ट्रंप ने कहा, "जब तक किसी समझौते पर साइन नहीं होता, तब तक वह समझौता नहीं माना जाएगा." यह बयान साफ करता है कि अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है. ट्रंप ने यह भी बताया कि वे जल्द ही नाटो से बात करेंगे और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को फोन करके इस बैठक के बारे में जानकारी देंगे.
पुतिन-ट्रंप रिश्तों की मिली दिशा
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और रूस के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण रहे हैं. यूक्रेन युद्ध ने इन तनावों को और गहरा कर दिया. ऐसे में अलास्का में हुई यह मुलाकात दोनों देशों के बीच संवाद का एक नया अध्याय खोलती है. पुतिन और ट्रंप दोनों ही इस बात को समझते हैं कि अगर बातचीत बंद हो गई तो युद्ध और हिंसा ही बढ़ेगी. हालांकि, यह भी सच है कि सिर्फ बातचीत से युद्ध नहीं रुकते. इसके लिए ठोस समझौते, पारदर्शिता और ईमानदार कोशिशों की जरूरत होती है.
दुनिया की उम्मीदें
इस मुलाकात से पूरी दुनिया की उम्मीदें जुड़ी हैं. अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देश अगर किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं तो उसका असर सीधे तौर पर यूरोप, एशिया और पूरी दुनिया की राजनीति पर पड़ेगा. यूक्रेन के लिए यह बैठक एक उम्मीद की किरण हो सकती है. लेकिन सवाल यह भी है कि क्या रूस और अमेरिका अपने-अपने हितों से ऊपर उठकर बच्चों और आम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे.
बता दें कि अलास्का की यह मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक रही. तीन घंटे चली बातचीत में भले ही कोई ठोस समझौता सामने नहीं आया हो, लेकिन मेलानिया ट्रंप की चिट्ठी ने चर्चा का नया एजेंडा तय कर दिया है. बच्चों का मुद्दा केवल भावनाओं से जुड़ा नहीं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवता से सीधा टकराव है. ऐसे में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात ने यह साफ कर दिया है कि बातचीत का रास्ता अभी खुला है. अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह बातचीत किस दिशा में जाता है.
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