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बाबरी नहीं रही तो बाबर रोड क्यों? हिंदू संगठनों का विरोध, साइन बोर्ड पर लिखा- अयोध्या मार्ग

हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाकर जगह का नाम बदलने की मांग की. उनका कहना है कि भारतीय समाज में बाबर जैसे विदेशी आक्रांता के नाम पर किसी भी जगह का नाम स्वीकार नहीं किया जा सकता.

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06 Dec 2025
( Updated: 11 Dec 2025
12:55 AM )
बाबरी नहीं रही तो बाबर रोड क्यों? हिंदू संगठनों का विरोध, साइन बोर्ड पर लिखा- अयोध्या मार्ग

राजधानी दिल्ली में बाबर रोड का नाम बदलने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. अयोध्या में बाबरी विध्वंस की बरसी पर बंगाली मार्केट के बाबर रोड का नाम बदलने की मांग की गई है. हिंदू सेना ने दिल्ली के बाबर रोड का नाम बदलकर अयोध्या मार्ग रखने की मांग की है. 

हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाकर जगह का नाम बदलने की मांग की. उनका कहना है कि भारतीय समाज में बाबर जैसे विदेशी आक्रांता के नाम पर किसी भी जगह का नाम स्वीकार नहीं किया जा सकता. हिंदू संगठनों ने बताया कि कई महागनगर पालिका परिषद को भी इस संबंध में पत्र लिखा गया था. जिसमें बाबर मार्ग का नाम बदलने की मांग की गई थी. उनका कहना है कि आखिर हम हिंदुस्तान में किसी जगह का नाम बाबर के नाम पर कैसे रख सकते हैं, लेकिन अभी तक परिषद की तरफ से इस संबंध में किसी भी प्रकार की संतोषजनक जवाब नहीं आया है. 

‘बाबर नाम नहीं स्वीकार’

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सवाल उठाए कि बाबर कोई संत महात्मा नहीं था. वो एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भारत में कई मंदिर ध्वस्त किए थे. अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ है. ऐसी स्थिति में हम बाबर के संबंध में किसी भी प्रकार के प्रतीकों को कैसे स्वीकार कर सकते हैं. 

उन्होंने सवाल उठाए कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है, तो ऐसी स्थिति में बाबर का क्या काम? हम अपने देश में किसी स्थल, इमारत या किसी जगह का नाम बाबर के नाम पर कैसे रख सकते हैं? क्या इस तरह की स्थिति हमारी संस्कृति में स्वीकार की जाएगी? जवाब साफ है, नहीं की जाएगी. 

‘गुलामी की याद दिलाता है बाबर रोड’ 

हिंदू सेना के अध्यक्ष ने कहा कि भारत कि आजादी के बाद भी जब कभी हम बाबर रोड से गुजरते हैं, तो यह हमें भारत की गुलामी की याद दिलाता है. एक आजाद देश में हम भारत की गुलामी से संबंधित प्रतीकों को स्वीकार करना हमारी सीमा से बाहर है. हम ऐसा कतई नहीं होने देंगे. 

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