योगी सरकार की बड़ी जीत, लागू रहेगा कांवड़ यात्रा मार्ग पर QR कोड का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
कांवड़ यात्रा पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार के उस फैसले पर मुहर लगा दी है जिसमें कांवड़ रूट पर दुकानदारों को QR कोड लगाने का आदेश दिया गया था, जिसमें उनकी पहचान दर्ज हो. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह आदेश लागू रहेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में यूपी की योगी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार की बड़ी जीत हुई है. कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के बाहर QR कोड लगाने के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतरिम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान UP सरकार और उत्तराखंड सरकार का QR कोड का आदेश लागू रहेगा, हालांकि मामला अब भी पेंडिग है. अदालत ने फिलहाल सरकारों के इस आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया है. इससे पहले दोनों राज्य सरकारों को इस आदेश के पीछे का स्पष्ट और ठोस कारण अदालत के सामने पेश करने को कहा गया था.
याचिका में क्या कहा गया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करते हुए दोनों सरकारों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा था. याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया था कि यह आदेश असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के उस अंतरिम आदेश का उल्लंघन करता है जिसमें कहा गया था कि किसी दुकानदार को उसकी पहचान उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
क्या है QR कोड को लेकर आदेश और क्यों मचा है बवाल?
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा के मद्देनजर यह आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खानपान की दुकानों के बाहर दुकान मालिक की पहचान वाला QR कोड स्टिकर लगाया जाना अनिवार्य है. इस QR कोड में दुकान संचालक का नाम, पता और अन्य पहचान संबंधी विवरण दर्ज होंगे. सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था सुरक्षा और निगरानी के लिए जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते में जवाब मांगा था
राज्य सरकारों की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल जीतेंद्र कुमार सेठी ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील शादान फरासत ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगी, इसलिए मामले की जल्द सुनवाई जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से सहमति जताते हुए दोनों सरकारों को केवल एक सप्ताह का समय दिया था.
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