चूहों ने पी 800 बोतल शराब! धनबाद से सामने आया चौंकाने वाला मामला
दुकान संचालकों का दावा है कि चूहों ने शराब की बोतलों के ढक्कन चबा डाले और शराब पी गए. कुछ मामलों में तो बोतलें पूरी तरह से गायब मिलीं. अधिकारियों को भी यह सुनकर पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन दुकानों में कई जगह बोतलों के अवशेष और टूटी हुई पैकिंग मिलने से मामला और दिलचस्प हो गया.

झारखंड में प्रचलित कहावत "सूर्य अस्त, झारखंड मस्त" अक्सर राज्य में शाम ढलते ही शराब की बढ़ती खपत पर कटाक्ष करती है. लेकिन इस बार शराब की चर्चा किसी इंसानी लत को लेकर नहीं, बल्कि चूहों की शराबखोरी को लेकर हो रही है और वो भी देसी नहीं, सीधे विदेशी शराब पर हाथ साफ!
चूहे गटक गए 800 बोतल विदेशी शराब
धनबाद से आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ ही दिनों में सरकारी शराब की दुकानों से 800 बोतल विदेशी शराब गायब हो गईं. जांच के दौरान जब अधिकारियों ने स्टॉक में भारी कमी देखी, तो इसका जिम्मेदार किसी चोर को नहीं, बल्कि… चूहों को ठहराया गया!
अधिकारियों के उड़े होश
दुकान संचालकों का दावा है कि चूहों ने शराब की बोतलों के ढक्कन चबा डाले और शराब पी गए. कुछ मामलों में तो बोतलें पूरी तरह से गायब मिलीं. अधिकारियों को भी यह सुनकर पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन दुकानों में कई जगह बोतलों के अवशेष और टूटी हुई पैकिंग मिलने से मामला और दिलचस्प हो गया.
चूहों की पसंद बनी विदेशी शराब!
जहां झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत हंडिया और महुआ जैसी देसी शराब आम है, वहीं अब खबर आ रही है कि यहां के चूहे भी "शौक़ीन मिज़ाज" हो गए हैं. सोशल मीडिया पर इस खबर ने तेजी से जगह बना ली है, और लोग इस बात को लेकर खूब मज़े ले रहे हैं "अब इंसानों को तो छोड़िए, चूहे भी झारखंड में मस्त हैं!"
मामला बना या बहाना?
वहीं, प्रशासन इस पूरे मामले को लेकर गंभीर जांच में जुट गया है. अधिकारियों का कहना है कि यह दावा बेहद असामान्य है, और यह जांच का विषय है कि यह वाकई चूहों की करतूत है या स्टॉक में गड़बड़ी छिपाने की कोई चाल.
एक सितंबर से राज्य में नई शराब नीति लागू होनी है, और इससे पहले स्टॉक की जांच के दौरान यह कमी सामने आई. बलियापुर और प्रधान खंता क्षेत्र की दुकानों में जब जांच हुई, तो पता चला कि 800 बोतलों में या तो शराब कम थी या फिर बोतलें पूरी तरह खाली थीं.