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बस से अगवा कर सुनसान जगह ले गए, फिर 9 लोगों को गोलियों से भूना... पाकिस्तान के बलूचिस्तान में खौफनाक वारदात

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में अज्ञात हमलावरों ने बसों को रोककर यात्रियों को अगवा किया और सुनसान इलाके में ले जाकर 9 लोगों को बेरहमी से गोली मार दी. सरकारी प्रवक्ता शाहिद रिंद के मुताबिक यह एक सुनियोजित हमला था, जबकि नाविद आलम ने बताया कि शव रात में बरामद हुए, जिन पर गोलियों के गहरे निशान थे.

File Photo

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है. जब लोग बसों में सफर कर रहे थे, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा. बलूचिस्तान के दूरदराज इलाके में अज्ञात बंदूकधारियों ने कई बसों को रोका. फिर बंदूक की नोक पर कुछ यात्रियों को अगवा कर लिया गया. अगवा किए गए लोगों को सुनसान इलाके में ले जाकर बेरहमी से गोलियों से छलनी कर दिया गया. इस भयावह घटना में कुल 9 लोगों की मौके पर ही जान चली गई.

शवों के साथ आई बेबसी की तस्वीर
घटना की पुष्टि बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता शाहिद रिंद ने की. उन्होंने बताया कि हमलावरों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन यह एक पूर्व-नियोजित और सुनियोजित हमला था. एक अन्य सरकारी अधिकारी नाविद आलम ने बताया कि इन लोगों के शव रात को बरामद किए गए, जो बेहद दर्दनाक हालत में मिले. सभी शवों पर गोलियों के निशान थे और यह साफ तौर पर एक नस्लीय या राजनीतिक कारणों से की गई हत्या जैसा प्रतीत हो रहा है.

शक की सुई बलूच विद्रोहियों की ओर
इस हमले की जिम्मेदारी अब तक किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है. लेकिन शक की सुई सीधे बलूच विद्रोहियों की ओर जाती है. बलूचिस्तान में पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं. बलूच विद्रोही लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष कर रहे हैं. वे खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते और आजादी की मांग करते हैं. साथ ही, उनका यह भी आरोप है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को पाकिस्तान सरकार और चीन मिलकर लूट रहे हैं.

बलूचों की नाराजगी का कारण क्या है
बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इलाका है. यहां प्राकृतिक गैस, कोयला, तांबा और बहुमूल्य खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इस संपदा का फायदा उन्हें नहीं बल्कि बाहर के लोगों को मिल रहा है. खासकर, चीन और पाकिस्तान की साझेदारी में चल रहे CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) प्रोजेक्ट्स को लेकर बलूचों में भारी नाराजगी है. बलूच विद्रोहियों का दावा है कि उनकी जमीन पर चीनी कंपनियों द्वारा काम किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ उनके संसाधनों की लूट हो रही है, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार नहीं मिल रहा.

CPEC बना संघर्ष की वजह 
CPEC यानी China-Pakistan Economic Corridor को पाकिस्तान सरकार ने विकास का सपना बताया है. लेकिन बलूचिस्तान में इसे हकीकत से ज्यादा एक धोखा माना जा रहा है. शिनजियांग प्रांत से लेकर ग्वादर तक फैले इस प्रोजेक्ट में सड़कों, रेल लाइनों, बिजली संयंत्रों और गहरे समुद्री बंदरगाहों का निर्माण शामिल है. बलूच विद्रोही इसे विदेशी कब्जे की तरह देखते हैं. यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर भी कई बार हमले हो चुके हैं. बलूच विद्रोहियों ने बार-बार चेताया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक हमले जारी रहेंगे.

पाकिस्तान के लिए दोहरी चुनौती
यह हमला पाकिस्तान सरकार के लिए दोहरी चुनौती बनकर सामने आया है. एक तरफ उसे आतंकवाद से लड़ना है, दूसरी तरफ अपने ही देश के भीतर उपेक्षित और गुस्साए लोगों को भी संभालना है. बलूच विद्रोही सिर्फ हथियार उठाने वाले लोग नहीं हैं, बल्कि वे लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं कि उन्हें उनके अधिकार मिलें. लेकिन पाकिस्तान की सरकारों ने अब तक उनकी मांगों को नजरअंदाज किया है. नतीजा यह है कि असंतोष अब हिंसा में बदल चुका है. बता दें कि बलूचिस्तान की यह घटना सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं बल्कि एक अंदरूनी विद्रोह की दर्दनाक झलक है. यह एक ऐसे समाज की तस्वीर है जो खुद को अपनी ही जमीन पर बेगाना महसूस करता है. और जब कोई अपने ही घर में पराया बन जाए, तब खून बहना तय होता है.

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