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'PoK से लेकर आतंकवाद तक, सब मसले सुलझा लेंगे...बस भारत से बात करवा दो', जानें किस देश के सामने गिड़गिड़ाए PAK पीएम शहबाज़

भारत के कूटनीतिक वार और सैन्य कार्रवाई के बाद जो शहबाज शरीफ कभी भड़काऊ भाषण देकर पाकिस्तान में वाहवाही लूटते थे, अब वही भारत से बातचीत की अपील कर रहे हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बातचीत की और इस दौरान भारत से बातचीत की इच्छा जाहिर की. रिपोर्ट के मुताबिक, शरीफ ने पीओके, सिंधु जल संधि, आतंकवाद और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर भारत से बात करने की इच्छा जताई है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की कड़ी जवाबी कार्रवाई में डिप्लोमेटिक स्ट्राइक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक ने पाकिस्तान को झकझोर कर रख दिया है. नतीजा यह है कि जो शहबाज शरीफ कभी भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर देश में वाहवाही लूटते थे, अब वही भारत से बातचीत की अपील कर रहे हैं.

पाकिस्तानी मीडिया चैनल एआरवाई न्यूज के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बातचीत की और इस दौरान भारत से बातचीत की इच्छा जाहिर की. रिपोर्ट के मुताबिक, शरीफ ने पीओके, सिंधु जल संधि, आतंकवाद और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर भारत से बात करने की इच्छा जताई है. बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई निर्णायक कदम उठाए. इनमें अटारी-वाघा बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद करना, पाकिस्तानियों को मिलने वाली सार्क वीजा छूट रद्द करना, पाकिस्तान हाई कमीशन में स्टाफ घटाना और सबसे अहम, सिंधु जल संधि को सस्पेंड करना शामिल है. इन कड़े कदमों के बाद पाकिस्तान में जल संकट जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। विश्लेषकों का मानना है कि यही दबाव अब पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर आने को मजबूर कर रहा है.

भारत का स्पष्ट रुख
भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं निकलता, तब तक कोई भी द्विपक्षीय बातचीत मुमकिन नहीं है. राजनयिक हलकों में इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर जैसे लक्षित सैन्य अभियानों और सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने जैसे रणनीतिक कदमों ने पाकिस्तान पर ऐसा दबाव बनाया है जिससे वह उबर नहीं पा रहा. शहबाज शरीफ की यह पेशकश इस बात का संकेत हो सकती है कि पाकिस्तान अब गंभीर संकट की स्थिति में है और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने का डर सता रहा है.

पाकिस्तान को ओआईसी में भी नहीं मिला समर्थन
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के फैसले के बाद पाकिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उसे कोई खास समर्थन नहीं मिला. पाकिस्तान ने यह मसला ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) की बैठक में 57 मुस्लिम देशों के सामने उठाया, लेकिन किसी भी देश ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली. सिर्फ इतना ही नहीं, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में एक विशेष डेलीगेशन को कई देशों की यात्रा पर भेजा, जिसका उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना था. इस दौरान भी डेलीगेशन ने सिंधु जल संधि और पानी के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा. सिंधु जल संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी. इसके तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल का बंटवारा तय किया गया था. इस संधि के मुताबिक, पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया, जबकि पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलज का पानी भारत को सौंपा गया था. इस जल बंटवारे में पाकिस्तान को कुल 80% पानी मिलता है, जबकि भारत को केवल 20%. इस कारण पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति बड़ी हद तक इन पश्चिमी नदियों पर निर्भर है. भारत द्वारा इस संधि को सस्पेंड किए जाने के बाद पाकिस्तान में जल संकट गहराता नजर आ रहा है, जिसे लेकर अब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दौड़-धूप कर रहा है.

गौरतलब है कि 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों के नौ ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह कर दिया. जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की नाकाम कोशिश की, जिसे भारत ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए नूर खान एयरबेस तक को नुकसान पहुंचाया. पहलगाम हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.

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