700 ड्रोन, 10 बॉम्बर और मिसाइलों से रूस ने यूक्रेन पर बोला सबसे बड़ा हमला, अमेरिका के हथियारों को बनाया निशाना
12 जुलाई को रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया, जिसमें 700 ड्रोन, क्रूज मिसाइलें और परमाणु-सक्षम बमवर्षक तैनात किए गए. ल्वीव, लुत्स्क और चेर्निवत्सी जैसे शहर निशाने पर रहे. हमले ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है.
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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने 12 जुलाई को एक नया और भयावह मोड़ ले लिया. इस दिन रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया. शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने इस ऑपरेशन में 560 से 700 ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिनमें से कई आत्मघाती ड्रोन थे. इसके अलावा, रूस ने 15 से ज्यादा घातक Kh-101 क्रूज मिसाइलें दागीं, जो सटीक निशाने के लिए जानी जाती हैं. हमले के मुख्य निशाने थे यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव, लुत्स्क और चेर्निवत्सी. ये शहर पहले अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते थे, लेकिन अब यहां भी तबाही का मंजर देखने को मिला है.
परमाणु संकट की आहट
इस हमले के बाद बताया जा रहा है कि रूस ने इस हमले में लगभग 10 बमवर्षकों को यूक्रेन की ओर रवाना किया. इनमें से कम से कम 3 Tu-95 और Tu-160 बमवर्षक परमाणु क्षमता से लैस थे. ये वही विमान हैं, जिनकी गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली स्ट्रैटेजिक बमवर्षकों में होती है. रिपोर्ट के अनुसार ये बमवर्षक कीव की ओर बढ़ रहे हैं और उनका मुख्य उद्देश्य अमेरिका द्वारा यूक्रेन को हाल ही में दिए गए हथियारों को नष्ट करना है, जिन्हें रूसी सेना "ट्रंप हथियार" कह रही है. रूस ने अपने बयान में चेतावनी देते हुए कहा कि इन अमेरिकी हथियारों को अगली आग में कुचल दिया जाएगा.
यूक्रेन की स्थिति
यूक्रेन की वायुसेना और सुरक्षा एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं, लेकिन रूस के इस स्तर के हमले ने चिंता की लहर दौड़ा दी है. पश्चिमी यूक्रेन के शहर, जो अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित थे, अब सीधे निशाने पर हैं. हमलों से बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है. कई इलाकों में बिजली, संचार और परिवहन सेवाएं ठप हो गई हैं. आम नागरिकों के मन में डर और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है.
युद्ध के बदलते समीकरण
इस अभूतपूर्व हमले ने दुनियाभर की सरकारों और सैन्य विशेषज्ञों को चौंका दिया है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी सहित कई देशों ने यूक्रेन को समर्थन देने की बात दोहराई है. वहीं, कुछ यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ और कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की है. वैश्विक स्तर पर यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या यह हमला परमाणु युद्ध की तरफ एक और कदम है. रूस का यह हमला न सिर्फ सैन्य रणनीति बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की भी कोशिश है. यह साफ है कि रूस अब सिर्फ सीमित दायरे में युद्ध नहीं कर रहा, बल्कि वह यूक्रेन को हर तरफ से घेरने और अमेरिका व पश्चिमी देशों को खुली चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहा है. यदि आने वाले दिनों में परमाणु बमवर्षक किसी भी प्रकार की सक्रिय भूमिका में आते हैं, तो यह स्थिति न केवल यूक्रेन बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर संकट बन सकती है.
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बताते चलें कि रूस का 12 जुलाई का यह हमला बताता है कि युद्ध अब एक नए और अधिक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से पर इतना बड़ा हमला होना यह संकेत देता है कि अब कोई भी इलाका सुरक्षित नहीं है. रूस की आक्रामकता, उसकी सैन्य शक्ति और अमेरिका-यूरोप को खुली चुनौती इस युद्ध को और अधिक खतरनाक बना सकती है.
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