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इजरायल को चीन की 'चेतावनी'! UNSC में चीनी प्रतिनिधि बोले- हद पार न करें, ताकत का अंधाधुंध इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं करेंगे

संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करती है, ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालती है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करती है. ये आरोप चीन ने UNSC की इमरजेंसी मीटिंग में कही साथ ही इजरायल पर आरोप भी लगाया है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग ने इजरायल को सख्त लहजे में नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि इजरायल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करती है, ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालती है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करती है. 

उन्होंने ईरान-इजरायल को लेकर खरी-खरी बातें की हैं. साथ ही UNSC की इमरजेंसी मीटिंग में इजरायल पर आरोप भी लगाया है. आपको बता दें कि अब तक की जानकारी के अनुसार इजरायल-ईरान जंग में ईरान के 640 लोग मारे गए हैं, जबकि इजरायल की ओर से मरने वालों की संख्या 40 है.

फू कॉन्ग ने इस जंग के खतरे को प्रमुखता से उठाते हुए मीटिंग चेतावनी दी और कहा कि ‘अगर संघर्ष और बढ़ता है तो न केवल दोनों पक्षों को अधिक नुकसान होगा, बल्कि क्षेत्रीय देश भी गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. हालांकि चीन ने आगे ये नहीं बताया कि इस जंग से पश्चिम एशिया की कौन-कौन सी क्षेत्रीय ताकतें प्रभावित हो सकती हैं.

संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग ने कहा कि ‘इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष अपने आठवें दिन में प्रवेश कर गया है और यह देखना दुखद है कि संघर्ष के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों की सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है.’ 

UNSC की मीटिंग में चीन का बयान
फू कॉन्ग ने तत्काल युद्ध विराम की आवश्यकता पर जोर देते हुए UNSC की इमरजेंसी मीटिंग में कहा कि इस महत्वपूर्ण मोड़ पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आम सहमति बनानी चाहिए और तनाव कम करने के लिए बातचीत को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.

फू कॉन्ग ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए बल का प्रयोग सही तरीका नहीं है. इससे केवल नफरत और संघर्ष बढ़ेगा. जितनी जल्दी युद्ध विराम लागू होगा, उतना ही कम नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति को रसातल में ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती." संघर्ष में शामिल पक्षों विशेष रूप से इजरायल को स्थिति को आउट ऑफ कंट्रोल होने से रोकने और लड़ाई के किसी भी फैलाव से बचने के लिए जल्द से जल्द युद्ध विराम करना चाहिए और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए."

चीनी राजनयिक ने कहा कि सशस्त्र संघर्ष में नागरिक सुरक्षा के लिए रेड लाइन को किसी भी समय पार नहीं किया जाना चाहिए और ताकत का अंधाधुंध उपयोग अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि संघर्ष में शामिल पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए, निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए, नागरिक सुविधाओं पर हमला करने से बचना चाहिए और तीसरे देश के नागरिकों को निकालने में मदद करनी चाहिए.

फू कॉन्ग के अनुसार मौजूदा संघर्ष ने ईरानी परमाणु मुद्दे पर बातचीत की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है. फू ने कहा कि कई ईरानी परमाणु साइट पर हमले एक खतरनाक मिसाल कायम करते हैं और इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं. "हमें ईरानी परमाणु मुद्दे के राजनीतिक समाधान की सामान्य दिशा में नहीं डगमगाना चाहिए और हमें बातचीत और वार्ता के माध्यम से ईरानी परमाणु मुद्दे को राजनीतिक समाधान के रास्ते पर वापस लाने में दृढ़ रहना चाहिए."
चीन के राजनयिक ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसी ताकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संघर्ष में शामिल पक्षों पर विशेष प्रभाव रखने वाले प्रमुख देशों को स्थिति को शांत करने के लिए प्रयास करना चाहिए, न कि इसके विपरीत करना चाहिए.

चीन ने की सीजफायर की मांग
इस मीटिंग पहले भी चीन इस जंग की सीजफायर की मांग कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने 13 जून को कहा था कि ‘चीन इजरायल के हमलों से "बेहद चिंतित" है और ईरान की संप्रभुता के उल्लंघन का विरोध करता है.’ विदेश मंत्री वांग यी ने इजरायल के हमलों को "अस्वीकार्य" और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया, साथ ही शांति के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने की पेशकश की.

‘क्षेत्रीय अस्थिरता वैश्विक शांति के लिए खतरा है’
आपको बता दें कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 17 जून को कजाकिस्तान में कहा था कि क्षेत्रीय अस्थिरता वैश्विक शांति के लिए खतरा है और सभी पक्षों को युद्धविराम के लिए काम करना चाहिए. उन्होंने रूस के साथ मिलकर युद्ध को "यूएन चार्टर का उल्लंघन" करार दिया. चीन ने अमेरिका पर युद्घ को बढावा देने का आरोप भी लगाया और प्रभावशाली देशों से शांति के लिए जिम्मेदारी लेने को कहा. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि फिलहाल चीन की भूमिका सीमित है और वह सैन्य समर्थन से बच रहा है. उसका बयान केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित है.

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