आप 4 साल, वो 40 साल! ट्रंप के भारत से झगड़ा मोल लेने को दुनिया के इस दिग्गज उद्योगपति ने बताया बड़ी भूल, कहा- 'पछताना पड़ेगा'
प्रख्यात उद्योगपति किर्क लुबिमोव ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के खिलाफ शुरू किए गए टैरिफ वार और टकराव मोल लेने की नीति की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने 25% टैरिफ और प्रतिबंधों को अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से आत्मघाती बताया, जिससे ब्रिक्स और चीन को काउंटर करने की अमेरिकी योजना कमजोर हो सकती है. उन्होंने पीएम मोदी के वैश्विक प्रभाव की भी तारीफ की और कहा कि उनसे भी टकराव मोल लेना भूल ही है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति जब से अपने दूसरे कार्यकाल के तौर पर ओवल ऑफिस में वापसी की है, उन्होंने कई मोर्चों पर दुनियाभर के देशों के साथ फ्रंट ओपन कर लिया है. यहां तक उन देशों के साथ भी जो अमेरिका की टैकल चाइना नीति के प्रमुख स्तंभ हो सकते थे. ये ट्रंप की सूक्ष्म और शॉर्ट टर्म सोच ही है जिस कारण उन्होंने भारत जैसी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी के साथ झगड़ा मोल ले लिया है. ट्रंप अपने 4 साल के छोटे कार्यकाल के एक साल पूरी भी करने की कगार पर हैं और जो देश लंबी सोच-लंबी प्लानिंग करते हैं, उनके साथ झगड़ा करना, युद्ध छेड़ देना ट्रंप की भूल ही कही जा सकती है. ये बातें मशहूर कारोबारी और टेस्टबेड के चेयरमैन किर्क लुबिमोव ने कूटनीतिक लेकिन साफ भाषा में कही हैं.
भारत के साथ झगड़ा ट्रंप की रणनीतिक भूल
प्रसिद्ध कारोबारी और टेस्टबेड चेयरमैन किर्क लुबिमोव ने अमेरिका की हालिया भारत-विरोधी नीतियों पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि भारत पर 25% आयात शुल्क और रूस से तेल और हथियार खरीद को लेकर घोषित सख्तियों से अमेरिका की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है. लुबिमोव के अनुसार, ट्रंप की यह नीति अमेरिका के दीर्घकालिक हितों के खिलाफ है और इससे ब्रिक्स और चीन के विरुद्ध बनाई जा रही वैश्विक रणनीति को धक्का लगेगा.
किर्क लुबिमोव ने की ट्रंप की आलोचना
रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पोस्ट किए गए एक बयान में लुबिमोव ने कहा, "मैं पहले भी यह कह चुका हूं और फिर कहता हूं कि ट्रंप की टैरिफ नीति की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें भू-राजनीतिक दृष्टिकोण की पूरी तरह अनदेखी की गई है." उन्होंने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप अब भारत से भी टकराव मोल ले रहे हैं, जो न केवल दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बल्कि जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक सम्मानित और कई अहम देशों में प्रभाव रखने वाले नेताओं में गिने जाते हैं.
I've said it before, and I'll say it again;
— Kirk Lubimov (@KirkLubimov) August 2, 2025
The biggest problem with Donald Trump's tariff approach is that it has zero consideration to geopolitical strategy.
Trump is now picking a fight with India, one of the fastest growing economies in the world whose Prime Minister, Modi,… pic.twitter.com/A0I7JNom6w
फेल होगी ट्रंप की 'MAGA' कैंपेन
ट्रंप के बयानों पर तंज कसते हुए लुबिमोव ने कहा, "अगर अमेरिका चीन पर निर्भरता घटाना चाहता है, तो भारत सबसे प्रभावशाली और व्यवहारिक विकल्प हो सकता है. आखिरकार अमेरिका खुद सस्ते टूथब्रश तो बनाएगा नहीं.” लुबिमोव ट्रंप के उस 'MAGA' कैंपेन की बात कर रहे हैं जिसके तहत वो चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियां अपने ही देश में सामान बनाएं, जो अब तक सस्ती और बल्क लेबर फोर्स के लिए भारत-चीन, बांग्लादेश सहित दक्षिण एशियाई देशों की ओर रूख करते हैं. उनका कहने का मतलब साफ है, अगर यूएस टूथब्रश बनाएगा तो इसकी कीमत इतनी होगी कि बड़े बाजारों वाले देशों में खरीदना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि इन देशों में प्रति व्यक्ति आय अमेरिका की तुलना में कम है और यूएसए में इसे बनाने की लागत ज्यादा.
वहीं लुबिमोव ने अपने बयान में चेताया कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका की एशिया नीति को नुकसान पहुँचा सकती हैं. उन्होंने कहा, "एशियाई राष्ट्र लंबी अवधि की रणनीति पर काम करते हैं. ट्रंप का चार साल का कार्यकाल इनके लिए अस्थायी झटका या समुद्र में आने वाले हिचकोलों की तरह है. अमेरिका को चाहिए था कि वह कनाडा जैसे देशों के साथ मिलकर सहयोग की दिशा में पहल करता, ना कि टकराव की राह अपनाता."
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने एक तीखा बयान देते हुए भारत और रूस को ‘डूबती हुई अर्थव्यवस्थाएं’ करार दिया और कहा, "मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है, वे चाहें तो साथ डूब सकते हैं.” साथ ही उन्होंने 1 अगस्त से भारत से आयात की जाने वाली सभी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है. इसके अतिरिक्त, भारत द्वारा रूसी तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद पर दंडात्मक कार्रवाई भी घोषित की गई है. ट्रंप ने भारत की व्यापार नीति को "कठिन और अपमानजनक" बताया और यह भी कहा कि अमेरिका भारत से अपेक्षाकृत बहुत कम व्यापार करता है. उन्होंने तो भारत को डेड इकोनोमी भी कह दिया जिसका प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से इशारों ही इशारों में काशी की रैली से जवाब भी आया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र से दहाड़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब दिया है. उन्होंने ट्रंप के 'डेड इकोनॉमी' वाले बयान पर कहा है कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. इस दौरान उन्होंने देशवासियों को स्वदेशी चीजों को अपनाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने हर एक भारतीयों को संकल्प दिलवाते हुए कहा कि कृपया देश हित को प्राथमिकता दें और स्वदेशी चीजों की खरीदारी ज्यादा से ज्यादा करें.
'भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा'
पीएम मोदी ने आगे यह भी कहा कि 'जहां दुनिया आर्थिक मंदी और अर्थव्यवस्था की कई आशंकाओं से गुजर रही है. अस्थिरता का एक माहौल है. दुनिया के सभी देश अपने-अपने हितों पर फोकस कर रहे हैं. इस दौरान भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. भारत को अपने आर्थिक हितों को लेकर हमेशा सजग रहना चाहिए. हमें अपने किसानों, लघु उद्योगों, युवाओं और रोजगार के मुद्दों को पहली प्राथमिकता देनी होगी.'
पीयूष गोयल ने भी दिया ट्रंप को जवाब!
ट्रंप के ‘डेड इकोनॉमी' वाले बयान पर भारत ने भी सख्त प्रतिक्रिया दी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा, "भारत आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और हम शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं. हम वैश्विक विकास में 16% का योगदान दे रहे हैं." उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व आर्थिक प्रणाली का "ग्रोथ इंजन" बन चुका है.
भारत-रूस में बढ़े तेल आयात
वर्तमान में भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक बन चुका है. यूक्रेन संघर्ष से पहले यह आंकड़ा 1% से भी कम था, जो अब 35% के पार चला गया है. इसके अलावा ट्रंप प्रशासन ने ईरानी पेट्रोकेमिकल कारोबार से जुड़ी छह भारतीय कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो अमेरिका के वैश्विक प्रतिबंध कार्यक्रम के अंतर्गत आते हैं.
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जाहिर है ट्रंप की बातों का अब घर से ही विरोध शुरू हो गया है. कारोबारी हों या आर्थिक मामलों के जानकार, सब उन्हें भारत से टकराव मोल न लेने की चेतावनी और सलाह भी दे रहे हैं. सब एक सुर में कह रहे हैं कि भारत आपका एक सिर्फ व्यापारिक देश ही नहीं बल्कि रणनीतिक मामलों का साझीदार भी है. कई तो ये भी कह रहे हैं कि ट्रंप टैरिफ लगाकर अमेरिकी खजाने में पैसे डालना चाह रहे हैं और कीमतें कम करना चाहते हैं, लेकिन ये संभव नहीं है. क्योंकि वॉलमार्ट से लेकर अन्य ग्रोसरी स्टोर्स पर सामान और सब्जियां भारत जैसे देशों से ही आता है और अगर इन पर टैरिफ बढ़ेंगे तो कीमत भी बढ़ेगी, जिससे असंतोष पैदा होगा. उनका ये फैसला अंत में बैकफायर कर जाएगा.
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