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'पटाखों पर बैन केवल दिल्ली में ही क्यों...पूरे देश में लगाएं', CJI ने इस उद्योग में काम करने वाले गरीबों को लेकर भी जाहिर की चिंता

दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बड़ा बयान दिया है. शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर प्रदूषित हवा "एक राष्ट्रीय समस्या" बन गई है, तो इससे निपटने के लिए कोई भी नीति "अखिल भारतीय आधार पर" होनी चाहिए.

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13 Sep 2025
( Updated: 11 Dec 2025
02:17 PM )
'पटाखों पर बैन केवल दिल्ली में ही क्यों...पूरे देश में लगाएं', CJI ने इस उद्योग में काम करने वाले गरीबों को लेकर भी जाहिर की चिंता

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा है कि "अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना ही है तो पूरे देश में लगाया जाना चाहिए." हरियाणा के पटाखा निर्माताओं के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात उन्होंने कही है.  

देश के बाकी हिस्सों के नागरिक भी स्वच्छ हवा के हकदार 

हरियाणा के पटाखा व्यवसायी जिसमें दिल्ली -एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के 3 अप्रैल, 2025 के आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, मुख्य न्यायाधीश गवई, जिसमें न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन भी शामिल थे, उन्होंने कहा, "अगर एनसीआर के नागरिक प्रदूषण मुक्त हवा के हकदार हैं, तो देश के बाकी हिस्सों के नागरिक क्यों नहीं? सिर्फ़ इसलिए कि यह राजधानी है या सुप्रीम कोर्ट इस क्षेत्र में स्थित है, यहाँ प्रदूषण मुक्त हवा होनी चाहिए, लेकिन देश के अन्य नागरिकों के लिए नहीं.?"

इस प्रतिबंध के पीछे के तर्क को समझाते हुए, इस मामले में न्यायमित्र के रूप में न्यायालय की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि सर्दियों में दिल्ली में स्थिति ऐसी होती है कि लोगों का सचमुच दम घुटने लगता है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "पिछली सर्दियों में, मैं गुरुपर्व के दिन अमृतसर में था, और मुझे बताया गया कि अमृतसर में प्रदूषण दिल्ली से अधिक था."

दिल्ली के लोग इस देश के पॉश नागरिक 

अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर यह वास्तव में एक राष्ट्रीय समस्या है, तो प्रतिक्रिया भी राष्ट्रीय होनी चाहिए. "इसलिए, जो भी नीति हो, वह अखिल भारतीय स्तर पर होनी चाहिए. हम दिल्ली के साथ विशेष व्यवहार नहीं कर सकते क्योंकि दिल्ली के लोग इस देश के पॉश नागरिक हैं."

सिंह ने कहा, "यह ग़लतफ़हमी है कि वायु प्रदूषण का असर ऊपरी वर्ग पर पड़ता है. ऊपरी वर्ग खुद ही अपना ख़्याल रख लेगा. दिवाली पर आधी दिल्ली बाहर जाती है. और उनके पास एयर प्यूरीफायर भी हैं. लेकिन असल में सड़क पर रहने वाले लोग, मज़दूर, जिनके पास कोई विकल्प नहीं है... ग़रीब और दरिद्र."

अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है तो पूरे देश में लगाएं 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, इसलिए, हम कह रहे हैं कि पूरे देश में एक ही नीति होनी चाहिए. (दिल्ली के लिए) कोई अलग नीति नहीं हो सकती. अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना ही है, तो पूरे देश में लगाएँ. गरीब लोग भी इस उद्योग पर निर्भर हैं. उन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जब अदालत वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाती है, तो इसका खामियाजा मज़दूरों को ही भुगतना पड़ता है. हालाँकि, सिंह ने कहा कि राज्य सरकार उन्हें मुआवज़ा देती है.

हरित पटाखों पर काम जारी 

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) हरित पटाखों पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) नीरी के परामर्श से इस मामले पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. पीठ ने कहा कि वह रिपोर्ट का इंतज़ार करेगी: "रिपोर्ट आने दीजिए, हम जाँच करेंगे."

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पटाखा निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध के कारण, प्राधिकारियों ने सभी लाइसेंस रद्द करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, हमारे पास 2028, 2030 तक के लाइसेंस थे... विस्फोटक लाइसेंस प्राप्त करना एक थकाऊ प्रक्रिया है. अगर आप उन सभी लाइसेंसों को रद्द करना शुरू कर दें, पीठ ने प्राधिकारियों से कहा कि वे आज की स्थिति को बरकरार रखें.

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