मेडे, मेडे, ये विराट है, मदद करें...जब यूक्रेन के समुद्री ड्रोन ने किया रूस के ऑयल शिप पर हमला, देखें VIDEO
यूक्रेन ने काला सागर यानी कि ब्लैक शी में रूस की 'शैडो फ्लीट' मानी जानी वाली दो शिप या ऑयल टैंकरों पर बड़ा हमला किया है. ये अटैक पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन से किया गया है. रूसी शिप को शैडो शिप फ्लीट इसलिए कहते थे क्योंकि ये रूसी तेल को प्रतिबंधों से बचाने के लिए अलग-अलग देशों के झंडे लगाकर ढोते थे.
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रूस और यूक्रेन के बीच जमीन पर चल रही लड़ाई और करीब 4 सालों से ज्यादा समय से चल रहा युद्ध अब समुद्र में पहुंच गया गया है. दरअसल यूक्रेन ने शनिवार को रूस के दो ऑयल शिप (टैंकरों) पर ब्लैक सी में पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन (सी बेबी) से हमला किया है. जानाकारी के मुताबिक दोनों शिप रूस की 'शैडो फ्लीट' का हिस्सा थे. कहा जाता है कि ये दोनों शिप टैंकर रूस पर लगे वैश्विक प्रतिबंधों से बचने के लिए अलग-अलग देशों के झंडे लगाकर रूसी तेल की सप्लाई करते थे. इन दोनों के नाम थे 'विराट' और 'काइरोस'. इन पर तस्करी में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं.
अमेरिकी चैनल CNN ने दावा किया है कि यह SBI और यूक्रेनी नौसेना का साझा ऑपरेशन था. इस हमले को रूस के ऑयल ट्रेड के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि तेल पर ही रूस की पूरी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है और अगर उस पर ही चोट होता है तो जाहिर है उसकी लड़ने की क्षमता बाधित होगी.
जब विराट के क्रू ने दिया मेडे, मेडे, मेडे कॉल!
रिपोर्ट्स की मानें तो रूस के 'फ्लैग ऑफ कन्वीनियंस' प्लान के तहत ये दोनों ऑयल टैंकर गैंबिया के झंडे के साथ खाली अवस्था में रूस के नोवोरोस्सिय्स्क बंदरगाह की ओर जा रहे थे. आपको बताएं कि पहला हमला विराट पर हुआ. जहाज के क्रू ने ओपन फ्रीक्वेंसी रेडियो पर इमरजेंसी सिग्नल यानी कि मेडे कॉल दिया. इस दौरान बोला गया कि “यह विराट है. मदद चाहिए! ड्रोन हमला! मेडे, मेडे, मेडे!'
वहीं दूसरे शिप 'कैरोस' पर हमले के बाद आग लग गई. हालांकि इसमें मौजूद 25 लोग बाल-बाल बच गए और सुरक्षित निकलने में कामयाब रहे.
Ukrainians attack two tankers of the Russian shadow fleet.
— Jürgen Nauditt 🇩🇪🇺🇦 (@jurgen_nauditt) November 29, 2025
According to sources, SBU Sea Baby naval drones attacked the two sanctioned oil tankers KAIRO and VIRAT in the Black Sea. It was a joint operation between the SBU's 13th Main Directorate for Military Counterintelligence… pic.twitter.com/U82scXaM5r
दो दिन में दो बार हमला!
मालूम हो कि इससे पहले भी शिप 'विराट' पर शुक्रवार को भी धमाका हुआ था. इसी पर शनिवार को फिर से अटैक किया गया. इस संबंध में तुर्किये ने जानकारी दी कि जहाज को हल्का-फुल्का नुकसान हुआ है, लेकिन गनीमत ये रही कि सभी लोग सुरक्षित हैं. ये जहाज तुर्किये तट से लगभग 30 मील की दूरी पर था.
वहीं इस हमले की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए यूक्रेन ने दावा किया है कि इस अटैक में जहाज को भीषण नुकसान हुआ है और ये इस्तेमाल लायक नहीं बचे हैं. रूस को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी के दावों के मुताबिक इस हमले के बाद रूस की तेल सप्लाई प्रभावित होगी. हालांकि रूस की ओर से इस पर अभी तो कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
जहां तक सी बेबी के इस्तेमाल की बात है तो CNN ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि यह दोनों हमले पूरी तरह प्लानड थे और इनमें अंडरवाटर और सरफेस ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया. वीडियों में देखा जा सकता है कि हमले के बाद जहाज में आग लग गई.
Maritime drones managed to destroy one of the three oil loading berths of the Caspian Pipeline Consortium in the Novorossiysk area, according to the CPC.
— kolibri.93 (@viktorikolibri) November 29, 2025
The CPC press service reported that oil shipments have been suspended.
In addition, it is reported that the Russian shadow… pic.twitter.com/Ep9puv714j
रडार, नेविगेशन सिस्टम को चकमा देने में माहिर 'विराट'
विराट (M/T Virat) एक रूसी क्रूड ऑयल टैंकर है, जिसे रूस की "शैडो फ्लीट" के तहत रूसी तेल को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से छिप-छिपाकर एशिया और अन्य बाजारों तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल होता है.
नाम बदले, मालिक बदले लेकिन नहीं बदला शिप का काम!
विराट का निर्माण साल 2018 में हुआ था. यूक्रेन के साथ युद्ध के शुरू होने के बाद लगे पश्चिमी देशों, यूरोप के प्रतिबंधों से बचने के लिए रूस ऐसे जहाजों का इस्तेमाल ऑयल स्पलाई के लिए करता है. इसके समय-समय पर नाम, झंडे और मालिक बदलते रहते हैं.
कैसे चलते हैं ये जहाज!
शैडो फ्लीट वाले ये जहाज अपने AIS (Automatic Identification System) ट्रांसपोंडर्स को समुद्र में नेविगेट करते वक्त बंद कर देते हैं. जिस कारण इन्हें रडार और निगरानी प्रणालियों पर डिटेक्ट करना मुश्किल होता है. यानी कि ये इन दोनों प्रणालियों से गायब हो जाते हैं. इसी वजह से इनकी गतिविधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.
कितना अहम है AIS?
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आपको बताएं कि AIS की वजह से ही किसी जहाज के मूवमेंट को ट्रैक किया जाता है और संकट के समय में उन्हें ट्रेस कर उन तक मदद या उनका रेस्क्यू किया जाता है. इतना ही नहीं इसी वजह से हर जहाज, एयरक्राफ्ट कैरियर को पता होता है कि किस देश का जहाज है, क्या वो दुश्मन है या दोस्त. इस वजह से मिस कैलकुलेट हमले को टाल दिया जाता है.
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