'वादा करते हैं, हम हमेशा भारत का साथ देंगे...', तुर्की के कट्टर दुश्मन के राष्ट्रपति का PM मोदी को बर्थडे विश, एर्दोगन के कान खड़े
प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर तुर्की के कट्टर दुश्मन ने दिया बधाई संदेश. कही ऐसी बात कि तुर्की के कान खड़े हो गए. ऐसा क्या कहा है कि दुश्मन की नींद उड़ गई है, जानें.
Follow Us:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर देश ही नहीं, विदेश से भी उन्हें शुभकामना संदेश प्राप्त हो रहे हैं. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जैसी बड़ी हस्तियां तो उन्हें अपना बधाई संदेश भेज रहे ही हैं, बल्कि इनमे एक देश के राष्ट्रपति का पीएम को बर्थडे विश भेजना कई देशों के कान खड़े कर दिए हैं. वैसे तो किसी ने ट्वीट के जरिए बधाई दी तो किसी ने चिट्ठी जारी कि लेकिन एक देश है साइप्रस जिसके राष्ट्रपति Nikos Christodoulides ने वीडियो जारी कर अपनी शुभकामनाएं दी हैं. ये कोई आम देश नहीं है. ये भारत की कूटनीति के लिहाज से बहुत ही अहम देश है. ये तुर्की का कट्टर दुश्मन देश है, जिसके प्रधानमंत्री मोदी ने बीते जून में खास दौरा किया था.
साइप्रस के राष्ट्रपति की शुभकामनाओं ने न सिर्फ पीएम मोदी के प्रति व्यक्तिगत सम्मान को दिखाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद और मजबूत होते कूटनीतिक रिश्तों को भी उजागर किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर साइप्रस के राष्ट्रपति ने अपने और अपनी जनता की ओर से बधाई देते हुए कहा:“माननीय प्रधानमंत्री, प्रिय नरेंद्र, आपके 75वें जन्मदिन के अवसर पर मैं आपको अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. मैं साइप्रस सरकार और जनता की ओर से आपके अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और सफलता की कामना करता हूं. आपके दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारत की जनता को प्रेरित किया है बल्कि भारत और साइप्रस के बीच मित्रता और सहयोग के रिश्तों को भी मजबूत किया है."
Nikos Christodoulides के इस संदेश में प्रधानमंत्री मोदी की पिछले साल जून में साइप्रस यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए कहा गया कि इस दौरे ने दोनों देशों के रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ा और साझा मूल्यों व आपसी सम्मान को और गहरा किया. यह यात्रा शांति, समृद्धि और अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है.
साइप्रस का भारत के साथ हमेशा खड़े होने का वादा
साइप्रस की ओर से आगे कहा गया, “प्रिय मित्र, आपको यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि साइप्रस और मैं व्यक्तिगत रूप से भारत का सच्चा मित्र बने रहेंगे और हर कदम पर आपके साथ सहयोग के लिए तैयार रहेंगे. आपके इस विशेष जन्मदिन पर मेरी शुभकामनाएं हैं कि आपको दीर्घायु मिले और आप भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने में सफल हों."
तुर्की का कट्टर दुश्मन है साइप्रस
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल 15-16 जून को साइप्रस के दो दिवसीय दौरा पर गए थे. ये दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी. उनकी ये यह यात्रा ऐसे समय हुई थी जब पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है.
President of Cyprus, Nikos Christodoulides, extended heartfelt wishes to PM @narendramodi on his 75th birthday, wishing him health and happiness. He praised the Prime Minister’s visionary leadership for inspiring not only India but also for strengthening the bonds of friendship… pic.twitter.com/hhGJ5MXqU4
— DD News (@DDNewslive) September 17, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा को केवल प्रतीकात्मक कदम नहीं था, बल्कि इसे भारत की रणनीतिक कूटनीति का अहम हिस्सा बताया गया. दरअसल, भारत भूमध्यसागर और यूरोप में अपने रिश्तों को नए सिरे से गढ़ने की कोशिश कर रहा है और इस रणनीति में साइप्रस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी.
तुर्की को संदेश था पीएम मोदी का साइप्रस दौरा
यह दौरा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हुआ, जिसे तुर्की के लिए भारत का सीधा संदेश माना गया. तुर्की लंबे समय से पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है और हाल के वर्षों में भारत विरोधी गतिविधियों में उसकी सक्रियता बढ़ी है. खासकर तुर्की से आए ड्रोन हमलों ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी.
क्या है तुर्की और साइप्रस के बीच विवाद?
भूमध्यसागर में स्थित साइप्रस 1960 में ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ. लेकिन आज़ादी के कुछ ही समय बाद ग्रीक और तुर्की मूल के साइप्रसियों के बीच तनाव गहराने लगा. हालात 1974 में उस समय और बिगड़े जब ग्रीस की सैन्य तानाशाही (जुंटा) के समर्थन से साइप्रस में तख्तापलट किया गया. इसका मकसद था साइप्रस को ग्रीस में मिला देना.
इसके जवाब में तुर्की ने “तुर्की साइप्रसियों की रक्षा” का हवाला देकर साइप्रस पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी. हालांकि बाद में निकोसिया में वैध सरकार को बहाल कर दिया गया, लेकिन तुर्की सेना द्वीप के उत्तरपूर्वी हिस्से में डटी रही. यही वह इलाका है जिसने खुद को “तुर्की गणराज्य उत्तरी साइप्रस”. घोषित कर दिया एक ऐसी राजनीतिक इकाई जिसे केवल अंकारा की मान्यता प्राप्त है. भारत ने हमेशा इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समाधान का समर्थन किया है. यही नहीं, भारत ने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा बल (UNFICYP) में भी बड़ी भूमिका निभाई है. इस मिशन में तीन भारतीय सैन्य अधिकारी प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं, जो भारत की सक्रिय और जिम्मेदार वैश्विक भूमिका को दर्शाता है.
यह भी पढ़ें
यही वजह रही कि भारत ने साइप्रस और ग्रीस जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते और गहरे करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. यह यात्रा उसी रणनीतिक सोच का हिस्सा है, जिसके जरिए भारत न केवल भूमध्यसागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहता है बल्कि तुर्की-पाकिस्तान की धुरी को संतुलित करने का संदेश भी दे रहा है.
टिप्पणियाँ 0
कृपया Google से लॉग इन करें टिप्पणी पोस्ट करने के लिए
Google से लॉग इन करें