झारखंड: एक ही परिवार के तीन लोगों को सांप ने काटा, दो की मौत, एक की हालत गंभीर
स वर्ष मानसून के दौरान झारखंड में सर्पदंश की घटनाओं में अब तक 15 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.गत 4 जुलाई को गोड्डा जिला अंतर्गत सैदपुर गांव में जहरीले सांप ने हीरालाल राउत की पुत्री स्तुति कुमारी और पुत्र आदित्य कुमार को एक साथ डंस लिया.दोनों को जब तक अस्पताल पहुंचाया गया, उनकी मौत हो चुकी थी.रांची स्थित रिम्स में हर रोज सर्पदंश के आठ से दस केस पहुंच रहे हैं.
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झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत चैनपुर थाना क्षेत्र के नरसिंहपुर पथरा गांव में सांप ने एक परिवार के तीन लोगों को डंस लिया.इस दुखद घटना में दो सगे भाइयों अर्जुन कुमार और देव कुमार की मौत हो गई, जबकि उनके पिता प्रेम चौरसिया की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
सर्पदंश से दो सगे भाइयों की मौत
सर्पदंश का शिकार हुआ यह परिवार डाल्टनगंज के विधायक आलोक चौरसिया के रिश्ते में है.बताया गया कि तीनों गुरुवार की रात सो रहे थे, तभी घर में घुस आए सांप ने उन्हें डंस लिया.उन्हें देर रात इलाज के लिए पलामू स्थित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था.स्थिति बिगड़ती देख तीनों को रिम्स, रांची रेफर कर दिया गया, लेकिन वहां पहुंचने के पहले ही अर्जुन कुमार और देव कुमार की मौत हो गई.प्रेम चौरसिया का इलाज जारी है.
इससे पहले भी पति पत्नी को सांप ने डस लिया था
एक अन्य घटना में इसी थाना क्षेत्र के बासडीह गांव में जमीन पर सो रहे भिखारी भुइयां और उनकी पत्नी शकुंतला को भी गुरुवार की देर रात सांप ने डस लिया.दोनों को इलाज के लिए मेदिनीराय राय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में लाया गया, जहां शकुंतला देवी ने दम तोड़ दिया.भिखारी भुइयां की हालत गंभीर बनी हुई है.
झारखंड में सर्पदंश इस वर्ष 15 से अधिक लोगों की गई जान
इस वर्ष मानसून के दौरान झारखंड में सर्पदंश की घटनाओं में अब तक 15 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.गत 4 जुलाई को गोड्डा जिला अंतर्गत सैदपुर गांव में जहरीले सांप ने हीरालाल राउत की पुत्री स्तुति कुमारी और पुत्र आदित्य कुमार को एक साथ डंस लिया.दोनों को जब तक अस्पताल पहुंचाया गया, उनकी मौत हो चुकी थी.रांची स्थित रिम्स में हर रोज सर्पदंश के आठ से दस केस पहुंच रहे हैं.
रिम्स के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय सिंह ने बताया कि समय पर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को एंटीवेनम देकर बचाया जा सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़-फूंक का सहारा लेने वाले मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है.
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