चंद घंटों में हवा हो गई ट्रंप की धमकी! रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा भारत, 'अमेरिका नहीं, बाज़ार तय करेगा किस से क्या लेना है, क्या नहीं'
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि भारत की तेल रिफाइनरियां रूसी कंपनियों से तेल का आयात जारी रखे हुए हैं. यानी कि भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को एक तरह से नजरअंदाज कर दिया है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों का भारत पर असर नहीं पड़ता है और वह अपनी विदेश-व्यापार नीति अपनी हितों के आधार पर तय करता है, ये मोदी सरकार ने साबित कर दिया है. ट्रंप के एकतरफा बयान दिया कि उन्हें सुनने में आया है कि नई दिल्ली रूस से तेल नहीं खरीदेगा और अगर ऐसा है तो ये अच्छा कदम है. सूत्रों के हवाले से सामने आ रही ख़बर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति के इसी स्टेटमेंट पर भारत की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि भारत की तेल रिफाइनरियां रूसी कंपनियों से तेल का आयात जारी रखे हुए हैं.
भारत ने नहीं दिया अमेरिका की टैरिफ धमकियों पर ध्यान
भारत ने अमेरिका की टैरिफ वाली धमकियों को झटका देते हुए अपने पुराने और हर कसौटी पर खरा उतरने वाले सहयोगी रूस से तेल की खरीद जारी रखने का फैसला किया है. सूत्र की मानें तो रूस के साथ ऑयल ट्रेड पर कहा गया है कि आपूर्ति संबंधी निर्णय तेल की कीमत, कच्चे तेल की गुणवत्ता, भंडार, रसद और अन्य आर्थिक कारकों पर निर्भर होते हैं. सूत्र ये भी बताते हैं कि रूसी तेल पर कभी कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. हालांकि G7 देशों और यूरोपीय संघ (EU) ने रूस की कमाई को सीमित करने और वैश्विक तेल आपूर्ति को बनाए रखने के लिए एक मूल्य सीमा नीति लागू की गई. इसके तहत, भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद 60 डॉलर प्रति बैरल की अधिकतम सीमा में की. अब EU ने इस सीमा को घटाकर 47.6 डॉलर प्रति बैरल करने की सिफारिश की है, जिसे सितंबर से लागू किया जाएगा.
मार्च 2022 में जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल मची थी, तब ब्रेंट क्रूड की कीमत 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. इसी समय भारत ने एक रणनीतिक निर्णय लेते हुए रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया. इससे न सिर्फ भारत को महंगाई से राहत मिली, बल्कि वैश्विक बाजार में भी स्थिरता बनी रही.
सूत्रों के अनुसार, अगर भारत ने रूसी तेल नहीं खरीदा होता और साथ ही OPEC+ देशों की ओर से 5.86 मिलियन बैरल प्रति दिन की कटौती जारी रहती, तो तेल की कीमतें 137 डॉलर से भी अधिक हो सकती थीं. इससे पूरी दुनिया में महंगाई और ऊर्जा संकट और भी गंभीर हो जाता.
भारत ने केवल अपने हितों की रक्षा नहीं की, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके साथ ही, भारत ने ईरान और वेनेज़ुएला जैसे उन देशों से तेल नहीं खरीदा, जिन पर अमेरिका के वास्तविक प्रतिबंध लागू हैं.
ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर क्या बयान दिया?
तड़के सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बड़ा बयान सामने आया है. दरअसल समाचार एजेंसी ANI के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने ने नया शिगूफा छोड़ दिया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा.
'रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत!'
जब अमेरिकी राष्ट्रपति से सवाल किया गया कि भारत पर जुर्माने या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोई योजना बनाई है? तो इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें सुनने में आया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. मैंने ऐसा सुना है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह सही है या नहीं. अगर ऐसा है तो यह अच्छा कदम है.
ट्रंप का ये बयान ऐसे समय आया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति की रूस पर दी गई धमकियों से एक शाम पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया था कि दो देशों के रिश्तों को एक ही चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
भारत दबाव में नहीं आएगा
रूस के साथ सैन्य और ऑयल खरीद को लेकर अमेरिका से आ रहे दबाव पर बीते दिन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ब्रीफिंग में साफ-साफ शब्दों में कहा कि अलग-अलग देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध हमारी शर्तों पर आधारित हैं और इसे किसी तीसरे देश के चश्मे से न देखा जाए और न ही इस कारण रिश्ते प्रभावित होने देना चाहिए."
'रूस के साथ हमारे टाइम टेस्टेड रिश्ते'
रूस के साथ संबंधों पर बात करते हुए विदेश मंत्रालय ने कूटनीतिक शब्दों में साफ कर दिया कि हमारे बीच एक स्थिर और जांची-परखी (टाइम टेस्टेड) साझेदारी है." उन्होंने कहा कि किसी भी देश के साथ हमारे संबंध उसकी योग्यता पर आधारित हैं और उन्हें किसी तीसरे देश के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
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