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राजा भइया ने क्यों कहा- गोधरा सबको याद लेकिन साबरमती एक्सप्रेस की चर्चा कम होती है ?

Sabarmati Express में जिंदा जलाए गये 59 राम भक्तों की बरसी पर दहाड़े विधायक राजा भइया ने कहा- विश्व के इतिहास में किसी भी राष्ट्र में अल्पसंख्यकों द्वारा बहुसंख्यक समाज का इस प्रकार निर्मम, क्रूर नरसंहार का कोई दूसरा उदाहरण हो तो बताइयेगा जरूर, और हां कृपया विचार करें कि उन्हें जिंदा जलाने के पहले क्या उनसे पूछा गया था कि वे अगड़ा, पिछड़ा या दलित हैं? याद रहे जुड़ेंगे तभी बचेंगे !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 से भले ही देश की सत्ता संभाल रहे हों, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पीएम मोदी ने भी कम संघर्ष नहीं किया है। देश की सत्ता संभालने से पहले पीएम मोदी गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री भी रहे। वो भी उस गुजरात के, जहां साल 2002 में अयोध्या से लौट रहे राम भक्तों को साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जला दिया गया था। और इस खौफनाक आतंकी वारदात के बाद पूरा गुजरात जल उठा था। करीब 23 साल पुराने दंगे की वजह से आज भी पीएम मोदी को बदनाम किया जाता है, जिन्हें अब कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने मुंहतोड़ जवाब दिया है।

अब राजा भइया ने मोदी विरोधियों को दिया जवाब

दरअसल साल 2002 में जब गुजरात दंगा हुआ था, उस वक्त नरेंद्र मोदी ही मुख्यमंत्री थे, जिसकी वजह से कांग्रेस के साथ साथ कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम आज भी मोदी के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं, लेकिन ऐसे लोग कभी साबरमती ट्रेन में मारे गए राम भक्तों की बात नहीं करते हैं, उन्हें बंद बोगी में क्यों जलाया गया, ये सवाल नहीं पूछते हैं। 27 फरवरी को इस खौफनाक वारदात की बरसी थी, जिस पर कुंडा के विधायक राजा भइया ने एक बयान में कहा...

‘गोधरा’ शब्द सभी को याद होगा लेकिन ‘साबरमती एक्सप्रेस’ की चर्चा कम ही होती है, आज वही दुखद दिन है जिस दिन सन 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में राम भक्तों को जिंदा जला दिया गया था, उनका अपराध ये था कि वे अयोध्या से अपने आराध्य श्री राम लला सरकार के दर्शन करके लौट रहे थे, नारी, पुरुष, बच्चे बच्चियां किसी को नहीं छोड़ा गया, पेट्रोल डालकर उन्हें जीवित जला दिया गया

बात यहीं खत्म नहीं होती राजा भइया ने भारत जैसे बहुसंख्यक हिंदू देश में हिंदुओं के नरसंहार की याद दिलाते हुए पूछा कि…

विश्व के इतिहास में किसी भी राष्ट्र में अल्पसंख्यकों द्वारा बहुसंख्यक समाज का इस प्रकार निर्मम, क्रूर नरसंहार का कोई दूसरा उदाहरण हो तो बताइयेगा जरूर, और हां कृपया विचार करें कि उन्हें जिंदा जलाने के पहले क्या उनसे पूछा गया था कि वे अगड़ा, पिछड़ा या दलित हैं? याद रहे जुड़ेंगे तभी बचेंगे

साबरमती नरसंहार की याद दिलाते हुए राजा भइया ने सीएम योगी के उस बयान की भी याद दिलाई, जब उन्होंने हिंदुओं को आगाह करते हुए कहा था कि बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे…

सीएम योगी के इसी बयान की याद दिलाते हुए राजा भइया ने भी हिंदुओं को आगाह करते हुए कहा कि याद रहे जुड़ेंगे तभी बचेंगे, और अगर जातियों में बंट गए तो इसका अंजाम क्या होता है साबरमती एक्सप्रेस नरसंहार की खौफनाक वारदात याद कर लीजिए जब S6 कोच पर पेट्रोल छिड़कर 59 राम भक्तों को जिंदा जला दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद गोधरा कांड तो सभी को याद रहता है, लेकिन साबरमती एक्सप्रेस की चर्चा कम होती है। 27 फरवरी को भी जब साबरमती एक्सप्रेस हादसे की बरसी थी तो राजा भइया को छोड़कर शायद ही किसी ने उन 59 रामभक्तों को याद किया होगा। बात यहीं खत्म नहीं होती, इससे पहले भी राजा भइया हिंदुओं के लिए आवाज उठाते रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले प्रयागराज में समाप्त हुए महाकुंभ की सुरक्षा के लिए लगाए गए बम स्क्वॉड और NSG कमांडो की तैनाती पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि यहां सुरक्षा के लिए पुलिस और ट्रैफिक पुलिस, अग्निशमन हो ये बात तो समझ में आती है, लेकिन एंटी बम स्क्वॉड की क्या जरूरत है यहां, NSG की क्या जरूरत है, यहां बम विस्फोट से खतरा किससे है, जिहादी आतंकवाद से है अब इसको कोई कहे या ना कहे जो सच्चाई है वो यही है।

जिस हिंदुस्तान में हिंदुओं की सबसे बड़ी आबादी है उसी हिंदुस्तान में लगता है हिंदू ही सुरक्षित नहीं हैं, इसीलिए महाकुंभ में भी बम स्क्वॉड और NSG कमांडो की तैनाती करनी पड़ी। और अगर ऐसा नहीं होता तो साल 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के S6 कोच में 59 राम भक्तों को भी जिंदा नहीं जलाया गया होता।




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