केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, हरियाणा की ग्राम पंचायतों को मिली 195 करोड़ की पहली किस्त
इस फंड से हरियाणा के गांवों में विकास कार्यों को नई रफ्तार मिलेगी. केंद्र सरकार का कहना है कि इस राशि से पंचायतें अपने स्तर पर योजनाएं बना सकेंगी और स्थानीय समस्याओं का समाधान कर सकेंगी.
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केंद्र सरकार ने हरियाणा के ग्रामीण इलाकों को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को 195.12 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है. यह राशि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की अनटाइड ग्रांट के तहत दी गई है. इस फंड का सीधा फायदा राज्य के 18 जिला परिषदों, 134 ब्लॉक समितियों और 6,164 ग्राम पंचायतों को मिलेगा. वहीं, गुजरात को दूसरी किस्त में 522.20 करोड़ रुपये और पहली किस्त के बकाया के रूप में 13.59 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. यह फंड पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय की सिफारिश पर वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूर किया गया है.
गांवों में होगा विकास और बुनियादी ढांचे का विस्तार
केंद्र सरकार का मकसद है कि ग्राम पंचायतें अपने गांव की जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाएं और स्थानीय स्तर पर विकास कार्य करें. इस फंड का इस्तेमाल गांवों में सड़कें, नालियां, पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में किया जाएगा.
इससे न केवल गांवों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी. गांवों में रोजगार के नए अवसर बनेंगे और लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा.
किन जिलों को मिला फंड?
यह अनुदान हरियाणा के निम्नलिखित जिलों को जारी किया गया है -
अंबाला, पंचकूला, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और नूंह. हर जिले में फंड का वितरण जनसंख्या, पंचायतों की संख्या और स्थानीय जरूरतों के आधार पर किया जाएगा। इसका मतलब है कि जिस जिले में ज्यादा पंचायतें या जरूरतें होंगी, उसे अधिक राशि मिलेगी.
क्या है ‘अनटाइड ग्रांट’?
यह फंड अनटाइड यानी गैर-बांधित अनुदान है, जिसका मतलब है कि पंचायतें इसे अपनी स्थानीय प्राथमिकताओं के हिसाब से खर्च कर सकती हैं.
हालांकि, यह पैसा वेतन या प्रशासनिक खर्चों पर नहीं लगाया जा सकता.
पंचायतें इस राशि का उपयोग संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों पर कर सकती हैं ,जैसे स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क निर्माण, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण आदि.
टाइड और अनटाइड ग्रांट में फर्क
केंद्र सरकार पंचायतों को दो तरह की ग्रांट देती है -
टाइड ग्रांट: इसे केवल दो प्रमुख सेवाओं में ही खर्च किया जा सकता है -
स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति बनाए रखना (कचरा प्रबंधन, शौचालय रखरखाव)
पेयजल आपूर्ति और जल संरक्षण (वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण)
अनटाइड ग्रांट: यह ज्यादा लचीला फंड होता है, जिसे पंचायतें अपनी जरूरत के हिसाब से किसी भी विकास कार्य में लगा सकती हैं.
इन कार्यों पर खर्च होगा पैसा
- गांवों की सड़कें, गलियां और नालियां बनाना या सुधारना
- पेयजल आपूर्ति और वर्षा जल संचयन के प्रोजेक्ट्स
- स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और शौचालय रखरखाव
- स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधा
- शिक्षा, आंगनवाड़ी और स्कूल सुधार कार्य
- हरित क्षेत्र, वृक्षारोपण और तालाब पुनर्जीवन कार्यक्रम
- महिला सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा और कौशल विकास योजनाएं
ग्रामीण विकास को नई रफ्तार
इस फंड से हरियाणा के गांवों में विकास कार्यों को नई रफ्तार मिलेगी. केंद्र सरकार का कहना है कि इस राशि से पंचायतें अपने स्तर पर योजनाएं बना सकेंगी और स्थानीय समस्याओं का समाधान कर सकेंगी.
यह कदम प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर ग्राम” के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे गांवों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा सके.
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