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Assam CM Himanta ने क्यों दिया Shoot at Sight Order?

Assam: इसी साल जून के महीने में धुबरी जिला सांप्रदायिक तनाव का गवाह बना था जब एक हनुमान मंदिर के पास किसी अज्ञात शख्स ने बीफ के टुकड़े फेंक दिये थे... जिसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय नाराज हो गया था और धुबरी के बड़े बाजार को बंद करने के साथ ही पत्थरबाजी की घटनाएं भी हुई थीं जिसके बाद सीएम हिमंता ने अब नवरात्रि तक धुबरी में शूट एट साइट के ऑर्डर जारी कर दिया है !

जी हां आपने बिल्कुल सही सुना…. असम की सत्ता संभाल रहे फायरब्रांड मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक आदेश ने पूरे देश में तहलका मचा दिया है… क्योंकि अब तक ऐसे मौके कम ही देखने को मिलते थे जब दुर्गा पूजा जैसे खास मौके पर सरकार सीधे शूट एट साइट का आदेश जारी कर दे... मगर बात जब असम की आती है तो बांग्लादेश की सीमा से सटे राज्य असम में कट्टरपंथियों के साथ-साथ अवैध बांग्लादेशी भी एक बड़ी समस्या रहे हैं... जो अवैध घुसपैठ करके असम को अशांत करने की कोशिश करते रहते हैं… यही वजह है कि हिमंता सरकार धुबरी राज्य को लेकर कुछ ज्यादा ही सतर्क रहती है... शूट एट साइट ऑर्डर भी इसी का हिस्सा है… क्योंकि इसी साल जून के महीने में धुबरी जिला सांप्रदायिक तनाव का गवाह बना था… जब एक हनुमान मंदिर के पास किसी अज्ञात शख्स ने बीफ के टुकड़े फेंक दिये थे... जिसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय नाराज हो गया था… और धुबरी के बड़े बाजार को बंद करने के साथ ही पत्थरबाजी की घटनाएं भी हुई थीं... इसी वारदात के बाद से धुबरी में शूट एट साइट के ऑर्डर जारी कर दिये गये… यानि दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश... और ये आदेश अब नवरात्रि तक जारी रहेगा…

हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा 'धुबरी में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर 'देखते ही गोली मारने' का जो आदेश लागू किया गया था, वो अभी वापस नहीं लिया गया है, यह दुर्गा पूजा समारोह के समापन तक लागू रहेगा'

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा का ये बयान महज 13 सेकेंड का है लेकिन इसका असर पूरे देश पर पड़ना तय है… क्योंकि इससे पहले शायद ही देश के किसी हिस्से में हिंदुओं के त्योहार की सुरक्षा के लिए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गये हों… सीएम हिमंता का शूट एट साइट ऑर्डर बता रहा है कि धुबरी जैसे जिले में अगर हिंदू अल्पसंख्यक हैं तो उनके त्योहारों की सुरक्षा के लिए इसी तरह से सख्त आदेश जारी करने पड़ेंगे… ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हिंदू अल्पसंख्यक हैं तो उसे अपने ही हिंदुस्तान में त्योहार मनाने के लिए पुलिस सुरक्षा की जरूरत पड़ेगी... आखिर वो कौन लोग हैं जो धुबरी जिले में हिंदुओं के दुश्मन हैं… और उनके त्योहार में खलल डालना चाहते हैं… जिन्हें काबू में करने के लिए असम सरकार को देखते ही गोली मारने के सख्त आदेश देने पड़े...

कैसे बदली धुबरी की डेमोग्राफी ?

एक वक्त था जब असम के जिला धुबरी में हिंदुओं की अच्छी-खासी आबादी थी… लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया… हिंदुओं की आबादी घटती गई और मुसलमानों की आबादी बढ़ती गई… जिसे आप इस आंकड़े से समझ सकते हैं…

कैसे बदली धुबरी की डेमोग्राफी ?


साल 1951 में हिंदुओं की आबादी 43.5 फीसदी थी जो साल 2001 में घटकर 24.78 फीसदी तक रह गई.
साल 2011 में जब जनगणना हुई तो धुबरी जिले में हिंदुओं की आबादी घट कर 19.92 फीसदी पर पहुंच गई.
साल 2001 से 2011 के बीच धुबरी में मुस्लिमों की आबादी 74.3 फीसदी से बढ़कर 79.67 फीसदी पहुंच गई.
मुस्लिम बहुल धुबरी में 1952 से अब तक 17 चुनाव हुए, हर बार मुस्लिम जीते, अब तक कोई हिंदू सांसद नहीं बना.

ये आंकड़े बता रहे हैं आजादी के बाद असम के जिस धुबरी जिले में कभी हिंदू बहुसंख्यक हुआ करते थे… वहां आज मुस्लिम बहुसंख्यक हो गये हैं… और आज उसी धुबरी जिले के हालात ऐसे हो गये हैं कि हिंदुओं को अपना ही त्योहार मनाने के लिए पुलिस सुरक्षा की जरूरत पड़ रही है... कोई दंगाई त्योहार में खलल ना डाले… इसके लिए सरकार को शूट एट साइट का आदेश देना पड़ रहा है… जिस पर विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक ट्वीट में कहा…'जहां-जहां हिंदू घटा, देश बंटा और धर्म कटा, कैसा दुर्भाग्य है कि हिंदू समाज को अपने त्योहारों को अब संगीनों के साए में मनाना पड़ेगा, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सर्मा को मां दुर्गा के भक्तों की सुरक्षार्थ, धुबरी में उपद्रवी जिहादी गैंग के विरुद्ध शूट एट साइट का आदेश देना पड़ा, क्या यह सिर्फ इसीलिए नहीं कि वहां हिंदू समाज 20% से भी कम बचा है और बंग्लादेशी घुसपैठियों के उत्पात चरम पर हैं? क्या यह मां भारती की वह पावन धरा नहीं जिसके कण कण में कभी मां काली के जयघोष गुंजायमान होते थे और भारत विरोधी थर्राते थे ? जहां हिंदू घटता है, मंदिरों पर, गायों पर, पूज्य संतों व हिंदू नारियों पर प्रहार तेज क्यों हो जाते हैं? जब निर्दोष धर्मप्रेमी हिंदुओं पर जिहादी हमले होते हैं तो इस्लामिक संस्थाएं, कथित सेक्युलर राजनेता व दल किस बिल में घुस जाते हैं ? असम के धुबरी में जिस प्रकार से गत जून से देखते ही गोली मारने के आदेश जारी हैं उससे एक प्रश्न और उठता है कि क्या जिहादी तत्व अब सिर्फ गोली की भाषा ही समझते हैं ?

आपको बता दें शूट एट साइट ऑर्डर तभी दिया जाता है… जब हालात हाथ से निकल जाएं और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनने वाले व्यक्ति को वॉर्निंग दिये बिना ही गोली मार देने की परमिशन होती है... यानि दंगाइयों से निपटने का ये अंतिम उपाय होता है… इसी बात से समझ सकते हैं कि असम के जिला धुबरी में हालात कितने खराब हो गये हैं... जिसकी वजह से सीएम हिमंता को हालात से निपटने के लिए नवरात्रि तक शूट एट साइट ऑर्डर जारी करना पड़ा...

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