‘जहां जाते हैं आग लगाते हैं…’ धर्म की राजनीति पर गडकरी ने दिखा दिया आईना! इशारों-इशारों में दे दी बड़ी नसीहत
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने धर्म और सियासत के मेल से किनारा करने की नसीहत दे दी है. उन्होंने धर्म गुरुओं और लोगों से अपील करते हुए कहा कि, उन्हें धर्म-काज से मंत्री और नेताओं को दूर रखना चाहिए.
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जहां नेता हों वहां जाति धर्म की बात न हो ये मुश्किल है. चुनावी समय में तो अमूमन ज़्यादातर नेताओं पर धर्म का रंग चढ़ जाता है. कोई मंदिर में पूजा करता दिखेगा तो कोई दरगाह पर मत्था टेकता हुआ नज़र आएगा. यहां तक कि चुनावी बयानबाज़ियों में भी धर्म को आधार बनाकर जमकर वार-पलटवार होता है. इससे न पक्ष अछूता है न विपक्ष. अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने धर्म और सियासत के इसी मेल से किनारा करने की नसीहत दे दी है. नितिन गडकरी ने धर्म गुरुओं और लोगों से अपील करते हुए कहा कि, उन्हें धर्म-काज से मंत्री और नेताओं को दूर रखना चाहिए.
दरअसल, नितिन गडकरी महाराष्ट्र के नागपुर में महानुभाव पंथ सम्मेलन में शामिल हुए थे. यहां केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजनेता जहां घुसते हैं, आग लगाए बिना नहीं रहते. सत्ता के हाथ में धर्म को देंगे तो नुकसान ही होगा. धर्म कार्य, समाज कार्य और राजनीति कार्य अलग-अलग हैं.
‘धर्म की राजनीति से जनता को नुकसान’
नितिन गडकरी ने धर्म और राजनीति को अलग रखने की सलाह दी. उन्होंने दोनों को एक दूसरे से बिल्कुल अलग बताया. गडकरी ने कहा, धर्म व्यक्तिगत श्रद्धा का विषय है कुछ राजनेता इसका इस्तेमाल करते हैं इससे विकास और रोजगार का मुद्दा दोयम दर्जे का हो जाता है. इसलिए धर्म के कार्यों में मंत्री-नेताओं को दूर रखें. धर्म की आड़ में राजनीति समाज के लिए नुकसानदायक है.
‘सबसे ज्यादा मुर्ख बनाने वाला सबसे अच्छा नेता’
महानुभाव पंथ सम्मेलन में नितिन गडकरी ने नेताओं पर चुटकी लेते हुए कहा कि, राजनीति में हौसे, नवसे, गवसे यानी शौक से, नए उत्साह से और आनंदपूर्वक काम करने वाले लोग हैं, हालांकि, जो लोगों को सबसे अच्छा मूर्ख बना सकता है, वही सबसे अच्छा नेता हो सकता है.
‘मन से सच बोलने की मनाही’
नितिन गडकरी ने कहा कि, बोलना आसान है लेकिन करना मुश्किल है. मैं अधिकारी नहीं हूं, लेकिन मुझे एक्सपीरियंस हैं. मैं जिस क्षेत्र में काम करता हूं वहां मन से सच बोलने की मनाही है. इस दौरान गडकरी ने ईमानदारी, विश्वास और समर्पण जैसे मूल्यों को समाज के लिए ज़रूरी बताया. उन्होंने कहा, कोई चीज पाने के लिए शॉर्टकट होता है. जैसे लाल सिग्नल तोड़ना या छलांग लगाना, लेकिन एक दार्शनिक ने कहा है कि शॉर्टकट लेने से मंजिल जल्दी नहीं, बल्कि अधूरी रह जाती है.
‘जो करेगा जाति की बात, उसको मारूंगा लात’
ये पहली बार नहीं है जब धर्म या जाति को लेकर नितिन गडकरी ने मुखरता के साथ अपनी राय रखी हो. इससे पहले उन्होंने विकास कार्यों को जात-पात से अलग रखने की बात कही थी. नितिन गडकरी ने एक अल्पसंख्यक संस्थान के दीक्षांत समारोह में कहा था, 'मैं धर्म और जाति की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं करता. जो करेगा जाति की बात, उसको मारूंगा लात. समाज सेवा मेरे लिए सबसे ऊपर है. चाहे चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, अपने इस सिद्धांत पर अटल रहूंगा.
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