उत्तराखंड पहुंचेगी केंद्र की टीम, आपदा से हुए नुकसान का करेगी मूल्यांकन, राज्य सरकार तैयार कर रही रिपोर्ट
क्या सच में उत्तराखंड की आपदा सिर्फ बादल फटने का नतीजा है, या इसके पीछे ग्लेशियर विस्फोट और जलवायु परिवर्तन की बड़ी चेतावनी छिपी है? अब केंद्र की सात सदस्यीय टीम और विशेषज्ञ जांच से ही सामने आएगा असली सच.
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अगस्त 2025 में उत्तराखंड के पर्वतों में दो भीषण आपदाएं प्रेरित रहीं: पहले 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने के कारण बाढ़ और बाद में 22 अगस्त की रात चमोली के थराली में दुबारा बादल फटने की घटना. जिसमें दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं, कई लोग लापता हुए और जान-माल का व्यापक विनाश हुआ.
इस साल आपदाओं में लगभग 30% की वृद्धि दर्ज हुई है, जिससे 2025 उत्तराखंड के लिए हाल के वर्षों का विनाशकारी वर्ष बन गया.
केंद्र-राज्य राहत योजना
बताया गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपात स्थिति में युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया. प्रदेश-और-केन्द्र मिलकर सेना, NDRF, SDRF, ITBP, BRO, और स्थानीय पुलिस सहित कई एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीएम से बातचीत कर पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया. उधर, दो Chinook और दो MI-17 हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं, साथ ही राहत शिविरों, फ्री अस्पताल व्यवस्था और अस्थायी पुल निर्माण पर तेजी से काम चल रहा है.
क्या अभी भी कई लापता हैं?
जानकारी के अनुसार, 190 से अधिक लोग बचाए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोग अभी भी व्यापक आबादी को मलबे के नीचे दबा होने की आशंका जताते हैं.Reuters की रिपोर्ट में उल्लेख है कि सेना और अन्य एजेंसियों ने जंक्शन पर सर्च ऑपरेशन चलाया, अधिक लोगों के अभी भी लापता होने की आशंका जताई गई है.
क्या आपदा का कारण ग्लेशियर विस्फोट?
शुरुआती रिपोर्टों में बादल फटना (cloudburst) ही मुख्य कारण बताया गया था, पर वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर झील विस्फोट (GLOF) या ग्लेशियर टूटने की संभावना भी तलाशी है, क्योंकि बारिश का आंकड़ा बहुत कम था.
केंद्रीय मूल्यांकन टीम क्या होगा असर?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने विशेषज्ञों की टीम भेजने की घोषणा की है जो मान रही है कि ग्लेशियर से जुड़ी घटनाएं बुहत खतरनाक होती जा रही हैं. इनका उद्देश्य आपदा के पीछे जलवायु-, भू-वैज्ञानिक कारकों की जांच कर नए दिशा-निर्देश तैयार करना है.
इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार ने एक तीन सदस्यीय राज्य समिति गठित की है जिसमें राजस्व सचिव, नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के सीईओ और अतिरिक्त वित्त सचिव शामिल हैं. यह समिति आपदा से घरों, भूमि, खेती और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आकलन कर एक कार्य योजना बनाएगी. प्रारंभिक रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर केंद्र को भेजी जाएगी.
क्या विशेषज्ञों की टीम लाएगी नया हल?
FirstIndia की रिपोर्ट के अनुसार, एक और विशेषज्ञ टीम (CBRI, GSI, ULMMC, Wadia Institute आदि के वैज्ञानिकों सहित) धराली का विस्तृत निरीक्षण कर रही है. सरकार पीड़ित परिवारों को ₹5 लाख तक की सहायता भी दे रही है.
केंद्र की ओर से गठित टीम में चीफ इंजीनियर, डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर आदि अधिकारी शामिल हैं.टीम आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए पहुंचेगी. टीम को धराली, स्यानाचट्टी, पौड़ी, थराली समेत अन्य क्षेत्र में हुए नुकसान के बारे में स्थलीय निरीक्षण के दौरान अवगत कराया जाएगा. कई विभागों ने आपदा में हुए नुकसान की रिपोर्ट दे दी है. बाकी की आने के बाद ही केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस प्रस्ताव की हकीकत जांचने के लिए ही यह टीम आती है.
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