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सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम में हुए पांच बड़े बदलाव, जानिए कैसे मिलेगा केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा

CGHS योजना में हुए ये पांच बड़े बदलाव सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सरल, सुलभ और समय बचाने वाला बना देंगे. मोबाइल ऐप, यूनिक आईडी, डिजिटल कार्ड और रेफरल नियमों में मिली छूट.

Central Government Health Scheme: स्वास्थ्य हर इंसान की जिंदगी का सबसे अहम पहलू होता है. अचानक आई बीमारी या मेडिकल इमरजेंसी न सिर्फ शारीरिक परेशानी लाती है, बल्कि आर्थिक दबाव भी पैदा करती है. इसीलिए ज्यादातर लोग हेल्थ इंश्योरेंस का सहारा लेते हैं. हालांकि सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए इस दिशा में सरकार पहले से ही सुविधाएं देती है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए CGHS (Central Government Health Scheme) एक प्रमुख स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जिसके अंतर्गत सस्ती और भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस योजना में 5 अहम बदलाव किए हैं, जिनका उद्देश्य इलाज की प्रक्रिया को और आसान, तेज और डिजिटल बनाना है. इन नए सुधारों से सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं लेने में कहीं अधिक सुविधा मिलेगी.

अब मोबाइल ऐप से ही हो सकेगा इलाज का सारा काम

CGHS योजना के तहत अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई मोबाइल ऐप लॉन्च की है, जो इस योजना को और अधिक सुलभ और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस ऐप के जरिए लाभार्थी घर बैठे ही डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक कर सकते है. अब उन्हें OPD में घंटों लाइन में लगने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

इसके अलावा, डिजिटल स्लिप और मेडिकल रिपोर्ट भी सीधे ऐप पर उपलब्ध होंगी. लाभार्थी अपना CGHS कार्ड भी मोबाइल से ही डाउनलोड कर सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस ऐप के ज़रिए रजिस्ट्रेशन या रिन्यूअल की फीस भी ऑनलाइन भरी जा सकती है. यानी, अब इलाज के लिए बार-बार कागज़ी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा.

पैन कार्ड से लिंक होगी यूनिक आईडी

अब CGHS के तहत हर लाभार्थी को एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जिसे उनके पैन कार्ड से लिंक किया जाएगा. इस नई व्यवस्था से लाभार्थी और उनके पूरे परिवार का मेडिकल रिकॉर्ड एक ही जगह संचित रहेगा. इससे न सिर्फ रिकॉर्ड मैनेजमेंट आसान होगा, बल्कि फर्जीवाड़े और डुप्लीकेट क्लेम जैसी समस्याओं पर भी लगाम लगेगी.

इसके अलावा, हर बार इलाज के लिए अलग-अलग डॉक्युमेंट दिखाने या पुराने रिकॉर्ड जुटाने की जो झंझट थी, वह अब पूरी तरह खत्म हो जाएगी. रिन्यूअल की प्रक्रिया भी पहले की तुलना में कहीं आसान और तेज हो जाएगी.

रेफरल की प्रक्रिया हुई सरल

सरकार ने रेफरल से जुड़े नियमों में भी अहम राहत दी है, खासतौर पर बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए. अब 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के CGHS पेंशनर्स को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलने के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी. पहले यह सीमा 75 साल थी, जिसे अब घटाकर 70 कर दिया गया है. इससे वरिष्ठ नागरिकों को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें इलाज के लिए अलग से रेफरल लेने की परेशानी से नहीं गुजरना पड़ेगा.इतना ही नहीं, अब यदि किसी लाभार्थी को प्राइवेट अस्पताल में रेफरल दिया जाता है, तो वह रेफरल 3 महीने तक वैध रहेगा. यानी बार-बार एक ही प्रक्रिया को दोहराने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, जिससे मरीजों का समय और उनकी मेहनत दोनों की बचत होगी.

स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम

CGHS योजना में किए गए ये बदलाव यह साफ दर्शाते हैं कि सरकार अब डिजिटल और उपयोगकर्ता-केंद्रित स्वास्थ्य व्यवस्था को प्राथमिकता दे रही है. इन सुधारों से CGHS लाभार्थियों को अस्पतालों में बार-बार जाने, दस्तावेज दिखाने या लंबी लाइन में खड़े रहने की परेशानियों से निजात मिलेगी. साथ ही, यह बदलाव स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को भी बढ़ाएंगे.

अब सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए इलाज हुआ और आसान

CGHS योजना में हुए ये पांच बड़े बदलाव सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सरल, सुलभ और समय बचाने वाला बना देंगे. मोबाइल ऐप, यूनिक आईडी, डिजिटल कार्ड और रेफरल नियमों में मिली छूट .ये सभी पहलू दिखाते हैं कि केंद्र सरकार अब डिजिटल इंडिया की सोच के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को भी स्मार्ट और आमजन के अनुकूल बना रही है. 

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