कौन हैं नम्रा नाज और रहनुमा खान जिन्हें बनाया गया संभल की SP और DM?
एक तरफ जहां सीएम योगी को मुस्लिम विरोधी बताने का एजेंडा चलाया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ योगी राज में ही दो मुस्लिम छात्राओं को जिला संभल का एसपी और डीएम बना दिया गया, क्या है पूरा मामला देखिये ये खास रिपोर्ट !
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उत्तर प्रदेश का जिला संभल. किसी परिचय का मोहताज नहीं है. ये वही जिला संभल है. जहां भगवान कल्कि का अवतार होना है. ये वही संभल है. जहां बाबा के बुल्डोजर ने जमीन खोद कर मंदिर निकाला था. ये वही संभल है जहां की कमान तेज तर्रार पुलिस कप्तान केके बिश्नोई संभाल रहे हैं. जिनकी पुलिस ने उस वक्त संभल के दंगाइयों की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. जब जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में उतरे कट्टरपंथी मुसलमानों सड़क पर बवाल काट दिया था.
जिस संभल में केके बिश्नोई जैसे धाकड़ पुलिस कप्तान ने दंगाइयों की अकड़ तोड़ने का काम किया था. उसी संभल की कमान अब एक मुस्लिम छात्रा को मिल गई है. जिसका नम है नम्रा नाज. जिसे खुद एसपी केके बिश्नोई ने अपने दफ्तर में बगल वाली कुर्सी पर बैठाया. और एक एसपी का क्या काम-काज होता है. वो सब कुछ सिखाया.
नम्रा नाज ने संभल के एसपी की कुर्सी संभाली तो. सिर्फ फोटो सेशन के लिए ही नहीं संभाली. उन्होंने दफ्तर में आने वाले फरियादियों की बतौर एसपी शिकायतें भी सुनीं.
फरियादियों की शिकायत सुनने के साथ ही एसपी नम्रा नाज ने 1090 वुमन हेल्पलाइन के साथ ही महिला बीट पुलिसिंग को मजबूत करने की बात कही. 25 सितंबर को एक दिन के लिए जिला संभल की एसपी बनाई गईं नम्रा नाज के बारे में संभल पुलिस ने बताया.
मिशन शक्ति के तहत संभल के एसपी केके बिश्नोई की मौजूदगी में थाना चंदौसी के GKSSS स्कूल की कक्षा 11 की छात्रा नमरा नाज को एक दिन का पुलिस कप्तान बनाया गया जहां छात्रा ने जनसुनवाई में एक पुलिस अधीक्षक के रूप में जनता की समस्याओं को सुना और संभल के एसपी के साथ पूरे पुलिस कार्यालय का भ्रमण भी किया, इस दौरान एक दिन की पुलिस कप्तान बनी बच्ची नम्रा नाज ने एसपी संभल के रूप में अधिकारी के दायित्व को समझा और एक दिन के लिए इसका अनुभव हासिल करने के साथ ही अपना अनुभव भी साझा किया.
एक तरफ जहां 11वीं की छात्रा नम्रा नाज को एक दिन के लिए जिला संभल का एसपी बना दिया गया. तो वहीं दूसरी तरफ रहनुमा खान को जिला संभल का डीएम बना दिया गया. जिन्होंने डीएम ऑफिस में अधिकारियों की बैठक भी ली. और महिला सुरक्षा, शिक्षा और जनहित के मुद्दे पर निर्देश भी दिया. इसके बाद खुद डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी केके बिश्नोई एक दिन की एसपी बनीं नम्रा नाज और एक दिन की डीएम बनीं रहनुमा खान को सम्मान के साथ विदाई देने के लिए उनके घर छोड़ने गये. जिला संभल से आई ये तस्वीर उन योगी विरोधियों को जरूर देखनी चाहिए. जो दिन रात सीएम योगी को मुस्लिम विरोधी बताने का एजेंडा चलाते हैं. जिस संभल में योगी सरकार ने कभी दंगाइयों की अकड़ तोड़ने का काम किया था. उसी संभल में योगी सरकार ने मिशन शक्ति अभियान के तहत दो मुस्लिम बच्चियों को एक दिन का एसपी और एक दिन का डीएम भी बनाया. जिसका मतलब साफ है कि अगर धर्म के नाम पर कानून तोड़ने का काम करोगे तो सरकार सबक सिखाने में पीछे नहीं रहेगी. और अगर कायदे से रहोगे तो सरकार साथ देने में भी पीछे नहीं रहेगी. ये बात बरेली बवाल के बाद खुद सीएम योगी ने शीशे की तरह साफ कर दी.
बात यहीं खत्म नहीं होती. एक तरफ जहां योगी को मुस्लिम विरोधी बताने का एजेंडा चलाया जाता है. तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम महिलाएं सीएम योगी से सुरक्षा की गुहार लगाती है. क्योंकि उन्हें भरोसा है कि योगी सरकार ही उनके साथ न्याय करेगी. इसीलिये कुछ ही दिनों पहले जिला चंदौली की एक मुस्लिम महिला ने आपबीती बताते हुए सीएम योगी से न्याय की गुहार लगाई और तुरंत एक्शन भी हो गया.
ये तो चंद उदाहरण हैं. सबका साथ सबका विकास की नीति पर चलते हुए योगी सरकार ने योजनाओं का लाभ पहुंचाने में भी कभी कोई भेदभाव नहीं किया. यहां तक कि सीएम योगी जब जनता दरबार लगाते हैं तो हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों की भी समस्याएं सुनते हैं. और अधिकारियों को तुरंत समस्या का समाधान करने का आदेश देते हैं. लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग एजेंडे के तहत सीएम योगी को मुस्लिम विरोधी बताते हैं. वो भी शायद इसलिये क्योंकि योगी राज में दंगाइयों को अराजकता फैलाने की खुली छूट नहीं दी जाती. और जो अराजकता फैलाने की कोशिश करता है. उन्हें कैसे सबक सिखाया जाता है इसका ट्रेलर भी योगी सरकार ने संभल और बरेली में दिखा दिया है.
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