कैश फॉर जॉब घोटाला मामले में पार्थ चटर्जी को सुप्रीम से राहत, तीन महीने बाद रिहाई की संभावना
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी पार्थ चटर्जी की रिहाई तुरंत नहीं होगी, बल्कि यह तीन महीने बाद निचली अदालत द्वारा तय किए जाने वाले बेल बॉन्ड पर निर्भर करेगी.
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पश्चिम बंगाल के कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले में फंसे राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को भ्रष्टाचार से जुड़े सीबीआई केस में पार्थ चटर्जी को जमानत दे दी है. हालांकि, इस दौरान सीबीआई ने पार्थ चटर्जी की जमानत का जोरदार विरोध किया.
निचली अदालत करेगी तय
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी पार्थ चटर्जी की रिहाई तुरंत नहीं होगी, बल्कि यह तीन महीने बाद निचली अदालत द्वारा तय किए जाने वाले बेल बॉन्ड पर निर्भर करेगी.
कैसे साफ होगा रिहाई का रास्ता?
जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट इस मामले में चार्ज फ्रेम करने की प्रक्रिया 4 हफ्तों के भीतर पूरी करे. इसके बाद अगले 2 महीने में गवाहों की गवाही भी पूरी की जाए. इसी प्रक्रिया के बाद पार्थ चटर्जी की रिहाई का रास्ता साफ होगा.
पहले भी मिली थी जमानत
यह पहली बार नहीं है जब पार्थ चटर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. इससे पहले 13 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले ‘ईडी केस’ में उन्हें जमानत दी थी. उस आदेश के तहत भी उनकी जमानत 1 फरवरी 2025 से लागू हुई थी, यानी लगभग तीन महीने बाद. ठीक उसी तरह अब सीबीआई केस में भी उनकी रिहाई तीन महीने बाद होगी. बता दें कि पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को स्कूल जॉब के लिए कैश मामले में 151.26 करोड़ रुपए के कुल घोटाले की राशि में सबसे ज्यादा लाभार्थी दिखाया गया है, जैसा कि इसके पांचवें और अंतिम पूरक आरोपपत्र में विस्तार से बताया गया है.
ईडी ने जब्त किए करोड़ो रुपए
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कोलकाता में विशेष धन शोधन रोकथाम अधिनियम ‘पीएमएलए’ अदालत में दायर पूरक आरोपपत्र के अनुसार, ईडी द्वारा अब तक जब्त की गई कुल 151.26 करोड़ रुपए की राशि में से चटर्जी और मुखर्जी की संयुक्त हिस्सेदारी पूरी राशि में 103.78 करोड़ रुपये है. जब्त की गई राशि में नकदी और सोना तथा कुर्क की गई अचल संपत्ति शामिल है.
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