5 दलित, 4 राजपूत, 1 मुस्लिम… नीतीश कुमार की नई टीम में दिखी सोशल इंजीनियरिंग, जानें किस जाति के कितने मंत्री बने
बिहार में एनडीए की जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दसवीं बार शपथ ली. नई कैबिनेट में 26 मंत्रियों को शामिल किया गया, जिसमें राजपूत, भूमिहार, दलित, वैश्य, कुर्मी, यादव, मुस्लिम और अन्य समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व रखा गया है.
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Bihar Cabinet Minister: बिहार में एनडीए की शानदार जीत के बाद गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही 26 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की.
सामाजिक संतुलन का रखा गया विशेष ध्यान
इस बार नीतीश कुमार ने अपनी नई कैबिनेट में जातिगत और सामाजिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है. उनके मंत्रिमंडल में राजपूत समाज से 4, भूमिहार समाज से 2, दलितों से 5 और वैश्य समुदाय से 4 मंत्रियों को शामिल किया गया है. इसके अलावा कुर्मी से 2, यादव से 2, मुस्लिम से 1, कुशवाहा से 3, निषाद से 2, ब्राह्मण से 1 और कायस्थ से 1 मंत्री को जगह मिली है. नई सरकार में बीजेपी से 14, जेडीयू से 8, चिराग पासवान की पार्टी से 2, जबकि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों से एक-एक मंत्री शामिल हैं. इस प्रकार नई कैबिनेट का गठन जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, ताकि सभी वर्गों और समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
जातिगत समीकरण साधने की कोशिश
बिहार की नई कैबिनेट में राजपूत समाज से श्रेयसी सिंह, लेशी सिंह, संजय सिंह और संजय कुमार सिंह शामिल हैं. भूमिहार समाज का प्रतिनिधित्व विजय कुमार सिन्हा और विजय कुमार चौधरी के माध्यम से किया गया है. कुशवाहा समाज से सम्राट चौधरी, सुरेंद्र मेहता और दीपक प्रकाश मंत्री बने हैं. इसके अलावा दलितों में अशोक चौधरी, संतोष कुमार सुमन और सुनील कुमार को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. वैश्य समाज से डॉ. दिलीप जायसवाल, यादव से बिजेंद्र प्रसाद यादव और राम कृपाल यादव, कुर्मी से श्रवण कुमार, ब्राह्मण से मंगल पांडेय, कायस्थ से नितिन नवीन और मुस्लिम समुदाय से मो. जमा खान शामिल हैं. इसके साथ ही मल्लाह समाज का प्रतिनिधित्व मदन सहनी और रमा निषाद, पासवान समाज से लखेंद्र कुमार रौशन और संजय पासवान, सुढी समाज से अरुण शंकर प्रसाद और अति पिछड़ा वर्ग से डॉ. प्रमोद कुमार चंद्रवंशी को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. नारायण शाह बनिया समाज के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हैं. इस तरह, नई कैबिनेट में जातिगत और सामाजिक संतुलन बनाए रखते हुए सभी प्रमुख वर्गों और समुदायों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है.
NDA की शानदार रणनीति
बिहार की नई एनडीए सरकार में जातीय संतुलन बनाए रखने की रणनीति साफ नजर आ रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में हर प्रमुख समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है. वैश्य समाज से डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल मंत्री बने हैं, जो विधान परिषद के सदस्य हैं. वैश्य वर्ग परंपरागत रूप से बीजेपी का मजबूत समर्थक माना जाता है, इसलिए इसे मंत्रिमंडल में शामिल करना अहम माना गया. कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व जेडीयू के वरिष्ठ नेता और नालंदा से विधायक श्रवण कुमार कर रहे हैं, जो नीतीश कुमार के सबसे पुराने साथियों में गिने जाते हैं. दलित समुदाय की भागीदारी संतोष सुमन के माध्यम से सुनिश्चित की गई है. वे मुसहर जाति से हैं और विधान परिषद के सदस्य हैं. मुसहर समाज बिहार के सबसे वंचित समूहों में आता है. सवर्ण कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व पटना शहर की बांकीपुर सीट से विधायक नितिन नबीन कर रहे हैं, जिन्होंने लगातार बीजेपी के चेहरा होने के नाते अपनी पकड़ मजबूत की है. इसके अलावा कोसी क्षेत्र की महिलाओं में लोकप्रियता रखने वाली धमदाहा से विधायक लेसी सिंह और पिछड़ा वर्ग के प्रभावशाली नेता मदन सहनी भी मंत्रिमंडल में शामिल हैं. जानकारों का कहना है कि इस तरह का जातीय संतुलन सरकार की स्थिरता और जनता से जुड़ाव बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. ये बताता है कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने बेहतर तरीक़े से रणनीति का परिचय दिया है.
बताते चलें कि नई कैबिनेट के गठन में जातीय और सामाजिक संतुलन पर जोर देकर एनडीए ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह सभी वर्गों और समुदायों को समान रूप से शामिल करने के प्रति प्रतिबद्ध है. इससे सरकार की स्थिरता और जनता से जुड़ाव को मजबूती मिलने की उम्मीद है.
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